बीजापुर: जल संसाधन विभाग द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों की धीमी रफ्तार से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लगभग 15 सालों तक उद्वहन सिंचाई योजना पर पानी की तरह पैसे बहाने के बावजूद इलाके के किसानों को एक बूंद पानी नहीं मिल सका है. यहां आज भी सिंचाई के लिए किसान बरसात के पानी पर निर्भर हैं. फिलहाल इस योजना पर दोबारा काम शुरू हुआ है, जिससे किसानों में थोड़ी उम्मीद जागी है.
बता दें कि मध्यप्रदेश से अलग होकर जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था, तो पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने यहां के ग्रामीणों की विशेष मांग पर क्षेत्र के किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भोपालपट्टनम तहसील के अंतर्गत ग्राम अर्जुनेल्ली में उद्वहन सिंचाई योजना को हरी झंडी दिखाई, लेकिन योजना के तहत अब तक किसानों को पानी नहीं मिल सका है.
2004 से शुरू हुई योजना, पर अब भी अधूरी
बीजापुर विधानसभा के तत्कालीन विधायक राजेंद्र पामभोई ने साल 2004 में इस योजना की नींव रखी थी. जिसके बाद आने वाले दिनों में किसानों को पानी मिलने की उम्मीद थी, लेकिन 15 साल बीत जाने के बावजूद इस सिंचाई योजना का लाभ नहीं मिल सका है, ऐसे में क्षेत्र के किसान हताश हैं.
क्या थी योजना
जिले में पानी की भारी कमी के कारण किसान सिर्फ एक फसल ले पाते थे. ऐसे में यहां किसानों की परेशानी दूर करने के लिए उद्वहन सिंचाई योजना को तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने स्वीकृत किया. योजना के तहत बस्तर की जीवनरेखा कहलाने वाली इन्द्रावती नदी के पानी को एकत्रित करना था. इस पानी को नहर और पाइप लाइन के जरिए इलाके के किसानों तक पहुंचाना था, ताकि यहां के किसानों को फायदा मिल सके.
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ETV भारत ने ग्रामीणों से की बात
इलाके के ग्रामीणों को अब भी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में उन्हें सिंचाई योजना के जरिए पानी मिल सकेगा. एक किसान ने बताया कि जिस उदेश्य से ग्राम अर्जुनेल्ली में उद्वहन सिंचाई योजना की शुरुआत की गई थी, वह अब तक अधूरी है. हमें एक बूंद भी पानी सिंचाई के लिए नहीं मिल सका है. योजना के पूरा होने का इंतजार है. एक ग्रामीण ने बताया कि इस योजना में साल 2008 तक तेजी देखी गई थी, लेकिन उसके बाद से काम मंद पड़ गया.
पलायन की भी समस्या का होगा अंत
बीजापुर जिले में साल में एक फसल लेने वाले किसानों के हाथ पूरे साल खाली रहते हैं. अन्य दिनों में रोजगार की तलाश में वे तेलंगाना और आंध्रप्रदेश चले जाते हैं. खेतों में सूखा पड़ा होता है. ऐसे में जब इस योजना का पानी किसानों को मिल सकेगा, तो लोगों का यहां से पलायन भी रुकेगा. किसान 2 से 3 फसल ले सकेंगे, साथ ही बड़े किसान मजदूरों को रोजगार भी दे सकेंगे.