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बिलासपुर हाईकोर्ट ने औद्योगिक अध्यक्ष की नियुक्ति की निरस्त - Bilaspur High Court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति को निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पहले ही पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रखा था. मामले में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने अब अपना फैसला जारी कर दिया है. हाईकोर्ट ने पहले से नियुक्त औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष को किसी भी आधिकारिक कार्य करने से रोक लगा दी है. कोर्ट ने सरकार के किये नियम संशोधन को भी असंवैधानिक बताया है.

बिलासपुर हाईकोर्ट ने औद्योगिक अध्यक्ष की नियुक्ति की निरस्त
बिलासपुर हाईकोर्ट ने औद्योगिक अध्यक्ष की नियुक्ति की निरस्त
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Published : Nov 12, 2022, 7:06 PM IST

बिलासपुर :औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर कर अध्यक्ष अग्रवाल जोशी की नियुक्ति को निरस्त (Bilaspur High Court canceled appointment ) कर (industrial chairman in chhattisgarh ) दिया है. जो नियम सरकार ने संशोधित किया उसे भी असंवैधानिक करार दिया है. इससे पहले अंतिम बहस के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जनहित याचिका में राज्य औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति हाईकोर्ट की अनुशंसा प्राप्त करके की जाती है यह नियुक्तियां छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 के अंतर्गत अनिवार्य है.

क्या हुआ था पिछली सुनवाई में : पिछली सुनवाई के दौरान पता चला कि हाईकोर्ट से अध्यक्ष पद के लिए 1 नाम की अनुशंसा की जा चुकी है. इस पर फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज अग्रवाल जोशी को अगले 5 साल के लिए 65 वर्ष की आयु तक नियुक्त कर दिया गया है. इसको ही विशेषकर याचिकाकर्ता ने डिवीजन बेंच में कार्यभार लेने पर स्टे के लिए याचिका प्रस्तुत किया था. डिविजन बेंच में सभी पक्षों ने अपनी बहस पूरी कर ली थी.

तीन हफ्तों के भीतर अनुशंसा के मुताबिक होगी नियुक्ति : इसके बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने यह फैसला अब जारी करते हुए अध्यक्ष अग्रवाल जोशी की नियुक्ति को निरस्त कर दिया है. शासन ने हाईकोर्ट द्वारा अनुशंसित अधिकारी को अध्यक्ष नहीं बनाया और नियम संशोधित किया था. उसे भी असंवैधानिक करार दिया गया है. इसके साथ ही 3 सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट द्वारा की गई अनुशंसा के मुताबिक ही नियुक्ति करने के निर्देश दिए गए हैं.

औद्योगिक न्यायालय के नियुक्त अध्यक्ष के कार्य पर रोक : चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के इस नियुक्ति पर रोक लगाते हुए औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष के कार्य करने से रोक लगा दिया है. डिवीजन बेंच ने अग्रवाल जोशी के वकील ने स्थगन को रिक्त करने का अनुरोध किया था. हाईकोर्ट ने इसे नामंजूर कर दिया है और अध्यक्ष के द्वारा किसी भी अधिकारी कार्य को करने पर रोक लगा दी है.

बिलासपुर :औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति के मामले में हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर कर अध्यक्ष अग्रवाल जोशी की नियुक्ति को निरस्त (Bilaspur High Court canceled appointment ) कर (industrial chairman in chhattisgarh ) दिया है. जो नियम सरकार ने संशोधित किया उसे भी असंवैधानिक करार दिया है. इससे पहले अंतिम बहस के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जनहित याचिका में राज्य औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष की नियुक्ति हाईकोर्ट की अनुशंसा प्राप्त करके की जाती है यह नियुक्तियां छत्तीसगढ़ औद्योगिक संबंध अधिनियम 1960 के अंतर्गत अनिवार्य है.

क्या हुआ था पिछली सुनवाई में : पिछली सुनवाई के दौरान पता चला कि हाईकोर्ट से अध्यक्ष पद के लिए 1 नाम की अनुशंसा की जा चुकी है. इस पर फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज अग्रवाल जोशी को अगले 5 साल के लिए 65 वर्ष की आयु तक नियुक्त कर दिया गया है. इसको ही विशेषकर याचिकाकर्ता ने डिवीजन बेंच में कार्यभार लेने पर स्टे के लिए याचिका प्रस्तुत किया था. डिविजन बेंच में सभी पक्षों ने अपनी बहस पूरी कर ली थी.

तीन हफ्तों के भीतर अनुशंसा के मुताबिक होगी नियुक्ति : इसके बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था. चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने यह फैसला अब जारी करते हुए अध्यक्ष अग्रवाल जोशी की नियुक्ति को निरस्त कर दिया है. शासन ने हाईकोर्ट द्वारा अनुशंसित अधिकारी को अध्यक्ष नहीं बनाया और नियम संशोधित किया था. उसे भी असंवैधानिक करार दिया गया है. इसके साथ ही 3 सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट द्वारा की गई अनुशंसा के मुताबिक ही नियुक्ति करने के निर्देश दिए गए हैं.

औद्योगिक न्यायालय के नियुक्त अध्यक्ष के कार्य पर रोक : चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के इस नियुक्ति पर रोक लगाते हुए औद्योगिक न्यायालय के अध्यक्ष के कार्य करने से रोक लगा दिया है. डिवीजन बेंच ने अग्रवाल जोशी के वकील ने स्थगन को रिक्त करने का अनुरोध किया था. हाईकोर्ट ने इसे नामंजूर कर दिया है और अध्यक्ष के द्वारा किसी भी अधिकारी कार्य को करने पर रोक लगा दी है.

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