बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के जंगलों में भूपेश सरकार के कब्जा करने का आरोप लगा है. राज्य सरकार वन भूमि के बिना डायवर्सन किए उसे आवंटित कर रही है. राज्य सरकार ने आवर्ती चराई केंद्र निर्माण करना शुरू किया है. जिसके लिए प्रत्येक समिति को 25-25 एकड़ वन भूमि आवंटित की गई है. जिसके कारण जंगली जानवरों के विचरण और चारागाह में इंसानों की मौजूदगी से वन्य पशुओं को जीवन यापन में तकलीफ हो रही है.
हाईकोर्ट में हुई सुनवाई : इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डबल बेंच में सोमवार को सुनवाई हुई. याचिकाकर्ताओं ने इस पर रोक लगाने की मांग की है. जिसमें हाईकोर्ट की बेंच ने नियमों को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है.
भूमि आबंटन पर रोक की मांग : केंद्र की सहमति के बिना वन भूमि का आवंटन किसी को भी नहीं किया जा सकता है. न ही इसके स्वरूप को किसी भी तरह से बदला जा सकता है. याचिका में बताया गया है कि राज्य शासन ने दोनों ही नियमों का उल्लंघन किया है. याचिका में बताया गया है कि वन भूमि का बिना डायवर्सन किये आबंटन कर दिया गया है, और केंद्र से अनुमति भी नहीं ली है. याचिका में मांग की गई है कि जंगल के अंदर इस तरह की गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जानी चाहिए.''
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जंगली जानवरों के विचरण में हो रही दिक्कत : याचिकाकर्ताओं ने याचिका में बताया है कि "जंगल के अंदर अस्थाई निर्माण करवाया जा रहा है. वन भूमि में इंसानों के आवाजाही के कारण दिक्कत हो रही है.जिन खुली जगहों पर वन्य प्राणी विचरण करते थे. उनके जीवनकाल पर सीधा असर हो रहा है. इसके अलावा जानवरों के शिकार की आशंका भी बनी रहेगी. पेड़ों की कटाई की भी आशंका हमेशा बनी रहेगी.