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खबर का असर: शेल्टर हाउस केस में जिला प्रशासन ने जारी किए आदेश - बिलासपुर शेल्टर होम

ETV भारत की खबर का बड़ा असर हुआ है. सड़कों पर रहे लोगों के रहने-खाने की व्यवस्था के लिए जिला प्रशासन आगे आया है. हमने पूरे शहर के शेल्टर हाउस और सड़कों पर रह रहे लोगों की बदहाल स्थिति को अपनी रिपोर्ट में दिखाया था.

सारांश मित्तर, कलेक्टर
सारांश मित्तर, कलेक्टर
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Published : Sep 28, 2020, 3:28 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 3:51 PM IST

बिलासपुर: शेल्टर हाउस के बाहर भूखे-प्यासे रह रहे लोगों के मुद्दे को ETV भारत ने प्रमुखता से उठाया था, जिसपर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है. बिलासपुर कलेक्टर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए निगम प्रशासन को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं और समाजसेवियों से भी निराश्रितों के लिए योगदान देने की अपील की है. अब इस संवेदनशील मामले में प्रशासन भी संवेदनशीलता का परिचय दे रहा है.

जिला प्रशासन ने जारी किए आदेश

इन सबके बीच विपक्ष भी सरकार पर लगातार सवाल खड़े कर रहा है. विपक्ष का आरोप है कि भूपेश सरकार मंत्री सिर्फ शराब बेचने और भ्रष्टाचार में लगी हुई है, गरीबों से इन्हें कोई मतलब नहीं है. ETV भारत ने शेल्टर हाउस और उसके बाहर रहे रहे लोगों की स्थिति को दिखाया था. शहर के रेलवे क्षेत्र, पुराने बस स्टैंड के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी निराश्रित भूखे प्यासे जीवन जीने को मजबूर हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. हमने शहर के अलग-अलग शेल्टर होम की स्थिति से भी अवगत कराया था कि बाहर भले ही निराश्रित मजबूरों की तादात ज्यादा क्यों न हो लेकिन शेल्टर होम सिर्फ शो-पीस बना हुआ है. शुरुआती कोरोना काल में भी हमने ऐसी तस्वीरों को आपको दिखाया था, लेकिन महीनों गुजरने के बाद भी जिम्मेदारों की संवेदनशीलता अबतक जागी नहीं थी. फिलहाल जिला प्रशासन ने गरीबों की मदद के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं.

पढ़ें : SPECIAL : शेल्टर होम में नहीं मिली जगह, आसमान-जमीन के बीच बना लिया 'आशियाना'

क्या है पूरा मामला?

शहर में कुल 3 शेल्टर होम हैं, जिनमें से दो में ताले जड़े हैं, एक शेल्टर होम खुला भी है तो वहां रहने के लिए बने नियम कानून बेसहारों के लिए सहारा नहीं बन रहा है. बेसहारा लोग मजबूरन शेल्टर होम के बाहर रहने को मजबूर हैं. शेल्टर होम के कर्मचारियों का कहना था कि कोरोना टेस्टिंग प्रक्रिया की जटिलता के कारण शेल्टर होम अभी खाली है. शुरुआती कोरोना काल में भी हमने ऐसी तस्वीरों को आपको दिखाया था.

बेसहारा लोगों का कहना है कि वो स्टेशन के समीप फिलहाल तिरपाल लगाकर अपने दो बच्चों के साथ जैसे-तैसे जिंदगी गुजार रहे हैं. रात में बारिश होती है तो पूरी-पूरी रात वो जगे रह जाते हैं. वो पहले मजदूरी करके अपना और परिवार का पेट पालते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण ये यहीं फंसे हुए हैं.

बिलासपुर: शेल्टर हाउस के बाहर भूखे-प्यासे रह रहे लोगों के मुद्दे को ETV भारत ने प्रमुखता से उठाया था, जिसपर जिला प्रशासन ने संज्ञान लिया है. बिलासपुर कलेक्टर ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए निगम प्रशासन को जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए हैं और समाजसेवियों से भी निराश्रितों के लिए योगदान देने की अपील की है. अब इस संवेदनशील मामले में प्रशासन भी संवेदनशीलता का परिचय दे रहा है.

जिला प्रशासन ने जारी किए आदेश

इन सबके बीच विपक्ष भी सरकार पर लगातार सवाल खड़े कर रहा है. विपक्ष का आरोप है कि भूपेश सरकार मंत्री सिर्फ शराब बेचने और भ्रष्टाचार में लगी हुई है, गरीबों से इन्हें कोई मतलब नहीं है. ETV भारत ने शेल्टर हाउस और उसके बाहर रहे रहे लोगों की स्थिति को दिखाया था. शहर के रेलवे क्षेत्र, पुराने बस स्टैंड के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी निराश्रित भूखे प्यासे जीवन जीने को मजबूर हैं, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. हमने शहर के अलग-अलग शेल्टर होम की स्थिति से भी अवगत कराया था कि बाहर भले ही निराश्रित मजबूरों की तादात ज्यादा क्यों न हो लेकिन शेल्टर होम सिर्फ शो-पीस बना हुआ है. शुरुआती कोरोना काल में भी हमने ऐसी तस्वीरों को आपको दिखाया था, लेकिन महीनों गुजरने के बाद भी जिम्मेदारों की संवेदनशीलता अबतक जागी नहीं थी. फिलहाल जिला प्रशासन ने गरीबों की मदद के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं.

पढ़ें : SPECIAL : शेल्टर होम में नहीं मिली जगह, आसमान-जमीन के बीच बना लिया 'आशियाना'

क्या है पूरा मामला?

शहर में कुल 3 शेल्टर होम हैं, जिनमें से दो में ताले जड़े हैं, एक शेल्टर होम खुला भी है तो वहां रहने के लिए बने नियम कानून बेसहारों के लिए सहारा नहीं बन रहा है. बेसहारा लोग मजबूरन शेल्टर होम के बाहर रहने को मजबूर हैं. शेल्टर होम के कर्मचारियों का कहना था कि कोरोना टेस्टिंग प्रक्रिया की जटिलता के कारण शेल्टर होम अभी खाली है. शुरुआती कोरोना काल में भी हमने ऐसी तस्वीरों को आपको दिखाया था.

बेसहारा लोगों का कहना है कि वो स्टेशन के समीप फिलहाल तिरपाल लगाकर अपने दो बच्चों के साथ जैसे-तैसे जिंदगी गुजार रहे हैं. रात में बारिश होती है तो पूरी-पूरी रात वो जगे रह जाते हैं. वो पहले मजदूरी करके अपना और परिवार का पेट पालते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण ये यहीं फंसे हुए हैं.

Last Updated : Sep 28, 2020, 3:51 PM IST
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