बिलासपुर: लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास करने का ख्वाब ज्यादातर लोग देखते हैं. कई-कई साल लोग मेहनत इसीलिए करते रह जाते हैं कि उनका ये सपना पूरा हो जाएगा. ऐसा ही सपना देखा बिलासपुर के दंपति अनुभव और विभा सिन्हा ने. दोनों ने न सिर्फ छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की बल्कि पति ने पहला तो पत्नी ने दूसरा स्थान हासिल किया.
अनुभव और विभा कहते हैं कि उन्हें पास होने की उम्मीद तो थी, लेकिन टॉप करना बोनस जैसा था. दोनों साल 2008 से परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. अनुभव बताते हैं कि इतनी असफलताएं मिली कि वो सिर्फ इस इंतजार में थे कि एक बार पास हो जाएं, लेकिन जब दोनों के टॉप करने की खबर मिली तो खुशी का ठिकाना न रहा. अनुभव और विभा दोनों ने इसके लिए 10 साल मेहनत की.
अनुभव ने अपनी सफलता के लिए मां, पत्नी और दोस्तों को दिया धन्यवाद.
- अपनी लव स्टोरी बताते हुए अनुभव ने कहा कि वे दोनों एक साथ पढ़ते थे. 2008 में साथ में पढ़ाई शुरू की. बाद में लक्ष्य और सोच एक होने से प्यार हो गया और 2014 में शादी हो गई.
- अनुभव कहते हैं कि एक-दूसरे के साथ के बिना ये संभव नहीं था. दोनों एक दूसरे को धैर्य देते थे. सिर्फ एक साथ होने और समान योगदान से ये मुमकिन हुआ है.
- अनुभव ने बताया कि वे रायपुर के रहने वाले हैं और यहीं से उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई. उन्होंने बताया कि उनकी मां सिंगल पैरेंट हैं और उन्होंने उन्हें यहां तक पहुंचाने के लिए बहुत मेहनत की है.
- अनुभव ने कहा कि घरवालों ने असफल होने के बाद भी उनका साथ नहीं छोड़ा. वे कहते हैं कि उनकी मां कहती थीं कि एक ही जीवन है पाने के लिए कोशिश कीजिए. सफलता जरूर मिलेगी.
- अनुभव ने कहा कि उन्हें ऐसी पत्नी मिली जो एक ही फील्ड की थी. दोनों हमेशा पढ़ाई से रिलेटेड बात करते थे. परिणाम आने के बाद पीएससी ऑफिस के बाहर ही थे, टेंशन थी. वे कहते हैं कि एग्जाम के आखिर के एक महीने घर में सिर्फ चाय बनी और टिफिन बाहर से मंगाकर खाते थे.
- समोसे की कहानी सुनाते हुए अनुभव कहते हैं कि जब पत्नी सीएमओ की तैयारी कर रही थी तो दिनभर पढ़ाई और जॉब करती थी. क्लास से लौटती थी तो समोसे लाती थी, जिसकी वजह से वजन बढ़ता गया. रिजल्ट का इंतजार कर रहे थे जब स्क्रॉल किया तो पहला और दूसरा नंबर मेरा और मेरी पत्नी का था.
- विभा कहती हैं कि सेलेक्शन का भरोसा था टॉप होने का नहीं. विभा कहती हैं कि वे अपनी खुशी शब्दों में बयां नहीं कर सकती हैं.
- विभा बताती हैं कि वे भी 2008 से तैयारी कर रही थीं. कुछ साल का ब्रेक रहा फिर पिछले साल से तैयारी शुरू कर दी.
- विभा बताती हैं कि वे 2012 में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में एडीओ की पोस्ट के लिए सेलेक्ट हुईं. पीएससी का सेलेक्शन प्रेरित करता था. 2008 में 8 से 10 घंटे पढ़ती थीं. पिछले साल से 5 से 6 घंटे की पढ़ाई हुई.
- विभा बताती हैं कि उन्हें सुबह उठकर पढ़ना पसंद था.
- विभा कहती हैं कि उन्हें अपने हसबैंड का सबसे ज्यादा सपोर्ट था. उनके बनाए नोट्स से ही वे पढ़ती थीं. क्या पढ़ना है, कैसे पढ़ना है, सिर्फ उन्हीं के नोट्स से पढ़कर पास हुईं.
- विभा बताती हैं कि उन्होंने एक महीने तक खाना नहीं बनाया. एक महीने का वक्त कठिन था, क्लास से लौटते वक्त समोसे खाती थीं.
- विभा अपने पति को अपना गुरु मानती हैं.