बिलासपुर: शहर में अमृत मिशन योजना के माध्यम से पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है. इस योजना के तहत पाइप लाइन अंडरग्राउंड होगा. नगर निगम इस काम को कछुआ की चाल में अंजाम दे रही है. जिससे लोगों को काफी तकलीफ है जैसे सड़कों को खोद कर छोड़ देना, पाइप डालने के बाद सड़कों की मरम्मत नहीं करना और गलियों में पाइप के लिए खोदे गड्ढे से रोजाना छिटपुट घटना होने से लोग हलकान हैं.
नगर निगम खुटाघाट से पानी सप्लाई के लिए इस योजना में 301 करोड़ रुपए खर्च कर रही है, लेकिन अमृत मिशन योजना का काम धीमी गति से चल रहा है. सड़कों के सुधार का काम इतना धीमा है कि तिलक नगर से कौनहेर उद्यान , गोलबाजार और तेलीपारा सरकंडा सहित करीब 20 किलोमीटर सड़क के डामरीकरण के अभाव में गड्ढों में तब्दील हो गई है. आवागमन के दौरान इससे परेशानियां होती है. अमृत मिशन में ठेकेदार इंडियन ह्यूम पाइप को मार्च 2021 तक कार्य पूर्ण करने की चेतावनी नगर निगम ने दी थी, लेकिन करीब 14 किलोमीटर के पाइप लाइन का काम शहर के बाहर और करीब 28 किलोमीटर का काम शहर के अंदर का बचा हुआ है.
कार्यपालन अभियंता पीके पंचायती ने बताया कि शहर में 222 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है. वहीं 50 किलोमीटर हाइड्रो टेस्टिंग का काम बाकी है और यह काम नवंबर दिसंबर तक पूर्ण कर लिया जाएगा.
"साफ पानी के लिए हो चुके हैं 300 करोड़ रुपए खर्च"
बिलासपुर नगर निगम ने 300 करोड़ रुपए अब तक खर्च कर दिए हैं, लेकिन साफ पानी की बजाय अभी भी शहरवासियों को दूषित पानी ही मिल रहा है और इससे मुक्ति कब मिलेगी यह भी नहीं मालूम. शहर में पेयजल सप्लाई के लिए साल 2010 से 2017 तक जल आवर्धन योजना के अंतर्गत 80 करोड़ रुपए और 2017 से अब तक अमृत मिशन योजना के अंतर्गत 220 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. लोगों को अभी भी दूषित पानी ही सप्लाई हो रहा है और नगर निगम इसे अनदेखा कर रही है.
" अमृत मिशन योजना क्या है और इसे शुरू क्यों किया गया है"
शहर में वाटर लेवल को बरकरार रखने और शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए भाजपा शासनकाल में अमृत मिशन योजना तैयार कर जमीन में उतारने का काम शुरू किया गया था. इस योजना के तहत कटघोरा से अहिरण नदी को रतनपुर के संजय गांधी जलाशय खुटाघाट तक लाना था और फिर यहां से पाइप लाइन के माध्यम से बिलासपुर शहर तक पहुंचाना है. घरों में वाटर ट्रीटमेंट कर शुद्ध पेयजल सप्लाई किया जाना है.