बिलासपुर: CGPSC सिविल जज परीक्षा केस में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने मामले में 9 छात्रों में से 4 छात्रों को मेन्स एग्जाम में बैठने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने पीएससी की याचिका भी स्वीकार कर ली है, इसमें सिविल जज परीक्षा रद्द न करने की मांग की गई थी.
हालांकि कोर्ट ने पीएससी को फटकार लगते हुए कहा है कि, 'हम आपके कार्य शैली से संतुष्ट नहीं हैं.' मामले में फैसला देने के बाद कोर्ट ने याचिकाओं को निराकृत कर दिया है. पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की डिवीजन बेंच द्वारा की गई है.
9 छात्रों ने कोर्ट में दायर की थी याचिका
बता दें, पीएससी ने मई 2019 को सिविल जज की परीक्षा ली थी, जिसके परिणाम जुलाई में घोषित किए गए थे, लेकिन परीक्षा में पूछे गए सवालों को लेकर 9 छात्रों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर सुनवाई के बाद जस्टिस भादुड़ी की सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए सिविल जज परीक्षा रद्द कर दी थी. साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेशित किया था कि पीएससी छात्रों से बिना अतिरिक्त शुल्क लिए फिर से एग्जाम कंडक्ट कराया जाए.
क्या था मामला
सिंगल बेंच के इस फैसले को चुनौती देते हुए पीएससी और परीक्षा पास करने वाले छात्रों ने डिवीजन बेंच में रिट अपील दायर की थी. इन याचिकाओं में पीएससी एग्जाम को रद्द न करने की मांग की गई थी. डिवीजन बेंच ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फर्स्ट मॉडल आंसर और अमेंडेड मॉडल आंसर के अनुसार चयनित 427 बच्चों के कितने नंबर आए थे यह जानकारी पीएससी से मांगी गई थी. जानकारी मिलने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला मामले में सुरक्षित रख लिया था, जिसे मंगलवार को जारी किया गया है.