तखतपुर/बिलासपुर: बिलासपुर से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर तखतपुर विधानसभा के पाली ग्राम पंचायत के पालेश्वर महादेव मंदिर की कहानी कवर्धा के राज घराने से जुड़ी हुई है. गोंडवाना के आदि शक्ति पालेश्वर महादेव मंदिर परिसर में तीन पुजारियों ने समाधि ली है. वहीं महाशिवरात्रि के दिन यहां भगवान शिव की पूजा और अर्चना करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ी रही है.
ऐसा कहा जाता है कि कवर्धा के मंडावी राजा ने अपने कान फूंक गुरु के लिए पाली में लगभग 20 एकड़ भूमि दान में दी थी. वहां रहकर जीवनयापन करने के बाद सैंकड़ों साल के बाद लगभग 2005 तक, गोंड पुजारी हर साल महादेव की आराधना में शिवरात्रि की रात जगराता करते हैं. सभी 57 आदिवासी समुदाय एक स्थल में महादेव के बताए मार्ग पर चलने और समाज में फैली कुरीतियों को सुलझाने के लिए देव गुड़ी संविधान और संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए लोगों को लंगर देने की परंपरा रही है.
2019 के आखिर में यहां के पुजारी पालेश्वरनाथ गणेश गिरी की मृत्यु के बाद वर्तमान में सुदर्शन गिरी इस मंदिर की देखरेख कर रहे हैं. यहां रात से ही भक्तों का तांता देखने को मिलता है. ऐसा माना जाता है कि यहां मांगी गई सभी मुरादें पूरी होती है. प्रशासनिक संरक्षण के आभाव में यह एक ऐतिहासिक धरोहर मात्र दार्शनिक स्थल बन कर रहा गया है.