बीजापुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाल ही में कहा है कि, नक्सली अगर भारत के संविधान को माने तो उनसे चर्चा की जा सकती है. मुख्यमंत्री के इसी बयान के बाद 15 मई को नक्सलियों द्वारा एक कथित प्रेस नोट जारी किया गया है. कथित प्रेस विज्ञप्ति में दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता विकल्प के हस्ताक्षर हैं. नक्सलियों ने इस पत्र के जरिए बघेल सरकार पर आरोप लगाए हैं कि, नक्सलियों से वार्ता के मुद्दे पर सीएम बघेल की तरफ से यह कहना कि नक्सली संविधान पर विश्वास प्रकट करें तो हम बात करने के लिए तैयार हैं. यह सरकार का अड़ियल रवैया को दर्शाता है.
सरकार अनुकूल वातावरण बनाए: नक्सली नेता विकल्प ने कहा कि "हम यही स्पष्ट करना चाहते हैं कि अनुकूल वातावरण में ही वार्ता हो सकती है. जो सरकार पर निर्भर है. छत्तीसगढ़ सरकार के गृह मंत्री ने बिना किसी शर्त के वार्ता की बात कही है. नक्सली नेता विकल्प ने सरकार पर हवाई हमले, बमबारी और एनकाउंटर करने का आरोप लगाया है. नक्सलियों की मांग है कि यदि बातचीत के लिए सरकार इमानदारी दिखाए और अनुकूल वातावरण तैयार करे तो बातचीत हो सकती है".
नक्सलियों ने बस्तर से फोर्स हटाने की मांग की: इस पत्र के जरिए नक्सलियों ने बस्तर से सुरक्षाबलों को हटाने की मांग की है. इसके अलावा जेल में बंद नेताओं को रिहा करने की भी मांग की है. नक्सलियों ने इस पत्र के माध्यम से यह कहा है कि जब वार्ता होगी तो असली मुद्दों और समस्याओं के बारे में चर्चा होगी.
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नक्सलियों ने इससे पहले भी वार्ता के लिए रखी थी शर्तें : इससे पहले भी नक्सलियों से वार्ता पर सीएम ने कहा था कि "अगर नक्सली संविधान को माने तो हम बात करने को तैयार हैं". लेकिन इसके बाद नक्सलियों ने कई शर्तें रख दी. जिसमें पीएलजीए (Peoples Liberation Guerrilla Army) पर लगाये गए प्रतिबंध को हटाने, जंगलों में हवाई हमले बंद करने और संघर्षरत इलाकों में सशस्त्र बलों के कैम्पों को हटाए जाने जैसी शर्तें शामिल थी.
नक्सलियों की शर्तों को सीएम ने किया था नामंजूर: इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों की सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया. सरगुजा जिले के प्रतापपुर में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि "नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास व्यक्त करें, फिर उनसे किसी भी मंच , पर बात की जा सकती है. वहीं, दिल्ली दौरे से लौटे गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बात को दोहराया था. उन्होंने कहा था कि नक्सली संविधान पर भरोसा रखें और बिना किसी शर्त के बातचीत के लिए आगे आएं".
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नक्सलियों के रुख पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट: नक्सल जानकारों का मानना है कि "अगर बस्तर से सुरक्षाबलों को हटाया जाता है तो नक्सली कोई साजिश रच सकते हैं. इसलिए उनकी यह शर्तें राज्य और देश के लिए ठीक नहीं है. क्योंकि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के लिए तैनात जवान सिर्फ नक्सलियों से मुठभेड़ के लिए नहीं बल्कि वहां पर कानून व्यवस्था बनाने के लिए भी तैनात किए जाते हैं. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बातचीत की पहल करने के बाद नक्सली बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं. किसी भी सरकार के लिए यह जोखिम भरा कदम हो सकता है".