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ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई, शहरों में साइलेन्स जोन घोषित कर डीजे बैन करने के निर्देश

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में हो रहे ध्वनि प्रदूषण और डीजे साउंड को लेकर राज्य शासन को कड़े निर्देश दिए हैं. डीजे से हो रहे ध्वनि प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के साथ हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई की. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस अरविंद कुमार चन्देल की डबल बेंच ने शासन को ध्वनि प्रदूषण मामले में हुई कार्रवाई की जानकारी शपथपत्र के साथ देने को कहा है.

Bilaspur High Court instructions regards noise pollution
ध्वनि प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 21, 2023, 3:05 PM IST

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर शहर में हो रहे लगातार साउंड पॉल्यूशन को लेकर पिछले वर्ष धार्मिक आयोजन और प्रतिमा विसर्जन में बजने वाले डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था. आदेश का पालन नहीं करने वाले डीजे संचालकों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. इसके बाद भी सड़कों पर डीजे के कानफोड़ू शोर से हो रही दिक्कतों पर चीफ जस्टिस ने दो माह पहले 29 सितंबर को स्वत: संज्ञान लिया था. जिसमें कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के इस विषय पर दिए गए पहले के आदेशों का उल्लेख करते हुए इनके पालन के संबंध में मुख्य सचिव को रिपोर्ट देने का अंतरिम आदेश दिया था.

डीजे पर कार्रवाई नहीं होने से हाईकोर्ट नाराज : सुनवाई के दौरान डबल बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव से जानकारी मांगी थी. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को कहा था कि उत्सवों के अवसर पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों और डीजे से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के खतरे को खत्म करने के लिए क्या प्रयास किए गए. कोर्ट ने इस संबंध में एक विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने शासन को निर्देश दिए थे. साथ ही साथ शहरों में साइलेन्स जोन घोषित कर डीजे बैन करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं.

त्योहारों और विसर्जन में डीजे पर बैन : धार्मिक आयोजनों में साउंड पॉल्यूशन फैलाई जाने को लेकर राज्य शासन ने कुछ लोगों पर ही कार्रवाई कर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने की बात हाईकोर्ट ने की थी. इस मामले को लेकर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए शासन को अब निर्देश दिया है कि कार्रवाई करें और कार्रवाई की जानकारी कोर्ट को प्रेषित करें. ताकि इससे यह समझ में आए कि कोर्ट के आदेश का पालन हो रहा है. इसके अलावा डीजे संचालकों पर किस तरह की कार्रवाई की गई है और कितना जुर्माना लगाया गया है इस पर भी कोर्ट ने सुनवाई में चर्चा की. हालांकि कोर्ट इस मामले में अभी और सुनवाई करेगा और इस पर कई और दिशा निर्देश कोर्ट जारी कर सकता है.

हाईकोर्ट ने माना नहीं हुआ सुधार : इस मामले में शासन ने नियम बनाकर डीजे प्रतिबन्धित करने की जानकारी दी है. लेकिन चीफ जस्टिस ने माना कि बिलासपुर शहर में ध्वनि प्रदूषण की वर्तमान स्थिति बदहाल है, जो समाचारों की कतरनों से भी स्पष्ट है. कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि यह जिम्मेदार राज्य अधिकारियों के अपमानजनक कृत्य के अलावा और कुछ नहीं है. अफसर ध्वनि प्रदूषण को रोकने और डीजे के कानफोड़ू आवाज को कम करने के प्रयास में असफल रहे हैं . सुप्रीम के साथ-साथ इस कोर्ट के आदेश और निर्देश पारित करने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

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आपको बता दें कि पिछले साल 19 फरवरी को भी हाईकोर्ट ने डीजे से ध्वनि प्रदूषण पर दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय को शासन से यह दिशा निर्देश लेने को कहा था. शहर में बज रहे डीजे के कारण तत्कालीन कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध अवमानना याचिका पर कोर्ट ने आदेश दिया था. कोर्ट ने सुनवाई में बिलासपुर में डीजे पर हुई कार्रवाई की पूरी जानकारी मांगी है.

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासपुर शहर में हो रहे लगातार साउंड पॉल्यूशन को लेकर पिछले वर्ष धार्मिक आयोजन और प्रतिमा विसर्जन में बजने वाले डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया था. आदेश का पालन नहीं करने वाले डीजे संचालकों पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे. इसके बाद भी सड़कों पर डीजे के कानफोड़ू शोर से हो रही दिक्कतों पर चीफ जस्टिस ने दो माह पहले 29 सितंबर को स्वत: संज्ञान लिया था. जिसमें कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के इस विषय पर दिए गए पहले के आदेशों का उल्लेख करते हुए इनके पालन के संबंध में मुख्य सचिव को रिपोर्ट देने का अंतरिम आदेश दिया था.

डीजे पर कार्रवाई नहीं होने से हाईकोर्ट नाराज : सुनवाई के दौरान डबल बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव से जानकारी मांगी थी. हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को कहा था कि उत्सवों के अवसर पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों और डीजे से उत्पन्न ध्वनि प्रदूषण के खतरे को खत्म करने के लिए क्या प्रयास किए गए. कोर्ट ने इस संबंध में एक विस्तृत शपथपत्र प्रस्तुत करने शासन को निर्देश दिए थे. साथ ही साथ शहरों में साइलेन्स जोन घोषित कर डीजे बैन करने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं.

त्योहारों और विसर्जन में डीजे पर बैन : धार्मिक आयोजनों में साउंड पॉल्यूशन फैलाई जाने को लेकर राज्य शासन ने कुछ लोगों पर ही कार्रवाई कर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने की बात हाईकोर्ट ने की थी. इस मामले को लेकर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर करते हुए शासन को अब निर्देश दिया है कि कार्रवाई करें और कार्रवाई की जानकारी कोर्ट को प्रेषित करें. ताकि इससे यह समझ में आए कि कोर्ट के आदेश का पालन हो रहा है. इसके अलावा डीजे संचालकों पर किस तरह की कार्रवाई की गई है और कितना जुर्माना लगाया गया है इस पर भी कोर्ट ने सुनवाई में चर्चा की. हालांकि कोर्ट इस मामले में अभी और सुनवाई करेगा और इस पर कई और दिशा निर्देश कोर्ट जारी कर सकता है.

हाईकोर्ट ने माना नहीं हुआ सुधार : इस मामले में शासन ने नियम बनाकर डीजे प्रतिबन्धित करने की जानकारी दी है. लेकिन चीफ जस्टिस ने माना कि बिलासपुर शहर में ध्वनि प्रदूषण की वर्तमान स्थिति बदहाल है, जो समाचारों की कतरनों से भी स्पष्ट है. कोर्ट ने सुनवाई में कहा कि यह जिम्मेदार राज्य अधिकारियों के अपमानजनक कृत्य के अलावा और कुछ नहीं है. अफसर ध्वनि प्रदूषण को रोकने और डीजे के कानफोड़ू आवाज को कम करने के प्रयास में असफल रहे हैं . सुप्रीम के साथ-साथ इस कोर्ट के आदेश और निर्देश पारित करने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है.

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आपको बता दें कि पिछले साल 19 फरवरी को भी हाईकोर्ट ने डीजे से ध्वनि प्रदूषण पर दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय को शासन से यह दिशा निर्देश लेने को कहा था. शहर में बज रहे डीजे के कारण तत्कालीन कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध अवमानना याचिका पर कोर्ट ने आदेश दिया था. कोर्ट ने सुनवाई में बिलासपुर में डीजे पर हुई कार्रवाई की पूरी जानकारी मांगी है.

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