बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस संजय अग्रवाल की सिंगल बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 21 को लेकर एक अहम और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि जमानत में कठोरता अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का हनन होगा. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट गुंडरदेही द्वारा पारित आरोपी को कठोर सशर्त जमानत के आदेश पर रोक लगा दी है.
दरअसल, भागवत जोशी थाना अर्जुनी जिला धमतरी का रहने वाला है. उसके खिलाफ थाना अर्जुनी में FIR दर्ज करवाई गई थी. पुलिस ने आरोपी भागवत के खिलाफ 420 का मामला दर्ज कर उसे जेल भेज दिया. आरोपी भागवत ने लोअर कोर्ट में जमानत याचिका दायर की, लेकिन न्यायिक मजिस्ट्रेट गुंडरदेही ने आरोपी की जमानत याचिका को शत-शत मंजूर कर उसे दो लाख की बैंक गारंटी या कैश जमा करने का आदेश दे दिया. चूंकि आरोपी आर्थिक रूप से समृद्ध नहीं था, वह उस राशि को भर नहीं सका. इसके खिलाफ उसने प्रथम सत्र अतिरिक्त न्यायाधीश के कोर्ट में रिवीजन पिटिशन दायर की.
पढ़ें- कृषि विवि में प्रवेश नियमों में बदलाव को लेकर HC में सुनवाई, एक सीट रिजर्व रखने के निर्देश
6 महीने से जेल में है बंद
कोर्ट ने उसकी रिवीजन पिटिशन को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए 2 लाख की जगह 1 लाख कर दिया, साथ ही 10 हजार का बेल बॉन्ड भी जोड़ दिया. आरोपी इस राशि को भी भरने में असमर्थ था. जिसके बाद उसने अपने वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में क्रिमिनल मिसलेनियस पिटिशन दायर की. मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी के अधिवक्ता ने इस तरह की जमानत को हाईकोर्ट के सामने कठोर जमानत बताया. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस तरह के कठोर जमानत की वजह से आरोपी पिछले 6 महीने से जेल में बंद है.
व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन- जस्टिस संजय अग्रवाल
मामले को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस संजय के अग्रवाल की सिंगल बेंच ने आदेश जारी कर कहा है कि जमानत में कठोरता संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आरोपी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होगा. अपना आदेश जारी करने के साथ ही हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी.