बिलासपुर: अजीत जोगी की बहू और अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र मामले में उनकी मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. ऋचा की जाति प्रमाण पत्र मामले में अमित जोगी ने कहा है कि, 'अखबारों से पता चला कि मेरी धर्मपत्नी डॉक्टर ऋचा जोगी की जाति पर कुछ लोगों ने मुंगेली के कलेक्टर के समक्ष आपत्ति जाहिर की है. कलेक्टर साहब ने बोला है कि वे ऋचा से इस सम्बंध में विधिवत गुरुवार को जवाब मांगेगे.'
जोगी ने ये भी कहा कि 'सबको मालूम है कि ऋचा रायपुर में जोगी बंगले में हमारे साथ रहती है और यहीं पता उन्होंने अपने जाति प्रमाण पत्र आवेदन में दिया था. उसके बावजूद आज तक उन्हें न तो नोटिस मिला है, न ही उनके विरुद्ध की गई किसी शिकायत की प्रतिलिपि भेजी गई है. इसके आलावा न ही मेरी जानकारी के अनुसार विधि अनुरूप मुंगेली की जिला छानबीन समिति का गठन किया गया है.'
पढ़ें : ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पर आपत्ति, मुंगेली कलेक्टर ने सुनवाई के लिए जारी किया आदेश
अमित जोगी का सवाल
अमित जोगी ने सवाल करते हुए कहा कि, 'क्या भूपेश सरकार मुंगेली कलेक्टर पर दबाव डाल बिना समिति गठन, बिना नोटिस दिए, बिना शिकायत की कॉपी दिए और बिना ऋचा का पक्ष सुने उनके विरुद्ध एकतरफा कार्रवाई करके जज और जल्लाद दोनों की भूमिका निभाना चाहती है. स्वर्गीय अजीत जोगी के ऊपर झूठा आरोप लगाने वाले अब उनकी बहू को भी नहीं बख्श रहे हैं. ये तो जंगल राज है! मैं महामहिम @GovernorCG से इस मामले में तत्काल कलेक्टर से स्पष्टीकरण मांगने की गुहार लगाता हूं' अमित जोगी ने ट्वीटकर भी सरकार से सवाल किया है.
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7.10.20. आज के अख़बारों से पता चला है कि मेरी धर्मपत्नी डॉक्टर (श्रीमती) ऋचा जोगी की जाति पर कुछ लोगों ने @MungeliDist कलेक्टर के समक्ष आपत्ति करी है।कलेक्टर साहब ने बोला है कि वे ऋचा से इस सम्बंध में विधिवत 8.10.20 को जवाब माँगेगे।
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— Amit Ajit Jogi (@amitjogi) October 7, 2020
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क्या भूपेश सरकार मुंगेली कलेक्टर पर दबाव डालके बिना समिति का गठन किए, बिना नोटिस दिए, बिना शिकायत की कॉपी दिए और बिना ऋचा का पक्ष सुने उनके विरुद्ध एकतरफ़ा कार्यवाही करके जज और जल्लाद दोनों की भूमिका निभाना चाहती है।ये तो जंगल राज है!
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— Amit Ajit Jogi (@amitjogi) October 7, 2020
जाति विवाद से जोगी का नाता
- 1986 में जोगी के राज्यसभा सांसद बनने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक याचिका दाखिल हुई. मनोहर दलाल नाम के शख्स ने यह याचिका लगाई थी. हालांकि ये याचिका एक साल के अंदर ही खारिज कर दी गई थी.
- 2001 में भाजपा नेता संत कुमार नेताम ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग से जोगी की जाति को लेकर शिकायत की थी. नेताम ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. इसी दौरान वरिष्ठ भाजपा नेता नंद कुमार साय ने न्यायालय में परिवार दायर किया था.
- 2013 चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रही समीरा पैकरा ने अमित जोगी पर गलत जन्म स्थान की जानकारी देने का आरोप लगाया था. समीरा का आरोप है कि अमित जोगी का जन्म स्थान टेक्सस, अमेरिका में है, जबकि उन्होंने वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने शपथपत्र में जन्म स्थान गौरेला क्षेत्र का सारबहरा गांव बताया था, जो कि गलत तरीके से प्राप्त किया गया है. इस मामले में अमित की गिरफ्तारी भी हुई थी.
- अमित जोगी के ऊपर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण दस्तावेज से जालसाजी) 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से फर्जीवाड़ा) और 471 (किसी फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक के बतौर पेश करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
- इसके बाद संत राम नेताम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई. 13 अक्टूबर, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को निर्देश दिया कि मामले की जांच उच्च-स्तरीय कमिटी से करवाई जाए. रमन सरकार ने IAS रीना बाबा साहेब कंगाले की अध्यक्षता में कमिटी गठित की. इस कमिटी ने जून, 2017 में अपनी रिपोर्ट सौंपी.
- रिपोर्ट में कहा गया कि जोगी के आदिवासी होने के पर्याप्त सबूत नहीं मिले. इस कमिटी ने जोगी को आदिवासी मानने से इनकार कर दिया.
- अजीत जोगी ने आरोप लगाया कि 7 सदस्यीय कमिटी के चार पदों पर रीना बाबासाहेब कंगाले ही थीं. कहा कि कमिटी निष्पक्ष नहीं थी. जोगी ने इस रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चुनौती दी.
- 21 फरवरी, 2018 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नई कमिटी बनाने के निर्देश दिए. डीडी सिंह के नेतृत्व में नई कमिटी बनाई गई. इस कमिटी ने 21 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इस रिपोर्ट में भी यही लिखा है कि जोगी खुद को आदिवासी साबित करने में असफल हुए हैं.