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बीजापुर: जमलो की मौत से अनजान भाई-बहन को आज भी है उसका इंतजार

ETV भारत की टीम मासूम जमलो के गांव पहुंची, जिसने कुछ ही दिन पहले अपनी जान लगातार पैदल चलने के कारण गंवा दी थी. जमलो के पिता ने कहा कि सरकार की ओर से सहायता राशि का चेक दिया गया है, लेकिन मेरी बिटिया तो अब नहीं आ पाएगी.

Siblings waiting for Jamalo
जमलो के इंतजार में भाई-बहन
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Published : Apr 24, 2020, 2:18 PM IST

Updated : Apr 24, 2020, 5:20 PM IST

बीजापुर : 12 साल की जमलो की मौत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. तेलंगाना से अपने घर छत्तीसगढ़ के बीजापुर लौट रही बच्ची गांव पहुंचने से पहले ही मौत के मुंह में पहुंच गई थी. ETV भारत की टीम जमलो के घर पहुंची और परिवार का हाल जाना. जमलो के माता-पिता को पता है कि उनकी बेटी अब घर नहीं आएगी, लेकिन उसके छोटे-भाई बहन इससे अनजान हैं. उन्हें आज भी अपनी बहन के लौटने का इंतजार है.

भाई-बहन को आज भी है जमलो का इंतजार

पिता कहते हैं कि भले हमें सरकार की ओर से सहायता राशि का चेक दिया गया, लेकिन मेरी बिटिया तो अब नहीं आ पाएगी. घर में छोटे भाई-बहन जमलो को याद करते रहते हैं. उन्होंने बताया कि आदेड़ गांव की 12 साल की जमलो मड़कामी अपने गांव के ही कुछ लोगों के साथ रोजगार की तलाश में 2 महीने पहले मिर्ची तोड़ने तेलंगाना के पेरूर गांव गई हुई थी.

पढ़ें-LOCKDOWN : जिंदगी की जंग हार गई, बस्तर की बिटिया

लॉकडाउन ने ली जान

'लाॅकडाउन-2' लगने के बाद तेलंगाना से वापस ये मासूम बच्ची अपने साथियों के साथ बीजापुर के लिए पैदल ही रवाना हुई. करीब 135 किलोमीटर का जंगली सफर पैदल तय कर 12 प्रवासी मजदूरों का दल बीजापुर के मोदकपाल तक किसी तरह पहुंच ही पाया था कि इसी दौरान डिहाइड्रेशन का शिकार होकर जमलो की मौत हो गई.

बीजापुर : 12 साल की जमलो की मौत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. तेलंगाना से अपने घर छत्तीसगढ़ के बीजापुर लौट रही बच्ची गांव पहुंचने से पहले ही मौत के मुंह में पहुंच गई थी. ETV भारत की टीम जमलो के घर पहुंची और परिवार का हाल जाना. जमलो के माता-पिता को पता है कि उनकी बेटी अब घर नहीं आएगी, लेकिन उसके छोटे-भाई बहन इससे अनजान हैं. उन्हें आज भी अपनी बहन के लौटने का इंतजार है.

भाई-बहन को आज भी है जमलो का इंतजार

पिता कहते हैं कि भले हमें सरकार की ओर से सहायता राशि का चेक दिया गया, लेकिन मेरी बिटिया तो अब नहीं आ पाएगी. घर में छोटे भाई-बहन जमलो को याद करते रहते हैं. उन्होंने बताया कि आदेड़ गांव की 12 साल की जमलो मड़कामी अपने गांव के ही कुछ लोगों के साथ रोजगार की तलाश में 2 महीने पहले मिर्ची तोड़ने तेलंगाना के पेरूर गांव गई हुई थी.

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'लाॅकडाउन-2' लगने के बाद तेलंगाना से वापस ये मासूम बच्ची अपने साथियों के साथ बीजापुर के लिए पैदल ही रवाना हुई. करीब 135 किलोमीटर का जंगली सफर पैदल तय कर 12 प्रवासी मजदूरों का दल बीजापुर के मोदकपाल तक किसी तरह पहुंच ही पाया था कि इसी दौरान डिहाइड्रेशन का शिकार होकर जमलो की मौत हो गई.

Last Updated : Apr 24, 2020, 5:20 PM IST
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