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अमित जोगी जाति मामला, सिंगल बेंच ने सुनवाई से किया इंकार

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Published : Sep 16, 2020, 1:27 PM IST

अमित जोगी जाति मामले में बिलासपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. पूरे मामले को दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया गया है.

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अमित जोगी जाति मामला

बिलासपुर : अमित जोगी के जाति मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच ने पूरे मामले को दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया है. बता दें कि संत कुमार नेताम की शिकायत पर जिला स्तरीय छानबीन समिति पेंड्रा ने अमित जोगी को उनके जाति मामले में सभी दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए तीन बार नोटिस जारी किया गया था. लेकिन अमित जोगी की ओर से तीनों बार कोरोना वायरस का हवाला देते हुए जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई थी. कुछ दिनों बाद ही अमित जोगी ने छानबीन समिति की ओर से जारी किए गए नोटिस की वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी.

अमित जोगी की याचिका पर जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच में सुनवाई होनी थी, लेकिन निजी कारणों का हवाला देते हुए सिंगल बेंच ने मामले पर सुनवाई से इंकार करते हुए दूसरी बेंच को केस ट्रांसफर कर दिया है. बता दें कि पूरे प्रकरण में संत कुमार नेताम की ओर से भी खुद को पक्षकार बनाने के लिए याचिका दायर की गई है. अब मामले में आने वाले दिनों में दूसरी बेंच सुनवाई करेगी.

पढ़ें : जाति मामले में अमित जोगी के खिलाफ जांच समिति का गठन, हाईकोर्ट का करेंगे रूख

क्या है पूरा मामला
भाजपा नेता समीरा पैकरा ने 16 जून 2020 और 17 जून 2020 को संत कुमार नेताम ने लिखित शिकायत करते हुए अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को अविलंब रद्द करने की मांग की थी. शिकायत में 2019 में हाई पावर कमेटी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के निर्णय के साथ ही अमित जोगी के जन्म स्थान को लेकर की गई FIR का भी जिक्र करते हुए कहा गया था कि उसमें नियमों की अनदेखी और दस्तावेजों की जांच किए बिना ही अमित जोगी को जाति प्रमाण पत्र 2 दिन में जारी कर दिया गया था. आदिवासी नेता संत कुमार नेताम ने 17 जून को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर को आवेदन देकर मामले में अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को कहा था.

अमित जोगी का आरोप

बता दें छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और जनजाति नियमों के अनुसार जिला स्तरीय छानबीन समिति का गठन राज्यपाल के आदेश पर सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर किया जाता है, लेकिन जेसीसीजे प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के जाति प्रकरण पर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के कलेक्टर ने जो छानबीन समिति बनाई है, इसमें कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अमित जोगी ने कहा था कि जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर छानबीन समिति बनाई गई है उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि छत्तीसगढ़ में कानून की कोई एहमियत नहीं है.

कब शुरू हुआ मामला

बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले में हाई-पावर कमेटी की रिपोर्ट में उन्हें आदिवासी नहीं माना था. इसके बाद छत्तीसगढ़ में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया था. साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सिंह सरकार को पूर्व आईएएस अधिकारी जोगी की जाति का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे. जून, 2017 में कमेटी ने अपनी जांच में जोगी को आदिवासी नहीं माना. इसके खिलाफ जोगी हाईकोर्ट पहुंच गए. 2018 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दूसरी बार उच्चाधिकार स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया था.

बिलासपुर : अमित जोगी के जाति मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई से इंकार कर दिया है. जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच ने पूरे मामले को दूसरी बेंच में ट्रांसफर कर दिया है. बता दें कि संत कुमार नेताम की शिकायत पर जिला स्तरीय छानबीन समिति पेंड्रा ने अमित जोगी को उनके जाति मामले में सभी दस्तावेजों के साथ उपस्थित होने के लिए तीन बार नोटिस जारी किया गया था. लेकिन अमित जोगी की ओर से तीनों बार कोरोना वायरस का हवाला देते हुए जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई थी. कुछ दिनों बाद ही अमित जोगी ने छानबीन समिति की ओर से जारी किए गए नोटिस की वैधता को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी थी.

अमित जोगी की याचिका पर जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच में सुनवाई होनी थी, लेकिन निजी कारणों का हवाला देते हुए सिंगल बेंच ने मामले पर सुनवाई से इंकार करते हुए दूसरी बेंच को केस ट्रांसफर कर दिया है. बता दें कि पूरे प्रकरण में संत कुमार नेताम की ओर से भी खुद को पक्षकार बनाने के लिए याचिका दायर की गई है. अब मामले में आने वाले दिनों में दूसरी बेंच सुनवाई करेगी.

पढ़ें : जाति मामले में अमित जोगी के खिलाफ जांच समिति का गठन, हाईकोर्ट का करेंगे रूख

क्या है पूरा मामला
भाजपा नेता समीरा पैकरा ने 16 जून 2020 और 17 जून 2020 को संत कुमार नेताम ने लिखित शिकायत करते हुए अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को अविलंब रद्द करने की मांग की थी. शिकायत में 2019 में हाई पावर कमेटी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने के निर्णय के साथ ही अमित जोगी के जन्म स्थान को लेकर की गई FIR का भी जिक्र करते हुए कहा गया था कि उसमें नियमों की अनदेखी और दस्तावेजों की जांच किए बिना ही अमित जोगी को जाति प्रमाण पत्र 2 दिन में जारी कर दिया गया था. आदिवासी नेता संत कुमार नेताम ने 17 जून को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही कलेक्टर को आवेदन देकर मामले में अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र रद्द करने को कहा था.

अमित जोगी का आरोप

बता दें छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति और जनजाति नियमों के अनुसार जिला स्तरीय छानबीन समिति का गठन राज्यपाल के आदेश पर सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर किया जाता है, लेकिन जेसीसीजे प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी के जाति प्रकरण पर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के कलेक्टर ने जो छानबीन समिति बनाई है, इसमें कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अमित जोगी ने कहा था कि जिस तरह से नियमों को ताक पर रखकर छानबीन समिति बनाई गई है उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि छत्तीसगढ़ में कानून की कोई एहमियत नहीं है.

कब शुरू हुआ मामला

बता दें कि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति के मामले में हाई-पावर कमेटी की रिपोर्ट में उन्हें आदिवासी नहीं माना था. इसके बाद छत्तीसगढ़ में उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कंवर आदिवासी होने के प्रमाण पत्र को खारिज कर दिया था. साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की तत्कालीन रमन सिंह सरकार को पूर्व आईएएस अधिकारी जोगी की जाति का पता लगाने के लिए एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए थे. जून, 2017 में कमेटी ने अपनी जांच में जोगी को आदिवासी नहीं माना. इसके खिलाफ जोगी हाईकोर्ट पहुंच गए. 2018 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दूसरी बार उच्चाधिकार स्क्रूटनी कमेटी का गठन किया था.

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