ETV Bharat / state

Ardhanarishvara form of Hanuman: बिलासपुर के रतनपुर में नारी रूप में पूजे जाते हैं हनुमान, यहां पूजा करने से मिटेंगे सभी रोग ! - हनुमान जी का श्रृंगार महिलाओं की तरह

बिलासपुर से 30 किलोमीटर दूर रतनपुर में भगवान हनुमान का एक ऐसा मंदिर है.जहां उनकी पुरुष नहीं बल्कि नारी के रूप में पूजा की जाती है. मंदिर में हनुमान को नारी रूप में दर्शाया गया है. लोग उनसे सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति की कामना करते हैं.हनुमान की अर्धनारीश्वर प्रतिमा के दर्शन मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं.Ratanpur girjavan hanuman temple

Ardhanareshwar form of Hanuman in bilaspur
नारी रूप में पूजे जाते हैं हनुमान
author img

By

Published : Feb 28, 2023, 6:02 AM IST

बिलासपुर : स्वामी भक्त हनुमान जैसा न कोई हुआ और ना ही कोई होगा . हनुमान की भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हनुमत ने परीक्षा के घड़ी में खुद को साबित करने के लिए अपना सीना चीर दिया और दुनिया को दिखाया कि उनके मन में सिर्फ रामसीता का ही वास है. देश में भगवान हनुमान के कई मंदिर हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के रतनपुर में हुनमान का एक ऐसा स्वरूप देखने को मिलता है जो अविश्वसनीय है. आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस मंदिर में हनुमान नारी स्वरुप में विराजमान हैं. स्त्रियों से सदा दूर रहने और बाल ब्रह्मचारी के रूप में पूजे जाने वाले हनुमान को रतनपुर के मंदिर में स्त्री रूप में पूजा जाता है. यहां अद्भुत और अकल्पनीय अर्धनारेश्वर हनुमान की पूजा करने से सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है.

कहां है हनुमान की अर्धनारेश्वर प्रतिमा : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से कोरबा जाने वाली सड़क पर 30 किलोमीटर दूर राजा महाराजाओं की नगरी रतनपुर है. रतनपुर आदिकाल में छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करती थी.यहां राजा रत्नदेव से लेकर नागपुर के राजवंश भोसले शासन का राज रहा है. यहां राजा महाराजाओं के महलों सहित देवी देवताओं के कई अद्भुत मंदिर हैं. यहां के राजा महाराजाओं के किस्से कहानियों के साथ ही देवी देवताओं के चमत्कारों के किस्से मशहूर हैं. कई ऐसे किले, सुरंग और उससे जुड़ी कहानी है जो देवी देवताओं और राजा महाराजाओं को बांकी जगहों से अलग दर्शाता है.

अर्धनारीश्वर रूप में हनुमान है विराजित : रतनपुर के गिरजावन स्थित हनुमान मंदिर की प्रतिमा का श्रृंगार स्त्रियों जैसा किया जाता है. हनुमान के कानों में कंठी, गले में माला, माथे पर बिंदिया, हाथों में चूड़ियां पहनाई जाती है. हनुमान जी का श्रृंगार महिलाओं की तरह किया जाता है. वे यहां स्त्री रूप में विराजमान होकर महिलाओं को सुख समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. मंदिर आने वाले लोगों का कहना है कि वे इस मंदिर में पूजा करने से परिवार सहित नौकरी और बिजनेस में काफी लाभ पाते हैं. यहां आने के बाद मन में एक शांति का अनुभव होता है . यहां पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

क्या है पौराणिक कथा : हनुमान मंदिर की स्थापना और इससे जुड़ी कई किस्से, कहानियां मशहूर है. कोई जानकारी देता है कि इसे राजा पृथ्वी देवजु ने निर्माण कराया है. तो किसी का कहना है कि यहां की रानी गिरजावति ने हीं इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है. क्योंकि उन्हें रोग हो गया था और कुंड में नहाकर 11 मंगलवार या 21 मंगलवार पूजा करने से रोग दूर हो जाएगा ऐसी मन्नत रखी गई थी .

मंदिर के मुख्य पुजारी विजेंद्र दुबे ने बताया कि ''16 वीं शताब्दी में रानी गिरजावति को रोग हो गया था, तब उन्हें स्वप्न आया कि वे मंदिर के पीछे कुंड में नहा कर उनकी पूजा करेंगी तो उनका रोग दूर हो जाएगा. ऐसा ही हुआ, तब से इस मंदिर की ख्याति बढ़ने लगी और यहां देश-विदेश से लोग मंदिर में पूजा करने आते हैं."'

क्यों हनुमान ने धारण किया था स्त्री रूप : हनुमान जी को राम भक्त कहा जाता है. साथ ही वह बाल ब्रह्मचारी थे और हमेशा नारियों से दूर रहते थे. लेकिन उनके इस देवी स्वरूप को लेकर भी कुछ कहानियां बताई जाती हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी विजेंद्र दुबे बताते है कि ''जब अहिरावण राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गए थे और उनकी जब बलि दे रहे थे.

तो अहिरावण की पत्नी के शरीर में हनुमान जी प्रवेश कर एक हाथ में लड्डू रख कर उसे खा रहे थे और पैर से अहिरावण को दबा कर रखा था. जैसे ही मौका मिला वे श्री राम और लक्ष्मण को पाताल लोक से लेकर बाहर आ गए थे. इससे दोनों की जान बची थी. उसी स्वरूप में यहां हनुमान जी की पूजा की जाती है. प्रतिमा के विषय में उन्होंने बताया कि ''प्रतिमा स्वयंभू है और कुंड से अपने आप बाहर आई थी इसलिए यहां उन्हें स्थापित कर उनकी देवी स्वरूप में पूजा की जाती है.''

दूसरी पौराणिक कथा भी है प्रचलित : 10 हजार वर्ष पहले रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू को कोढ़ का रोग हो गया था. कोढ़ की बीमारी से लाचार राजा देवजू जीवन से मृत्यु को उपयुक्त मानने लगे थे. तभी एक रात राजा सोते समय स्वप्न में संकटमोचन हनुमान उनके सम्मुख प्रकट हुए. वेश देवी से प्रतीत हो रहे थे, जिनके एक हाथ में मोदक से परिपूर्ण थाल और दूसरे में राम मुद्रा अंकित है. कर्ण में भव्य कुंडल और माथे पर सुंदर मुकुट माला, देवी स्वरूप में लंगूर का रूप लेकिन पूंछ नहीं.

हनुमान जी का आदेश हुआ अगर अपने कष्ट से मुक्ति पाना है तो यहां मंदिर का निर्माण करें , उन्हें स्थापित करें और मंदिर के पृष्ठ भाग में तालाब खुदवाकर उसमें स्नान कर विधिवत पूजा करें. जिससे शरीर में हुए कोढ़ का नाश हो जाएगा. हनुमान के बताए अनुसार राजा ने महामाया कुंड जाकर उनके प्रतिमा की खोज की. जहां स्वप्न अनुसार नारी स्वरूप में बजरंगबली जल के भीतर विराजमान थे. राजा ने उन्हें गिरजावन लाकर प्रतिष्ठित किया.


कैसी है हनुमान की प्रतिमा : हनुमान की इस प्रतिमा में अनेक विशेषताएं दिखाई देती है, प्रतिमा नारी स्वरूप दक्षिणमुखी है. हनुमान भक्त दक्षिणमुखी प्रतिमा के परम पवित्र और पूज्य मानते हैं. नारी स्वरूप प्रतिमा, अपने आप में अद्वितीय है. इस प्रतिमा के बाएँ कंधे पर राम और दाएँ कंधे पर लक्ष्मण विराजमान हैं. हनुमान के पैरों के नीचे 2 राक्षस हैं, मूर्ति में पाताल लोक का चित्रण भी है. मूर्ति में रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए दर्शाया गया है. उनके अंग प्रत्यंग से तेज पुंज की छटा निकल रही थी. भक्तों का मानना है यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती हैं.

ये भी पढ़ें- औषधियों के खजाने से लबरेज है मदकूद्वीप,जानिए क्या है विशेषता


कुंड की भी है अलग मान्यता : हनुमान मंदिर के पीछे कुंड में हर मंगलवार को स्नान कर कच्चा कपड़ा पहन कर हनुमान को चोला चढ़ाया जाए और पूजा किया जाए तो कोई भी रोग दूर हो जाता हैं. इस मान्यता को सुनकर यहां दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में कुंड में आकर नहाते हैं और विशेष रूप से इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. सुबह 5 से हनुमान का गंगाजल, दूध से स्नान कराया जाता है.जिसके बाद हनुमान का अभिषेक किया जाता है. साथ ही चोला बंधन चढ़ाया जाता है. फूल मालाओं से श्रृंगार कर स्तुति की जाती है. हर मंगलवार तीन बार हनुमान की पूजा की जाती है, वही पूजा के पश्चात भोग प्रसाद का वितरण किया जाता है.

बिलासपुर : स्वामी भक्त हनुमान जैसा न कोई हुआ और ना ही कोई होगा . हनुमान की भक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हनुमत ने परीक्षा के घड़ी में खुद को साबित करने के लिए अपना सीना चीर दिया और दुनिया को दिखाया कि उनके मन में सिर्फ रामसीता का ही वास है. देश में भगवान हनुमान के कई मंदिर हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के रतनपुर में हुनमान का एक ऐसा स्वरूप देखने को मिलता है जो अविश्वसनीय है. आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि इस मंदिर में हनुमान नारी स्वरुप में विराजमान हैं. स्त्रियों से सदा दूर रहने और बाल ब्रह्मचारी के रूप में पूजे जाने वाले हनुमान को रतनपुर के मंदिर में स्त्री रूप में पूजा जाता है. यहां अद्भुत और अकल्पनीय अर्धनारेश्वर हनुमान की पूजा करने से सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है.

कहां है हनुमान की अर्धनारेश्वर प्रतिमा : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से कोरबा जाने वाली सड़क पर 30 किलोमीटर दूर राजा महाराजाओं की नगरी रतनपुर है. रतनपुर आदिकाल में छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करती थी.यहां राजा रत्नदेव से लेकर नागपुर के राजवंश भोसले शासन का राज रहा है. यहां राजा महाराजाओं के महलों सहित देवी देवताओं के कई अद्भुत मंदिर हैं. यहां के राजा महाराजाओं के किस्से कहानियों के साथ ही देवी देवताओं के चमत्कारों के किस्से मशहूर हैं. कई ऐसे किले, सुरंग और उससे जुड़ी कहानी है जो देवी देवताओं और राजा महाराजाओं को बांकी जगहों से अलग दर्शाता है.

अर्धनारीश्वर रूप में हनुमान है विराजित : रतनपुर के गिरजावन स्थित हनुमान मंदिर की प्रतिमा का श्रृंगार स्त्रियों जैसा किया जाता है. हनुमान के कानों में कंठी, गले में माला, माथे पर बिंदिया, हाथों में चूड़ियां पहनाई जाती है. हनुमान जी का श्रृंगार महिलाओं की तरह किया जाता है. वे यहां स्त्री रूप में विराजमान होकर महिलाओं को सुख समृद्धि और शांति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. मंदिर आने वाले लोगों का कहना है कि वे इस मंदिर में पूजा करने से परिवार सहित नौकरी और बिजनेस में काफी लाभ पाते हैं. यहां आने के बाद मन में एक शांति का अनुभव होता है . यहां पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी हो जाती है.

क्या है पौराणिक कथा : हनुमान मंदिर की स्थापना और इससे जुड़ी कई किस्से, कहानियां मशहूर है. कोई जानकारी देता है कि इसे राजा पृथ्वी देवजु ने निर्माण कराया है. तो किसी का कहना है कि यहां की रानी गिरजावति ने हीं इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया है. क्योंकि उन्हें रोग हो गया था और कुंड में नहाकर 11 मंगलवार या 21 मंगलवार पूजा करने से रोग दूर हो जाएगा ऐसी मन्नत रखी गई थी .

मंदिर के मुख्य पुजारी विजेंद्र दुबे ने बताया कि ''16 वीं शताब्दी में रानी गिरजावति को रोग हो गया था, तब उन्हें स्वप्न आया कि वे मंदिर के पीछे कुंड में नहा कर उनकी पूजा करेंगी तो उनका रोग दूर हो जाएगा. ऐसा ही हुआ, तब से इस मंदिर की ख्याति बढ़ने लगी और यहां देश-विदेश से लोग मंदिर में पूजा करने आते हैं."'

क्यों हनुमान ने धारण किया था स्त्री रूप : हनुमान जी को राम भक्त कहा जाता है. साथ ही वह बाल ब्रह्मचारी थे और हमेशा नारियों से दूर रहते थे. लेकिन उनके इस देवी स्वरूप को लेकर भी कुछ कहानियां बताई जाती हैं. मंदिर के मुख्य पुजारी विजेंद्र दुबे बताते है कि ''जब अहिरावण राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गए थे और उनकी जब बलि दे रहे थे.

तो अहिरावण की पत्नी के शरीर में हनुमान जी प्रवेश कर एक हाथ में लड्डू रख कर उसे खा रहे थे और पैर से अहिरावण को दबा कर रखा था. जैसे ही मौका मिला वे श्री राम और लक्ष्मण को पाताल लोक से लेकर बाहर आ गए थे. इससे दोनों की जान बची थी. उसी स्वरूप में यहां हनुमान जी की पूजा की जाती है. प्रतिमा के विषय में उन्होंने बताया कि ''प्रतिमा स्वयंभू है और कुंड से अपने आप बाहर आई थी इसलिए यहां उन्हें स्थापित कर उनकी देवी स्वरूप में पूजा की जाती है.''

दूसरी पौराणिक कथा भी है प्रचलित : 10 हजार वर्ष पहले रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू को कोढ़ का रोग हो गया था. कोढ़ की बीमारी से लाचार राजा देवजू जीवन से मृत्यु को उपयुक्त मानने लगे थे. तभी एक रात राजा सोते समय स्वप्न में संकटमोचन हनुमान उनके सम्मुख प्रकट हुए. वेश देवी से प्रतीत हो रहे थे, जिनके एक हाथ में मोदक से परिपूर्ण थाल और दूसरे में राम मुद्रा अंकित है. कर्ण में भव्य कुंडल और माथे पर सुंदर मुकुट माला, देवी स्वरूप में लंगूर का रूप लेकिन पूंछ नहीं.

हनुमान जी का आदेश हुआ अगर अपने कष्ट से मुक्ति पाना है तो यहां मंदिर का निर्माण करें , उन्हें स्थापित करें और मंदिर के पृष्ठ भाग में तालाब खुदवाकर उसमें स्नान कर विधिवत पूजा करें. जिससे शरीर में हुए कोढ़ का नाश हो जाएगा. हनुमान के बताए अनुसार राजा ने महामाया कुंड जाकर उनके प्रतिमा की खोज की. जहां स्वप्न अनुसार नारी स्वरूप में बजरंगबली जल के भीतर विराजमान थे. राजा ने उन्हें गिरजावन लाकर प्रतिष्ठित किया.


कैसी है हनुमान की प्रतिमा : हनुमान की इस प्रतिमा में अनेक विशेषताएं दिखाई देती है, प्रतिमा नारी स्वरूप दक्षिणमुखी है. हनुमान भक्त दक्षिणमुखी प्रतिमा के परम पवित्र और पूज्य मानते हैं. नारी स्वरूप प्रतिमा, अपने आप में अद्वितीय है. इस प्रतिमा के बाएँ कंधे पर राम और दाएँ कंधे पर लक्ष्मण विराजमान हैं. हनुमान के पैरों के नीचे 2 राक्षस हैं, मूर्ति में पाताल लोक का चित्रण भी है. मूर्ति में रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए दर्शाया गया है. उनके अंग प्रत्यंग से तेज पुंज की छटा निकल रही थी. भक्तों का मानना है यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती हैं.

ये भी पढ़ें- औषधियों के खजाने से लबरेज है मदकूद्वीप,जानिए क्या है विशेषता


कुंड की भी है अलग मान्यता : हनुमान मंदिर के पीछे कुंड में हर मंगलवार को स्नान कर कच्चा कपड़ा पहन कर हनुमान को चोला चढ़ाया जाए और पूजा किया जाए तो कोई भी रोग दूर हो जाता हैं. इस मान्यता को सुनकर यहां दूर-दूर से लोग बड़ी संख्या में कुंड में आकर नहाते हैं और विशेष रूप से इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं. सुबह 5 से हनुमान का गंगाजल, दूध से स्नान कराया जाता है.जिसके बाद हनुमान का अभिषेक किया जाता है. साथ ही चोला बंधन चढ़ाया जाता है. फूल मालाओं से श्रृंगार कर स्तुति की जाती है. हर मंगलवार तीन बार हनुमान की पूजा की जाती है, वही पूजा के पश्चात भोग प्रसाद का वितरण किया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.