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bijapur year ender 2022 : सिलेगर से लेकर भोपालपट्टनम तक क्या कुछ रहा खास - सिलेगर से लेकर भोपालपट्टनम तक क्या कुछ रहा खास

year ender 2022 साल 2022 में बीजापुर में कई घटनाएं look back 2022 हुई. कई ऐतिहासिक निर्णय भी लिए गए. साल 2022 में बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया, जहां कांग्रेस ने कब्जा big incidents of bijapur in 2022 किया. बीजापुर के सिलेगर में पुलिस कैंप के कारण सरकार को भी काफी विरोध झेलना पड़ा. बीजापुर में साल 2022 में क्या कुछ हुआ,आईए जानते हैं. bijapur latest news

Special events of Bijapur
बीजापुर की खास घटनाएं
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Published : Dec 21, 2022, 9:43 PM IST

बीजापुर: बीजापुर में साल 2022 में क्या खास रहा. कितना बदलाव हआ. बीजापुर की किन घटनाओं और मुद्दों ने सुर्खियां बनाई. डालते है एक नजर

  1. बीजापुर जिला मुख्यालय तक पहुंचना कभी टेड़ी खीर थी. लेकिन बीजापुर जिले के संवेदनशील ब्लॉकों तक एक बार फिर 20 साल बाद सड़कों का जाल बिछाया गया. छत्तीसगढ़ का घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र और पहुंच विहीन मार्ग है. सड़क निर्माण होने से आसपास के ग्रामीणों को अब आवागमन की सुविधा हो रही है. तर्रेम, दम्पाया, गोरला, केसाईगुडा समेत भोपालपटनम, उसूर, भैरमगढ़ समेत बीजापुर ब्लॉक के कई ग्राम अब सड़क विहीन नहीं रहे. bijapur latest news
  2. बीजापुर में कितने एनकाउंटर हुए : साल भर में 20 मुठभेड़ हुई है, जिसमें 11 नक्सली ढेर हुए. पुलिस की गतिविधियों के कारण नक्सली बैकफुट पर थे. नक्सली और पुलिस के बीच कई बार आमना सामना हुआ. लेकिन हर बार नक्सलियों पर पुलिस की टीम भारी पड़ी. यही नहीं नक्सली उन्मूलन अभियान से प्रभावित होकर
  3. आंदोलन के कारण हुई सरकार की फजीहत : सिलगेर गांव बीजापुर जिले में यह गांव डेढ़ वर्षों से तब सुर्खियों में आया.जब पुलिस कैंप का विरोध करते हुए सामने आए उन पर गोलियां बरसाईं गई. कथित तौर पर कुछ लोगों के मारे जाने की बातों को लेकर आंदोलन शुरु हुआ. बीजापुर जिले में आज तक का सबसे बड़ा आंदोलन है जो कि देश-विदेश में सुर्खियों बना हुआ है. सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है. जिसको लेकर प्रशासन के लिए भी चिंता की लकीरें हैं. बीजापुर जिले के सिलगेर में केंद्र और राज्य सरकार विकास कार्यों को सुरक्षा देने कैंपों की स्थापना कर रही है. जिसके विरोध में आंदोलन शुरू हुआ है. यह कब ख़त्म होगा भविष्य के गर्त में हैं . यह आंदोलन मई 2021 से जारी है जिसके दावे प्रति दावे अलग -अलग है.big incidents of bijapur in 2022
    Silegar
    सिलेगर में पुलिस कैंप का हुआ विरोध
  4. कोरोना काल के बाद खुले स्कूल : बीजापुर जिले में 15-16 वर्ष पूर्व कतिपय कारणों से लगभग 200 से अधिक स्कूल बंद थे. जिसको शैक्षणिक सत्र में 191 स्कूलों को फिर से खोला गया. जिसके कारण 6920 बच्चों का जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैला . इन बंद पड़े स्कूलों को फिर से शुरु करने में बीजापुर जिले के कलेक्टर राजेन्द्र कटारा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिसके कारण बच्चों का भविष्य अब संवरेगा. कलेक्टर के इस अभियान को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाथों हाथ लिया. शिक्षा के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी पहल है जिसके तहत शैक्षणिक वर्ष 2022 में 191 स्कूलों में घंटी बजी. यदि ब्लॉक वार देखें तो उसूर ब्लाक में 83 , भैरमगढ़ में 62, बीजापुर और भोपालपट्टनम में 23-23 स्कूल बंद थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शिक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करने फ्री हैंड दिए हैं. इसकी बदौलत गांवों में स्कूलों का सकारात्मक संदेश गया कि वर्तमान शासन-प्रशासन शिक्षा के प्रति कितनी सजग है.
    Schools closed during the Corona period were opened
    कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल खोले गए
  5. पुजारी कांकेर गांव में शुरु हुआ पूजा पाठ : बीजापुर से करीब 63 किमी और तेलांगाना की सीमा से कुछ किमी दूर बसा पुजारीकांकेर गांव है. नक्सली घटनाओं और बदहाल सड़कों की वजह से 2 दशक से यहां आवाजाही थम सी गई थी. माना जाता है कि कौरवों के शर्त हारकर अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने यहां विशाल पहाड़ी पर कुछ समय गुजारा था. तब से यहां स्थानीय भाषा बोली में इसे दुर्गम गुट्टा या पांडव पहाड़ी भी कहा जाता है. ग्रामीणों के अनुसार पहाड़ी के ऊपर भी एक मंदिर है. पुजारी कांकेर एक ऐसा गांव है जहां आज भी पांचों पांडव भाइयों की पूजा भी होती है. यहां सरहद पर धर्मराज का मंदिर भी बनाया गया है. जहां हर दो वर्षों में मेले का आयोजन किया जाता है. दंडकारण्य के ईद दुर्गम गुट्टा( पहाड़ी) से होकर बाद में पांडवों ने भोपालपट्टनम क्षेत्र का रुख किया. जो सुरंग के रास्ते सकलनारायन पहाड़ी तक पहुंचता है. जहां श्रीकृष्ण भगवान की मूर्ति की स्थापना पांडवों ने की थी. जहां सकलनारायण मेला लगता है. किवदंती है कि इसी सकलनारायण की पहाड़ी में श्रीकृष्ण और जामवन्त का युद्ध हुआ था. यहां पर पूजा पाठ शुरू हुआ
  6. अब बना सुर्ख़ियों में नीलम सर्री( नीला झरना) : नक्सलियों की पैठ वाला इलाका है उसूर. उसूर के आगे तेलांगाना की सड़क लगभग दो दशकों से दहशत का पर्याय बनी हुई है. जिस नीलम सर्री की हम बात कर रहे हैं. उसके लिए उसूर से आपको पैदल करीब 10 किमी और कई घंटों का सफर करना पड़ेगा. कठिन चढ़ाई और पहाड़ी की वजह से सफर थोड़ी मुश्किल हो जाती है. लेकिन बस्तर की सबसे ऊंचाई से गिरने वाली जलधारा को देखने के उत्साह के आगे मुश्किल रास्ता भी आसान लगने लगता है. बारिश के वक्त नीलम सर्री अपने पूरे शबाब पर होती है. 200 मीटर की ऊंचाई और करीब 100 मीटर की चौड़ाई आपको रोमांच से भर देगी. यहां तक पहुंचने के लिए बीजापुर से उसूर तक मुख्य मार्ग से पहुंचा जा सकता है. उसूर से निकटतम झरना नागलमडगु करीब 3 किमी की दूरी पर है. पहाड़ों से निकलता झरना उसूर, पुट्टापल्ली,पेरमपल्ली सहित सोढिपार, कलमुपार को साल भर घर पहुंच सेवा देती है. जिस पर घरबाड़ी और खेती की सिंचाई निर्भर है. नागुलमडगु से 10 किमी की पहाड़ी चढ़ाई पैदल स्थानीय गाइड की मदद से तय करनी पड़ती है. 3 घंटे की कड़ी चढ़ाई के बाद 200 मीटर नीचे गिरती जलधारा को देख पूरी थकान चली जाती है.
  7. भोपालपट्टनम में कांग्रेस का पूरा कब्ज़ा : कांग्रेस की सरकार ने 2022 में भोपालपट्ट्नम नगर पंचायत को अपने कब्जे में कर लिया.जिला के भोपालपट्टनम को 22 दिसंबर 2009 को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया.भोपालपट्ट्नम को राजाओं की नगरी भी कहा जाता है. शहर को भोपाल पटना के नाम से भी जाना जाता है. भोपालपटनम के पास रालापल्ली में मिलने वाली कोरंडम पत्थर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. फिलहाल इलाके में लाल आतंक के कारण कोरंडम खनन बंद कर दिया गया है. हालांकि नीलामी प्रक्रिया चालू है और जल्द ही खनन का काम भी शुरू होने की संभावना नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं, जिसकी आबादी 4445 है. इसमें 2245 पुरुष और 2200 महिलाओं का संख्या है. यहां कांग्रेस ने कब्जा हासिल किया
    bijapur
    भोपालपट्टनम बना नगर पंचायत
  8. कौन बना भोपालपट्टनम का नगर अध्यक्ष : भोपालपटनम को नगर पंचायत घोषित करने के बाद सत्यनारायण केतारप को यहां का अध्यक्ष मनोनित किया गया था. इसके बाद दो बार यहां पंचायत चुनाव हुए. जिसमें दोनों बार कांग्रेस के प्रत्याशी अध्यक्ष के रूप में चुने गये थे लेकिन सरकार भाजपा के होने के चलते नगर के विकास मे रोड़ा चलता रहा नगर पंचायत के नगर वासियो ने इस वर्ष के चुनाव मे 15 वॉर्ड में कांग्रेस पार्षद बन कर भाजपा का पत्ता साफ कर दिया औऱ हर वार्ड मे साफ सफाई, नाली निर्माण, समेत शहर में मूलभूत सुविधाओं की कमी नहीं. शहर में बिजली-पानी की स्थिति लगभग ठीक है. हालांकि कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि शहर में कई और भी मूलभूत सुविधाओं में वृद्धि और विकास पर ध्यान देना चाहिए. जिससे शहर को प्रदेश स्तर पर बेहतर पहचान मिल सके. शहर में सफाई व्यवस्था लगभग ठीक है. बीजापुर के विधायक और बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी भोपालपटनम नगर पंचायत में एक ही दिन में 36 निर्माण कार्यो का भूमि पूजन कर एक नया इतिहास रच दिया था.

बीजापुर: बीजापुर में साल 2022 में क्या खास रहा. कितना बदलाव हआ. बीजापुर की किन घटनाओं और मुद्दों ने सुर्खियां बनाई. डालते है एक नजर

  1. बीजापुर जिला मुख्यालय तक पहुंचना कभी टेड़ी खीर थी. लेकिन बीजापुर जिले के संवेदनशील ब्लॉकों तक एक बार फिर 20 साल बाद सड़कों का जाल बिछाया गया. छत्तीसगढ़ का घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र और पहुंच विहीन मार्ग है. सड़क निर्माण होने से आसपास के ग्रामीणों को अब आवागमन की सुविधा हो रही है. तर्रेम, दम्पाया, गोरला, केसाईगुडा समेत भोपालपटनम, उसूर, भैरमगढ़ समेत बीजापुर ब्लॉक के कई ग्राम अब सड़क विहीन नहीं रहे. bijapur latest news
  2. बीजापुर में कितने एनकाउंटर हुए : साल भर में 20 मुठभेड़ हुई है, जिसमें 11 नक्सली ढेर हुए. पुलिस की गतिविधियों के कारण नक्सली बैकफुट पर थे. नक्सली और पुलिस के बीच कई बार आमना सामना हुआ. लेकिन हर बार नक्सलियों पर पुलिस की टीम भारी पड़ी. यही नहीं नक्सली उन्मूलन अभियान से प्रभावित होकर
  3. आंदोलन के कारण हुई सरकार की फजीहत : सिलगेर गांव बीजापुर जिले में यह गांव डेढ़ वर्षों से तब सुर्खियों में आया.जब पुलिस कैंप का विरोध करते हुए सामने आए उन पर गोलियां बरसाईं गई. कथित तौर पर कुछ लोगों के मारे जाने की बातों को लेकर आंदोलन शुरु हुआ. बीजापुर जिले में आज तक का सबसे बड़ा आंदोलन है जो कि देश-विदेश में सुर्खियों बना हुआ है. सरकार के लिए यह महत्वपूर्ण चुनौती बना हुआ है. जिसको लेकर प्रशासन के लिए भी चिंता की लकीरें हैं. बीजापुर जिले के सिलगेर में केंद्र और राज्य सरकार विकास कार्यों को सुरक्षा देने कैंपों की स्थापना कर रही है. जिसके विरोध में आंदोलन शुरू हुआ है. यह कब ख़त्म होगा भविष्य के गर्त में हैं . यह आंदोलन मई 2021 से जारी है जिसके दावे प्रति दावे अलग -अलग है.big incidents of bijapur in 2022
    Silegar
    सिलेगर में पुलिस कैंप का हुआ विरोध
  4. कोरोना काल के बाद खुले स्कूल : बीजापुर जिले में 15-16 वर्ष पूर्व कतिपय कारणों से लगभग 200 से अधिक स्कूल बंद थे. जिसको शैक्षणिक सत्र में 191 स्कूलों को फिर से खोला गया. जिसके कारण 6920 बच्चों का जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैला . इन बंद पड़े स्कूलों को फिर से शुरु करने में बीजापुर जिले के कलेक्टर राजेन्द्र कटारा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जिसके कारण बच्चों का भविष्य अब संवरेगा. कलेक्टर के इस अभियान को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हाथों हाथ लिया. शिक्षा के क्षेत्र में यह क्रांतिकारी पहल है जिसके तहत शैक्षणिक वर्ष 2022 में 191 स्कूलों में घंटी बजी. यदि ब्लॉक वार देखें तो उसूर ब्लाक में 83 , भैरमगढ़ में 62, बीजापुर और भोपालपट्टनम में 23-23 स्कूल बंद थे. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शिक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करने फ्री हैंड दिए हैं. इसकी बदौलत गांवों में स्कूलों का सकारात्मक संदेश गया कि वर्तमान शासन-प्रशासन शिक्षा के प्रति कितनी सजग है.
    Schools closed during the Corona period were opened
    कोरोना काल में बंद पड़े स्कूल खोले गए
  5. पुजारी कांकेर गांव में शुरु हुआ पूजा पाठ : बीजापुर से करीब 63 किमी और तेलांगाना की सीमा से कुछ किमी दूर बसा पुजारीकांकेर गांव है. नक्सली घटनाओं और बदहाल सड़कों की वजह से 2 दशक से यहां आवाजाही थम सी गई थी. माना जाता है कि कौरवों के शर्त हारकर अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने यहां विशाल पहाड़ी पर कुछ समय गुजारा था. तब से यहां स्थानीय भाषा बोली में इसे दुर्गम गुट्टा या पांडव पहाड़ी भी कहा जाता है. ग्रामीणों के अनुसार पहाड़ी के ऊपर भी एक मंदिर है. पुजारी कांकेर एक ऐसा गांव है जहां आज भी पांचों पांडव भाइयों की पूजा भी होती है. यहां सरहद पर धर्मराज का मंदिर भी बनाया गया है. जहां हर दो वर्षों में मेले का आयोजन किया जाता है. दंडकारण्य के ईद दुर्गम गुट्टा( पहाड़ी) से होकर बाद में पांडवों ने भोपालपट्टनम क्षेत्र का रुख किया. जो सुरंग के रास्ते सकलनारायन पहाड़ी तक पहुंचता है. जहां श्रीकृष्ण भगवान की मूर्ति की स्थापना पांडवों ने की थी. जहां सकलनारायण मेला लगता है. किवदंती है कि इसी सकलनारायण की पहाड़ी में श्रीकृष्ण और जामवन्त का युद्ध हुआ था. यहां पर पूजा पाठ शुरू हुआ
  6. अब बना सुर्ख़ियों में नीलम सर्री( नीला झरना) : नक्सलियों की पैठ वाला इलाका है उसूर. उसूर के आगे तेलांगाना की सड़क लगभग दो दशकों से दहशत का पर्याय बनी हुई है. जिस नीलम सर्री की हम बात कर रहे हैं. उसके लिए उसूर से आपको पैदल करीब 10 किमी और कई घंटों का सफर करना पड़ेगा. कठिन चढ़ाई और पहाड़ी की वजह से सफर थोड़ी मुश्किल हो जाती है. लेकिन बस्तर की सबसे ऊंचाई से गिरने वाली जलधारा को देखने के उत्साह के आगे मुश्किल रास्ता भी आसान लगने लगता है. बारिश के वक्त नीलम सर्री अपने पूरे शबाब पर होती है. 200 मीटर की ऊंचाई और करीब 100 मीटर की चौड़ाई आपको रोमांच से भर देगी. यहां तक पहुंचने के लिए बीजापुर से उसूर तक मुख्य मार्ग से पहुंचा जा सकता है. उसूर से निकटतम झरना नागलमडगु करीब 3 किमी की दूरी पर है. पहाड़ों से निकलता झरना उसूर, पुट्टापल्ली,पेरमपल्ली सहित सोढिपार, कलमुपार को साल भर घर पहुंच सेवा देती है. जिस पर घरबाड़ी और खेती की सिंचाई निर्भर है. नागुलमडगु से 10 किमी की पहाड़ी चढ़ाई पैदल स्थानीय गाइड की मदद से तय करनी पड़ती है. 3 घंटे की कड़ी चढ़ाई के बाद 200 मीटर नीचे गिरती जलधारा को देख पूरी थकान चली जाती है.
  7. भोपालपट्टनम में कांग्रेस का पूरा कब्ज़ा : कांग्रेस की सरकार ने 2022 में भोपालपट्ट्नम नगर पंचायत को अपने कब्जे में कर लिया.जिला के भोपालपट्टनम को 22 दिसंबर 2009 को नगर पंचायत का दर्जा दिया गया.भोपालपट्ट्नम को राजाओं की नगरी भी कहा जाता है. शहर को भोपाल पटना के नाम से भी जाना जाता है. भोपालपटनम के पास रालापल्ली में मिलने वाली कोरंडम पत्थर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. फिलहाल इलाके में लाल आतंक के कारण कोरंडम खनन बंद कर दिया गया है. हालांकि नीलामी प्रक्रिया चालू है और जल्द ही खनन का काम भी शुरू होने की संभावना नगर पंचायत में कुल 15 वार्ड हैं, जिसकी आबादी 4445 है. इसमें 2245 पुरुष और 2200 महिलाओं का संख्या है. यहां कांग्रेस ने कब्जा हासिल किया
    bijapur
    भोपालपट्टनम बना नगर पंचायत
  8. कौन बना भोपालपट्टनम का नगर अध्यक्ष : भोपालपटनम को नगर पंचायत घोषित करने के बाद सत्यनारायण केतारप को यहां का अध्यक्ष मनोनित किया गया था. इसके बाद दो बार यहां पंचायत चुनाव हुए. जिसमें दोनों बार कांग्रेस के प्रत्याशी अध्यक्ष के रूप में चुने गये थे लेकिन सरकार भाजपा के होने के चलते नगर के विकास मे रोड़ा चलता रहा नगर पंचायत के नगर वासियो ने इस वर्ष के चुनाव मे 15 वॉर्ड में कांग्रेस पार्षद बन कर भाजपा का पत्ता साफ कर दिया औऱ हर वार्ड मे साफ सफाई, नाली निर्माण, समेत शहर में मूलभूत सुविधाओं की कमी नहीं. शहर में बिजली-पानी की स्थिति लगभग ठीक है. हालांकि कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि शहर में कई और भी मूलभूत सुविधाओं में वृद्धि और विकास पर ध्यान देना चाहिए. जिससे शहर को प्रदेश स्तर पर बेहतर पहचान मिल सके. शहर में सफाई व्यवस्था लगभग ठीक है. बीजापुर के विधायक और बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम मंडावी भोपालपटनम नगर पंचायत में एक ही दिन में 36 निर्माण कार्यो का भूमि पूजन कर एक नया इतिहास रच दिया था.
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