गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : जिले में उस समय हड़कंप मच गया, जब तीन हाथियों का दल कोरिया (koriya) की सीमा से गौरेला पेण्ड्रा मरवाही में घुस आया. इससे ग्रामीणों में दहशत फैल गई. हाथियों के दल ने उत्पात मचाते हुए धौराठी गांव के रहने वाले भवर सिंह लोहार के घर की दीवारों को तोड़ दिया और ग्रामीणों की फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचाया.
वन विभाग कर रहा हाथियों की लगातार निगरानी
बता दें कि पूरा मामला मरवाही वन मंडल (Marwahi Forest Division) के मरवाही वन परिक्षेत्र का है. यहां पर कोरिया सीमा से तीन हाथियों का दल शाम होते ही गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले की सीमा में आ धमका. जिले में हाथियों के पहुंचने की सूचना मिलते ही ग्रामीणों ने इसकी जानकारी वन विभाग की टीम को दी. वन विभाग (Forest department) की टीम मौके पर पहुंची और हाथियों की निगरानी करने में जुट गई.
सरगुजा के मैनपाट में हाथियों ने तोड़े ग्रामीणों के घर, वन विभाग ने दिया अस्थायी ठिकाना
हाथियों के आतंक से ग्रामीण परेशान
मरवाही वन मंडल को बियर लैंड (beer land) के नाम से भी जाना जाता है. बीते चार सालों से यहां पर कोरिया और कोरबा जिले की सीमा से हाथियों के आने का सिलसिला जारी है. इससे ग्रामीण काफी परेशान है. वहीं वन विभाग के पास हाथियों को खदेड़ने और रिहायशी इलाकों में जाने से रोकने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है.
सरगुजा के मैनपाट में हाथियों ने तोड़े थे ग्रामीणों के घर
दो दिन पहले ही सरगुजा के मैनपाट में 9 हाथियों के एक दल ने ग्रामीणों के कुछ घरों को तोड़ दिया था और फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचाया था. हाथियों के आतंक से परेशान होकर ग्रामीणों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई थी.
कांकेर के भानुप्रतापपुर में हाथियों का उत्पात जारी, ग्रामीण घर छोड़ने को मजबूर
कांकेर के भानुप्रतापपुर में हाथियों ने मचाया था काफी उत्पात
भानुप्रतापपुर विकासखंड में हाथियों का एक दल पिछले 15 दिनों से उत्पात मचा रहा (TERROR OF ELEPHANTS) था. ग्रामीणों को हाथियों के आतंक से बचने के लिए जेल भवन और स्कूल भवन का सहारा लेना पड़ा था. हाथियों की दहशत इतनी थी कि ग्रामीणों को रतजगा करना पड़ रहा था.
90 के दशक में सरगुजा में आए थे हाथी, आज बन गया स्थायी ठिकाना
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरिडोर (corridor) भी कहा जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया, फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.
छत्तीसगढ़ में हाथियों और इंसानों के बीच बढ़ता द्वंद्व
Chhattisgarh Assembly में भी उठ चुका है हाथियों के आतंक का मुद्दा
सरगुजा संभाग में हाथियों के आतंक का मुद्दा Chhattisgarh Assembly में कई बार उठ चुका है. सरकार ने हाथियों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए कई प्लान तैयार किए, हालांकि सभी प्लान या तो सही से लागू नहीं हो पाए या फिर फाइलों में दबकर रह गए.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी
15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने लेमरू एलिफेंट पार्क बनाने की घोषणा की थी. पुलिस परेड ग्राउंड में कार्यक्रम के दौरान सीएम भूपेश बघेल ने कहा- लेमरू दुनिया में अपनी तरह का पहला 'एलीफैंट रिजर्व' (Elephant Reserve) होगा, जहां हाथियों का स्थायी ठिकाना होगा. ये रिजर्व पार्क बन जाने से हाथियों के अन्य स्थानों पर आवाजाही और इससे होने वाले नुकसान पर भी अंकुश लगेगी और जैव विविधता के साथ वन्य प्राणी की दिशा में प्रदेश का योगदान दर्ज होगा.