बिलासपुर: बिलासपुर मोपका, चिल्हाटी और लगरा की 40 एकड़ सरकारी जमीन के मामले में अब जांच करने के लिए बनी टीम के सामने घोटाले की परत दर परत खुलने लगी है. पुलिस जांच में तहसील और राजस्व के कई अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं. उनके संलिप्तता की जांच पुलिस कर रही है. ऐसा माना जा रहा है कि इस घोटाले में कई भूमाफिया और सरकारी कर्मचारियों के नाम उजागर हो सकते हैं.
दरअसल, 2 माह पहले मोपका, चिल्हाटी, लगरा की सरकारी और निजी जमीन के फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया था. उस मामले में पुलिस की जांच तेज हो गई है. पुलिस के मुताबिक इस मामले में जांच के दायरे में तत्कालीन अधिकारी, कर्मचारी जैसे राजस्व और भू-अभिलेख अधिकारी कर्मचारी से मिलकर भूमाफियाओं ने जमीन घोटाला किया है. उनके संलिप्तता सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी भी जांच के दायरे में आ रहे हैं. जांच के बाद पुलिस इन पर शिकंजा कसते हुए FIR में इनका नाम भी जोड़ सकती है.
दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद पुलिस ने जिस समय ये घोटाला हुआ है, उस समय के तत्कालीन अधिकारियों सहित कई जमीन दलालों को जांच बिंदु में शामिल किया है. इस मामले में बिलासपुर एसएसपी पारुल माथुर ने बताया कि उन्हें 8 खसरा नंबर के घोटालों की जांच की जिम्मेदारी मिली है. जिसमे 6 पर FIR की जा चुकी है. इस मामले में रिक्शा चालक भोंदू दास और कुछ और लोगों को पहले ही जेल भेजा जा चुका है. अब सरकारी कर्मचारी का मामले में नंबर लगने वाला है.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा: जिला प्रशासन और पुलिस को पिछले दिनों एक शिकायत मिली थी. इसमें यह बताया गया था कि चिल्हाटी, मोपका, लगरा की करोड़ों रुपए कीमत की शासकीय, निस्तारित, घास भूमि और अन्य लोगों की जमीन को फर्जी तरीके से और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करके हेमू नगर में रहने वाले रिक्शा चालक भोंदूदास के नाम दर्ज कराया गया है. उससे मुख्तारनामा लेकर बेच भी दिया गया है. इस मामले की जांच की गई तो पता चला कि भोंदूदास और अन्य के द्वारा ही फर्जीवाड़ा किया गया है. पुलिस ने रिक्शा चालक भोंदूदास को गिरफ्तार कर लिया है. इस मामले में पूरा खेल शहर के बड़े भू माफिया द्वारा खेला जा रहा है.
यह पूरा मामला अधिकारी, भू माफिया और रिक्शा चालक के द्वारा खेला गया है. हालांकि इस मामले में रिक्शा चालक केवल एक मोहरा है, जबकि इसके पीछे बड़े-बड़े भू-माफिया और राजस्व अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है. सभी ने मिलकर करोड़ों की जमीन को रिक्शा चालक के नाम कर दिया.और उसके माध्यम से पावर ऑफ अटॉर्नी लेकर जमीन बेची भी जा रही है. हालांकि इस मामले में रिक्शा चालक को भी हर रजिस्ट्री के पीछे उसके बैंक अकाउंट में पैसा जमा किया जाता है. ये पैसा सेल्फ डिपॉजिट या अन्य माध्यम से किया जाता है.
क्या है पूरा मामला: कुछ दिन पहले किसी ने जिला प्रशासन और पुलिस को शिकायत के माध्यम से बताया कि बिलासपुर के हेमुनागर के रिक्शा चालक भोंदू दास के नाम चिल्हाटी, मोपका और लगरा की करोड़ों रुपए के सरकारी और कुछ निजी जमीनों को सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर उसके नाम कर दिया गया है. जमीन घोटाले में करोड़पति रिक्शा चालक भोंदू दास ने साल 1976 में जिससे जमीन खरीदने का दावा किया है. उसकी मौत 1974 में ही हो चुकी थी. लेकिन साल 2015 में इन जमीनों के नामांतरण और रिकॉर्ड के लिए फाइल राजस्व कार्यालय पहुंची, तो बिना जांच किये उस समय तहसीलदार रहे संदीप ठाकुर ने साइन भी कर दिया. जमीन का नामांतरण होने के बाद इसका पावर ऑफ अटॉर्नी किसी ने अपने नाम कर लिया. इसके बाद उस भूमाफिया ने जमीनों को बेचने का काम शुरू कर दिया. इस मामले में मिली शिकायत के बाद जिला प्रशासन के निर्देश के बाद पुलिस ने एफआईआर कर जांच कमेटी गठित कर जांच शुरू की.
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मुख्यमंत्री और आईजी से शिकायत के बाद जांच हुई शुरू: इस जमीन घोटाले के मामले में जिस शिकायतकर्ता ने जिला प्रशासन को शिकायत की थी. उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री और बिलासपुर रेंज के आईजी को भी शिकायत की थी. शिकायत में बताया गया था कि भोंदूदास के नाम पर मोपका और चिल्हाटी में कई एकड़ सरकारी जमीन दर्ज थी. इस पर प्लॉटिंग भी शुरू हो गई. इस मामले की शिकायत के बाद IG रतनलाल डांगी ने जांच बिठा दी. जांच के बाद मामले की परत खुलने लगी तो अचानक से तत्कालीन तहसीलदार संदीप ठाकुर ने मामले में अपनी तरफ से एफआईआर करवाई. सोमवार को रिक्शा चालक भोंदूदास को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. जबकि इस पूरे मामले में घोटाले की एफआईआर वर्तमान अफसर को दर्ज करानी चाहिए थी. लेकिन वर्तमान अफसर की जगह पूर्व में तहसीलदार रहे संदीप ठाकुर ने मामले पर खुद को बचाने एफआईआर दर्ज कराई है.
कौन है मास्टरमाइंड: करोड़ों की सरकारी और निजी जमीन रिक्शा चालक के नाम है. जबकि पूरे मामले में इस कृत्य को रिक्शा चालक अंजाम नहीं दे सकता. पूरे मामले का मास्टरमाइंड कौन है? इसका जवाब पुलिस के पास भी नहीं है. मामले में एसएसपी पारुल माथुर का कहना है कि, जमीनों की जब-जब रजिस्ट्री हुई है. तब-तब रिक्शा चालक भोंदूदास के बैंक एकाउंट में सेल्फ डिपॉजिट और अन्य माध्यम से पैसे जमा हुआ है. इस मामले में एसएसपी ने कहा कि वो इस पूरे मामले के हर पहलू की जांच करवा रहे हैं. साथ ही रिक्शा चालक भोंदूदास से पूछताछ में दो अन्य का नाम बताया है. इस मामले में उन दो अन्य की भूमिका की भी तलाश की जा रही है. पूरे मामले को गंभीरता से जांच करने की बात कही है.