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आईपीएस रजनेश सिंह को हाई कोर्ट का झटका, कैट के फैसले को किया निरस्त

बिलासपुर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कैट के फैसलों को रद्द करते हुए आईपीएस रजनेश के खिलाफ फैसला सुनाया है. लेकिन छत्तीसगढ़ शासन ने दोबारा रिट दायर की है.पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

Bilaspur High Court
बिलासपुर हाई कोर्ट
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Published : Sep 8, 2022, 11:21 AM IST

बिलासपुर: बिलासपुर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कैट के फैसलों को रद्द करते हुए आईपीएस रजनेश को झटका दिया है. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले में कहा है कि राज्य समीक्षा समिति का अनुमोदन लेकर निलंबन जारी रखने का आदेश देना अखिल भारतीय सेवा नियम 1986 के नियम 3 (18) का उलंघन नहीं है. यह पूरा मामले आईपीएस रजनेश सिंह से जुड़ा है. हाई कोर्ट के इस आदेश से रजनेश सिंह को बड़ा झटका मिला.

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला, पिता को नहीं मिलेगी बच्चे की कस्टडी

जानिए क्या है पूरा मामला: छत्तीसगढ़ में पदस्थ है. आईपीएस रजनेश सिंह के निलंबन को लेकर हाई कोर्ट ने कैट के आदेश को निरस्त कर दिया है. रजनेश सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में जांच की जा रही थी. छत्तीसगढ़ में पंजीबद्ध अपराध के कारण चल रहे विभागीय जांच के कारण आदेश देकर 9 सितंबर 2019 में निलंबित कर दिया गया था. शासन के राज्य समीक्षा समिति का अनुमोदन प्राप्त कर आगे भी निलंबन को जारी रखने का आदेश किया गया था. आईपीएस रजनीश अपने निलंबन और उसे जारी रखने के आदेश के खिलाफ अपील प्रस्तुत की. जिसे केंद्र सरकार ने गुण और दोष के आधार पर खारिज कर दिया. इसके बाद इन आदेशों के खिलाफ रजनीश सिंह ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण जबलपुर में ओरिजिनल एप्लीकेशन प्रस्तुत की.

कैट जबलपुर ने अपने आदेश 16 नवंबर 2019 में राज्य शासन के आदेशों को अखिल भारती अनुशासन और अपील नियम 1969 की नियम 3(18) का उल्लंघन माना. रजनीश सिंह के निलंबन जारी रखने के आदेशों और अपीली आदेश को निरस्त कर छत्तीसगढ़ शासन को 2 माह के अंदर इन्हें निलंबन से बहाल कर सभी लाभों को प्रदान करने आवश्यक आदेश पारित करने का आदेश दिया था.

राज्य शासन ने हाई कोर्ट में केट के फैसले को चैलेंज किया: छत्तीसगढ़ शासन ने हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश के खिलाफ रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी. हाई कोर्ट में दोनों पक्षों के प्रस्तुत तर्क पर विचार कर विधि और नियमों के अनुसार निर्णय दिया. हाई कोर्ट ने आधारित किया कि राज्य समीक्षा समिति का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद निलंबन जारी रखने का आदेश पारित किया गया है. इसलिए अखिल भारतीय सेवा अनुशासन और अपील नियम 1969 के नियम (18) का उल्लंघन नहीं माना जा सकता. शासन द्वारा प्रस्तुत याचिका स्वीकार कर कैट जबलपुर द्वारा पारित आदेश निरस्त कर दिया गया है.

बिलासपुर: बिलासपुर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कैट के फैसलों को रद्द करते हुए आईपीएस रजनेश को झटका दिया है. हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले में कहा है कि राज्य समीक्षा समिति का अनुमोदन लेकर निलंबन जारी रखने का आदेश देना अखिल भारतीय सेवा नियम 1986 के नियम 3 (18) का उलंघन नहीं है. यह पूरा मामले आईपीएस रजनेश सिंह से जुड़ा है. हाई कोर्ट के इस आदेश से रजनेश सिंह को बड़ा झटका मिला.

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जानिए क्या है पूरा मामला: छत्तीसगढ़ में पदस्थ है. आईपीएस रजनेश सिंह के निलंबन को लेकर हाई कोर्ट ने कैट के आदेश को निरस्त कर दिया है. रजनेश सिंह के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में जांच की जा रही थी. छत्तीसगढ़ में पंजीबद्ध अपराध के कारण चल रहे विभागीय जांच के कारण आदेश देकर 9 सितंबर 2019 में निलंबित कर दिया गया था. शासन के राज्य समीक्षा समिति का अनुमोदन प्राप्त कर आगे भी निलंबन को जारी रखने का आदेश किया गया था. आईपीएस रजनीश अपने निलंबन और उसे जारी रखने के आदेश के खिलाफ अपील प्रस्तुत की. जिसे केंद्र सरकार ने गुण और दोष के आधार पर खारिज कर दिया. इसके बाद इन आदेशों के खिलाफ रजनीश सिंह ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण जबलपुर में ओरिजिनल एप्लीकेशन प्रस्तुत की.

कैट जबलपुर ने अपने आदेश 16 नवंबर 2019 में राज्य शासन के आदेशों को अखिल भारती अनुशासन और अपील नियम 1969 की नियम 3(18) का उल्लंघन माना. रजनीश सिंह के निलंबन जारी रखने के आदेशों और अपीली आदेश को निरस्त कर छत्तीसगढ़ शासन को 2 माह के अंदर इन्हें निलंबन से बहाल कर सभी लाभों को प्रदान करने आवश्यक आदेश पारित करने का आदेश दिया था.

राज्य शासन ने हाई कोर्ट में केट के फैसले को चैलेंज किया: छत्तीसगढ़ शासन ने हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेश के खिलाफ रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी. हाई कोर्ट में दोनों पक्षों के प्रस्तुत तर्क पर विचार कर विधि और नियमों के अनुसार निर्णय दिया. हाई कोर्ट ने आधारित किया कि राज्य समीक्षा समिति का अनुमोदन प्राप्त करने के बाद निलंबन जारी रखने का आदेश पारित किया गया है. इसलिए अखिल भारतीय सेवा अनुशासन और अपील नियम 1969 के नियम (18) का उल्लंघन नहीं माना जा सकता. शासन द्वारा प्रस्तुत याचिका स्वीकार कर कैट जबलपुर द्वारा पारित आदेश निरस्त कर दिया गया है.

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