बिलासपुर : कोटा विधानसभा बेलगहना थाना चौकी क्षेत्र के कंचनपुर में सर्पदंश से 7 साल के बच्चे की मौत हो गई है. शनिवार और रविवार की दरमियानी रात गांव का ही परमेश्वर धनुहार अपने पिता कुमार सिंह धनुहार के साथ फर्श पर सोया हुआ था. रात में अचानक पिता ने अपने ऊपर कुछ चलता हुआ महसूस किया, जिसे उन्होंने झटक दिया.
ध्यान से देखने पर पता चला कि बच्चे के ऊपर विषैला घोड़ा करैत सांप था, जिसने पहले ही परमेश्वर को डंस लिया था. पिता ने पहले सांप को हटाया इसके बाद इसकी जानकारी परिवार के अन्य लोगों को दी. बच्चे को अस्पताल लेने जाने की बजाय परिवार ने बच्चें को बैगा के पास ले जाकर झाड़ फूंक करवाया. रात करीब 3 बजे जब बच्चे की स्थिति बिगड़ने लगी तो इनके द्वारा 108 एंबुलेंस को फोन किया गया, लेकिन एंबुलेंस सुबह 6 बजे पहुंची.
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बच्चे को रतनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. जांच के बाद चिकित्सकों ने परमेश्वर धनुहार को मृत घोषित कर दिया. वहीं रतनपुर पुलिस को इसकी सूचना दे दी पुलिस ने परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.
भारत में सांपों पर एक नजर
देश में सांपों की लगभग 270 प्रजातियां हैं, जिनमें से 60 को विषैला और चिकित्सकीय रूप से प्रासंगिक माना जाता है.
चुनौतियां
भारतीय एंटी-वेनम केवल कोबरा (तीन अन्य भारतीय कोबरा प्रजातियां हैं), क्रेट (सात अन्य क्रेट प्रजातियां हैं), रसेल वाइपर और सौ-स्केल्ड वाइपर के जहर को बेअसर करते हैं. 12 अन्य सांप की प्रजातियां घातक हैं. इन प्रजातियों के सांप यदि किसी को डस लें तो उसे बचाया नहीं जा सकता .
सर्पदंश से बचाव के लिए बरती जाने वालीं सावधानियां :
- सबसे ज्यादा ग्रामीण किसान और उनके परिवार सर्पदंश का शिकार होते हैं.
- विशेषज्ञों का सुझाव है कि लोगों को खेतों में रबर के जूते और दस्ताने पहनकर जाना चाहिए. ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को घरों में मच्छरदानी और रिचार्जेबल टॉर्च (या मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट) का उपयोग करना चाहिए. इससे सर्पदंश का जोखिम कम हो सकता है.
- नए अध्ययन में विषैले सांपों की प्रजातियों के वितरण के साथ-साथ सांप के डसने के परिणामों के बारे में बेहतर जानकारी होना.
सर्पदंश की घटनाओं से निबटने के लिए क्या करें :
- प्रभावित क्षेत्रों में विषरोधी (एंटी-वेनम) का वितरण.
- एंटी वेनम के उपयोग में वृद्धि के लिए स्थानीय आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सहयोग की आवश्यकता होगी, जिससे वे गंभीर रूप से बीमार रोगियों को इलाज के साथ एंटी वेनम दे सकें. साथ ही एंटी-वेनम की प्रभावशीलता के बारे में जागरूकता बढ़ानी होगी.
- सरकारी अस्पताल सर्पदंश पीड़ितों के लिए आसानी से एंटी-वेनम उपलब्ध करा सकते हैं.
- स्वास्थ्य विभाग एंटी-वेनम के असर और इससे ठीक हो रहे लोगों की निगरानी कर सकते हैं. इससे उचित समय में आपूर्ति के लिए वितरण और कोल्ड-चेन स्टोरेज में सुधार किया जा सकता है.
- स्थानीय चिकित्सा कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है की कैसे एंटी-वेनम से सर्पदंश का इलाज किया जाए.
- भारत में बड़ी मात्रा में एंटी-वेनम बनाने के लिए पर्याप्त विनिर्माण क्षमता है.
- बेहतर समझ से भारत में कई और एंटी-वेनम बनाए जा सकते हैं.
भारत के विभिन्न राज्यों में 2000 से 2019 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों का रुझान
राज्य | सर्पदंश के मामले | मौतें |
तमिलनाडु | 51,198 | 371 |
आंध्रप्रदेश | 6,283 | 1,457 |
कर्नाटक | 5,281 | 139 |
महाराष्ट्र | 4,884 | 432 |
तेलंगाना | 3,956 | 92 |
गुजरात | 3,628 | 91 |
केरल | 3,169 | 131 |
पश्चिम बंगाल | 2,370 | 345 |
छत्तीसगढ़ | 2,084 | 52 |
हिमाचल प्रदेश | 1,442 | 28 |
बिहार | 1,171 | 29 |
दादरा और नागर हवेली | 384 | 1 |
झारखंड | 356 | 19 |
उत्तराखंड | 329 | 4 |
चंडीगढ़ | 297 | 6 |
उत्तर प्रदेश | 249 | 90 |
गोवा | 244 | 0 |
ओडिशा | 101 | 33 |
नई दिल्ली | 62 | 0 |
पुडुचेरी | 50 | 9 |
हरयाणा | 17 | 0 |
मेघालय | 13 | 0 |
दमन-दीयू | 12 | 0 |
जम्मू-कश्मीर | 10 | 0 |
कुल | 87,590 | 3,329 |