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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से प्रमोटिव शिक्षकों को बड़ी राहत, संशोधित स्कूलों में करेंगे ज्वाइन

Big Relief To Promotional Teacher छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश में प्रमोशन पाने वाले शिक्षकों को बड़ी राहत दी है. प्रमोशन के बाद शिक्षकों ने जब आवेदन के बाद नए स्कूलों में पदस्थापना ली तो सरकार ने नई पदस्थापना के आदेश को निरस्त किया था.जिसके बाद शिक्षकों को नए स्कूलों से कार्यमुक्त कर दिया गया.इस मामले में शिक्षकों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी.Chhattisgarh High Court

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 8, 2023, 4:05 PM IST

Big Relief To Promotional Teacher
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले से शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है.इस मामले में दिए गए फैसले से सहायक शिक्षकों के शिक्षक पद पर पदोन्नति और शिक्षक से प्रधान पाठक पद पर प्रमोशन करने वाले शिक्षकों को फायदा हुआ है. हाईकोर्ट जस्टिस अरविंद चंदेल की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता शिक्षकों को पुराने स्कूलों में ज्वाइन करने की छूट दे दी थी. इसके बाद भी राज्य सरकार ने इन शिक्षकों की ज्वाइनिंग नहीं कराई. जिस पर शिक्षकों ने दोबारा याचिका दायर कर पोस्टिंग की मांग की थी. शिक्षकों की मांग पर कोर्ट ने अपना विस्तृत फैसला सुनाया.इस फैसले के बाद दस दिन में शिक्षकों को संशोधित स्कूलों में ज्वाइन करने के आदेश जारी किए गए हैं.

राज्य सरकार ने नई पदस्थापना आदेश को किया था निरस्त : आपको बता दें कि राज्य सरकार ने शिक्षकों के प्रमोशन में घोटाला होने की आशंका से पद, स्थापना और ज्वाइन करने के मामले में रोक लगा दिया था. इस रोक के बाद शिक्षक हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे थे. हाई कोर्ट ने मामले में पिछले आदेश में शिक्षकों को संशोधित स्कूलों में ज्वाइन करने का आदेश दिया था. लेकिन हाईकोर्ट के फैसले को तोड़ मरोड़ कर पेश कर राज्य सरकार ने शिक्षकों को संशोधित स्कूलों में ज्वाइन नहीं करने दिया.

हाईकोर्ट में दोबारा हुई याचिका दायर : इस मामले को लेकर शिक्षक संघ ने फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में सुनवाई करते हुए जस्टिस अरविंद चंदेल ने विस्तृत आदेश के साथ राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर संशोधित शालाओं में शिक्षकों को जॉइनिंग देने के आदेश दिए हैं. शिक्षक प्रमोशन पोस्टिंग में घोटाला सामने आने के बाद राज्य शासन ने संशोधन आदेश को निरस्त कर दिया था. जिससे शिक्षक अचरज में थे कि आखिर कोर्ट का आदेश क्या है और राज्य सरकार उन्हें क्यों ज्वाइन नहीं करने दे रही है.

क्या था पूरा मामला ? : प्रदेश के सहायक शिक्षकों को शिक्षक के पद पर प्रमोशन देकर उनकी पदस्थापना स्कूलों में की गई थी. पोस्टिंग में सैंकड़ों शिक्षकों को दूर के स्कूलों में भेजा गया था. इसके खिलाफ शिक्षा विभाग में आवेदन देकर शिक्षकों ने अपनी पदस्थापना में संशोधन करवाया था.जिसके बाद जिला शिक्षाधिकारी ने नए पदस्थापना के आदेश जारी किए थे.लेकिन बाद में ये बात सामने आई कि मनपसंद शाला लेने के लिए पैसों का लेन देन किया गया है.जिसके बाद सरकार ने जिला शिक्षाधिकारी के संशोधन आदेश को ही निरस्त कर दिया था.साथ ही साथ शिक्षकों को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया गया था.जिसके खिलाफ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में संशोधन आदेश को निरस्त करने के खिलाफ याचिका लगाई थी. जिसमें मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद चंदेल की सिंगल बेंच में हुई.कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे.

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राज्य सरकार ने नई पदस्थापना आदेश को किया था निरस्त : आपको बता दें कि राज्य सरकार ने शिक्षकों के प्रमोशन में घोटाला होने की आशंका से पद, स्थापना और ज्वाइन करने के मामले में रोक लगा दिया था. इस रोक के बाद शिक्षक हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे थे. हाई कोर्ट ने मामले में पिछले आदेश में शिक्षकों को संशोधित स्कूलों में ज्वाइन करने का आदेश दिया था. लेकिन हाईकोर्ट के फैसले को तोड़ मरोड़ कर पेश कर राज्य सरकार ने शिक्षकों को संशोधित स्कूलों में ज्वाइन नहीं करने दिया.

हाईकोर्ट में दोबारा हुई याचिका दायर : इस मामले को लेकर शिक्षक संघ ने फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में सुनवाई करते हुए जस्टिस अरविंद चंदेल ने विस्तृत आदेश के साथ राज्य सरकार को 10 दिनों के भीतर संशोधित शालाओं में शिक्षकों को जॉइनिंग देने के आदेश दिए हैं. शिक्षक प्रमोशन पोस्टिंग में घोटाला सामने आने के बाद राज्य शासन ने संशोधन आदेश को निरस्त कर दिया था. जिससे शिक्षक अचरज में थे कि आखिर कोर्ट का आदेश क्या है और राज्य सरकार उन्हें क्यों ज्वाइन नहीं करने दे रही है.

क्या था पूरा मामला ? : प्रदेश के सहायक शिक्षकों को शिक्षक के पद पर प्रमोशन देकर उनकी पदस्थापना स्कूलों में की गई थी. पोस्टिंग में सैंकड़ों शिक्षकों को दूर के स्कूलों में भेजा गया था. इसके खिलाफ शिक्षा विभाग में आवेदन देकर शिक्षकों ने अपनी पदस्थापना में संशोधन करवाया था.जिसके बाद जिला शिक्षाधिकारी ने नए पदस्थापना के आदेश जारी किए थे.लेकिन बाद में ये बात सामने आई कि मनपसंद शाला लेने के लिए पैसों का लेन देन किया गया है.जिसके बाद सरकार ने जिला शिक्षाधिकारी के संशोधन आदेश को ही निरस्त कर दिया था.साथ ही साथ शिक्षकों को एकतरफा कार्यमुक्त कर दिया गया था.जिसके खिलाफ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में संशोधन आदेश को निरस्त करने के खिलाफ याचिका लगाई थी. जिसमें मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद चंदेल की सिंगल बेंच में हुई.कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश जारी किए थे.

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