बिलासपुर: चिटफंड कंपनियों की ठगी के शिकार हुए बिलासपुर जिले के ग्रामीणों ने शुक्रवार को कलेक्टोरेट पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई. साथ ही जिलेभर से गांवों से लोग चिटफंड में डूबा अपना पैसा वापस पाने की आस में कलेक्टोरेट में आवेदन करने के लिए पहुंचे.
अपने पैसे वापस लेने के लिए आवेदन करने वालों की बिलासपुर कलेक्टोरेट पर इतनी भीड़ उमड़ी की लोगों को घंटों तक कतार में खड़े होकर इंतजार करना पड़ा. वहीं, शासन द्वारा चिटफंड कंपनियों में जिन लोगों के पैसे डूबे हैं, उन निवेशकों से उनके कागजात सहित आवेदन जमा कराने का निर्देश दिए थे. जिसके तहत कलेक्टोरेट के बचत शाखा द्वारा आवेदन लिया जा रहा है. पहले ऐसे निवेशकों से आवेदन लेने के लिए 6 अगस्त आखिरी दिन था. इसी के चलते बड़े पैमाने पर लोग फॉर्म भरने उमड़े थे, लेकिन बड़ी संख्या में लोग फॉर्म नहीं भर पाए. इसलिए इसकी तारीख को आगे 20 अगस्त कर दिया गया है.
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अतिरिक्त कलेक्टर बिलासपुर ने बताया कि निवेशकों की अत्यधिक संख्या को देखते हुए गृह विभाग द्वारा पूर्व में जारी आदेश में संशोधन करते हुए आवेदन प्राप्त करने की तिथि और स्थान में परिवर्तन किया गया है. अब 20 अगस्त तक फॉर्म भरे जा सकेंगे. साथ ही तहसील कार्यालय बिलासपुर में अनुविभागीय अधिकारी बिलासपुर, तहसील कार्यालय तखतपुर में अनुविभागीय अधिकारी तखतपुर, तहसील कार्यालय कोटा में अनुविभागीय अधिकारी कोटा, तहसील कार्यालय बिल्हा में अनुविभागीय अधिकारी बिल्हा, तहसील कार्यालय मस्तूरी में अनुविभागीय अधिकारी मस्तूरी, तहसील कार्यालय बेलगहना में तहसीलदार बेलगहना, तहसील कार्यालय रतनपुर में तहसीलदार रतनपुर, तहसील कार्यालय सकरी में तहसीलदार सकरी, उप तहसील सीपत में अतिरिक्त तहसीलदार सीपत चिटफंड से संबंधित आवेदन प्राप्त करेंगे.
करीब 1200 करोड़ रुपए चिटफंड में डूबे
छत्तीसगढ़ में लाखों लोगों के चिटफंड में पैसे डूबे हैं. एक अनुमान के मुताबिक बिलासपुर जिले में ही 2 लाख से ज्यादा लोगों के तकरीबन 1200 करोड़ रुपए डूबे हैं. ग्रामीण इलाकों के बड़े पैमाने में लोगों ने अपनी जीवनभर की कमाई चिटफंड कंपनियों के झांसे में आकर जमा करा दी थी. बहुत से लोगों ने मकान के लिए तो कईयों ने बेटी की शादी और पढ़ाई के लिए ये रकम जोड़े थी, लेकिन ज्यादा कमाई के प्रलोभन में आ कर अपनी कमाई डूबा चुके हैं.