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RDA के भूमि अधिग्रहण मामले में 3 आईएएस अधिकारियों को हाईकोर्ट से बड़ी राहत

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Published : Dec 6, 2019, 9:47 PM IST

1978 में रायपुर विकास प्राधिकरण के भूमि अधिग्रहण मामले में हाईकोर्ट से 3 आईएएस अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है.उनके खिलाफ चल रहे अवमानना के मामले को कोर्ट ने खत्म कर दिया है. इस मामले में कोर्ट ने RDA को जमीन मालिकों को एक-एक लाख रुपए राहत राशि के तौर पर देने का आदेश दिया है.

3 IAS officers get big relief from High Court
भूमि अधिग्रहण मामले में 3 आईएएस अधिकारियों को बड़ी राहत

बिलासपुर: 1978 में रायपुर विकास प्राधिकरण के भूमि अधिग्रहण मामले में हाईकोर्ट से 3 आईएएस अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है. भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण पीड़ित विजयलक्ष्मी और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसकी सुनवाई के दौरान साल 2008 में हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए रायपुर विकास प्राधिकरण को तय मुआवजा देने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजा नहीं मिलने पर जमीन के मालिकों ने अवमानना याचिका लगाई थी. इस पर सुनवाई के बाद आरडीए के अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया था. हाईकोर्ट ने रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) के तात्कालीन सीईओ अलेक्स पॉल मेनन, पूर्व में सीईओ रहे अशोक अग्रवाल और एमडी दीवान को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था. इस फैसले को लेकर तीनों अघिकारियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. उस अपील पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने तीनों अधिकारियों को बड़ी राहत दी और अवमानना के केस को खारिज कर दिया.

याचिकाकर्ताओं को लेकर भी कोर्ट ने सुनाया फैसला

मुख्य न्यायाधीश और पी.पी साहू की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ताओं को जमीन के एवज में किया गया भुगतान का मूल्यांकन सही तरह से नहीं किया गया था. इसलिए उन्हें सही भुगतान किया जाए. साथ ही इतने साल की प्रकरण से होने वाली परेशानी के एवज में सभी याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपए राहत राशि के तौर पर दिए जाएं.

बिलासपुर: 1978 में रायपुर विकास प्राधिकरण के भूमि अधिग्रहण मामले में हाईकोर्ट से 3 आईएएस अधिकारियों को बड़ी राहत मिली है. भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा नहीं मिलने के कारण पीड़ित विजयलक्ष्मी और अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसकी सुनवाई के दौरान साल 2008 में हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए रायपुर विकास प्राधिकरण को तय मुआवजा देने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद मुआवजा नहीं मिलने पर जमीन के मालिकों ने अवमानना याचिका लगाई थी. इस पर सुनवाई के बाद आरडीए के अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया था. हाईकोर्ट ने रायपुर विकास प्राधिकरण (आरडीए) के तात्कालीन सीईओ अलेक्स पॉल मेनन, पूर्व में सीईओ रहे अशोक अग्रवाल और एमडी दीवान को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था. इस फैसले को लेकर तीनों अघिकारियों ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी. उस अपील पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने तीनों अधिकारियों को बड़ी राहत दी और अवमानना के केस को खारिज कर दिया.

याचिकाकर्ताओं को लेकर भी कोर्ट ने सुनाया फैसला

मुख्य न्यायाधीश और पी.पी साहू की खंडपीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ताओं को जमीन के एवज में किया गया भुगतान का मूल्यांकन सही तरह से नहीं किया गया था. इसलिए उन्हें सही भुगतान किया जाए. साथ ही इतने साल की प्रकरण से होने वाली परेशानी के एवज में सभी याचिकाकर्ताओं को एक-एक लाख रुपए राहत राशि के तौर पर दिए जाएं.

Intro:भूमि अधिग्रहण मामले में दायर अवमानना याचिका पर एलेक्स पॉल मेनन समेत दो आईएएस अधिकारियों को उच्च न्यायालय ने राहत दी है। बता दें कि रायपुर में 1978 के भूमि अधिग्रहण मामले में तीन आईएएस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर हुई थी। जिसमें पूर्व सुकमा कलेक्टर एलेक्स पॉल मेनन, एमडी दीवान अशोक अग्रवाल शामिल थे । Body:रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण में याचिकाकर्ताओं ने इन लोगों पर कोर्ट के आदेश ना मानने का आरोप लगाया था । इन याचिकाकर्ताओं को अधिकृत किए गए जमीन के एवज में उचित भुगतान व दूसरी जगह जमीन देने का कोर्ट ने आदेश जारी किया था । लेकिन इन्हें जमीन की उपलब्धता ना होने की वजह से उसके बाजार मूल्य के बराबर पैसों का भुगतान कर दिया गया। जिसको लेकर इन्होंने इन तीनों अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर कर दी थी। आज मामले पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने अवमानना याचिका इन तीनों के खिलाफ खारिज कर दी है। Conclusion:साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला भी सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि याचिकाकर्ता को जमीन के एवज में किया गया भुगतान का मूल्यांकन सही तरह से नहीं किया गया था । इसलिए उन्हें सही भुगतान किया जाए ।साथ ही इतने साल की प्रकरण से होने वाली परेशानी के एवज में एक लाख रुपए सभी याचिकाकर्ता को राहत के तौर पर दी जाए। मुख्य न्यायाधीश व पी.पी साहू की खंडपीठ ने की है मामले पर सुनवाई।
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