बिलासपुर: कोलकाता में दुर्गा पूजा में 'महिषासुर' की जगह महात्मा गांधी की तरह दिखने वाली एक प्रतिमा के कारण विवाद खड़ा हो गया. पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ. पुलिस ने ऑल इंडिया हिंदू महासभा के खिलाफ शिकायत दर्ज की है. इस मामले की छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के बंगाली समाज ने भी निंदा की है. कोलकाता पूजा पंडाल में महात्मा गांधी को असुर के रूप में दर्शाने के मामले को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने घोर निंदा की है. कांग्रेस ने आरएसएस की गोडसे विचारधारा को जिम्मेदार ठहराया है.
दुर्गा पूजा में 'महिषासुर' की जगह महात्मा गांधी की प्रतिमा पर विवाद: कोलकाता में दुर्गा पूजा में 'महिषासुर' की जगह महात्मा गांधी की तरह दिखने वाली एक प्रतिमा ने रविवार को राष्ट्रपिता की जयंती पर विवाद खड़ा कर दिया. दक्षिण पश्चिम कोलकाता के रूबी क्रॉसिंग के निकट, अखिल भारतीय हिंदू महासभा पूजा के आयोजकों ने शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस के निर्देशानुसार गांधी की तरह दिखने वाली मूर्ति के रूप में बदलाव कर दिया. ताजा जानकारी के मुताबिक अखिल भारतीय हिंदू महासभा के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है. वहीं, मूर्ति को फिर से असुर की तरह दिखने के लिए फिर से बनाया गया था.
बंगाली समाज का रिएक्शन: बिलासपुर के बंगाली समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि ''धार्मिक पर्व पर किसी भी इंसान की कृति शामिल नहीं करना चाहिए, वो भी देश के प्रति अपना प्राण न्योछावर करने वाले राष्ट्रपिता के मामले में तो बिलकुल नहीं. राष्ट्रपिता किसी विशेष जाति या पार्टी के नहीं बल्कि वो पूरे राष्ट्र के सम्माननीय हैं. वे राष्ट्रपिता हैं और उनके खिलाफ इस तरह की हरकत अशोभनीय है.
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कालीबाड़ी बंगाली समाज के अध्यक्ष सुबीर सेन का कहना है कि यह उचित नहीं है. वास्तव में देवी देवता के साथ किसी व्यक्ति का सिर लगाना तो गलत है ही, वहीं राष्ट्रपिता के साथ ऐसी हरकत करना निंदनीय है.'' कालीबाड़ी बंगाली समाज के वरिष्ठ सदस्य प्रवीण सेनगुप्ता ने कहा कि,'' यह राष्ट्रपिता का अपमान है. राष्ट्रपिता हर जाति, हर कौम और पूरे राष्ट्र कि पिता हैं.'' कालीबाड़ी बंगाली समाज समिति के सदस्य सुदिप्तो दास का कहना है कि '' यह धार्मिक भावनाओं को आहत करता है. यह समाज के लोगों को भी आहत कर रहा है.''
कांग्रेस ने घोर निंदा की: कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि 'कोलकाता की यह घटना निंदनीय है. यह आरएसएस गोडसे वाली मानसिकता का प्रभाव है. देश की आजादी में आपका का कोई योगदान नहीं था, इनका इतिहास में कुछ नहीं है. आज जिस व्यक्ति ने देश को आजादी दिलाई अपना पूरा जीवन देश के ही लगा दिया. उस व्यक्ति को आप देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं. उसकी हत्या करवाते हैं और उसके 7 दशक बाद भी उसकी विचारधारा पर प्रहार करते हैं. यह निंदनीय है. भारत की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी.'