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बीजापुर: 24 हफ्तों के गर्भ के बाद जन्मी बच्ची की सेहत में हो रहा सुधार

धुर नक्सल प्रभावित इलाके भैरमगढ़ में 5 अप्रैल 2020 को 24 हफ्तों के गर्भ के बाद ही एक बच्ची का जन्म हुआ था. ये बच्ची अब करीब 8 महीने की हो गई है और पूरी तरह से स्वस्थ है. ये केस डॉक्टरों के लिए भी हैरानी भरा है, क्योंकि सामान्यतः इतनी कम उम्र के प्री मैच्योर बेबी सर्वाइव नहीं कर पाते हैं.

Baby born only after 24 weeks of pregnancy
24 हफ्तों में बच्ची का हुआ जन्म
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Published : Jun 9, 2020, 10:39 AM IST

बीजापुर: धुर नक्सल प्रभावित भैरमगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 5 अप्रैल को एक प्री मैच्योर बच्ची का जन्म हुआ था. इस बच्ची ने गर्भधारण के महज 24 हफ्तों में ही जन्म ले लिया था. अब उस बच्ची की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.

डॉक्टर्स की टीम ने गर्भधारण के 24 हफ्तों में जन्मी बच्ची को अपने मेहनत के बलबूते जीवित रखा है. भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉ. अभय तोमर और सतीश बारीक ने बताया कि इतने कम दिन में बच्ची का पैदा होना किसी चमत्कार से कम नहीं है.

24 हफ्तों के गर्भ के बाद ही बच्ची का जन्म

दरअसल, गर्भवती राजेश्वरी गोंडे को प्रसव पीड़ा के बाद अप्रैल में हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. गर्भधारण के 24 हफ्तों में ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया. जन्म के समय बच्ची का वजन 500 ग्राम के करीब था. जन्म से ही बेबी को सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया जैसी परेशानी थी. प्री मैच्योर बेबी की आंत विकसित नहीं होने के कारण वो मां का दूध भी नहीं पचा पा रही थी, जिसके बाद डॉक्टर्स ने बच्ची को मेडिसिन और मेहनत के बलबूते पर स्वस्थ रखा है.

बीजापुर के डॉक्टर्स की टीम ने एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अतुल जिंदल को जानकारी दी. तब इस केस को चुनौती मानकर डॉ. जिंदल के अलावा यूनिसेफ के डॉक्टर और राज्य टीकाकरण के डॉक्टर्स लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. डॉक्टर जिंदल ने कहा कि ऐसे रेयर केसेज़ हैं, जहां इतने कम दिन के प्री मैच्योर बेबी जीवित रह पाए हैं.

बीजापुर: धुर नक्सल प्रभावित भैरमगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 5 अप्रैल को एक प्री मैच्योर बच्ची का जन्म हुआ था. इस बच्ची ने गर्भधारण के महज 24 हफ्तों में ही जन्म ले लिया था. अब उस बच्ची की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है.

डॉक्टर्स की टीम ने गर्भधारण के 24 हफ्तों में जन्मी बच्ची को अपने मेहनत के बलबूते जीवित रखा है. भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉ. अभय तोमर और सतीश बारीक ने बताया कि इतने कम दिन में बच्ची का पैदा होना किसी चमत्कार से कम नहीं है.

24 हफ्तों के गर्भ के बाद ही बच्ची का जन्म

दरअसल, गर्भवती राजेश्वरी गोंडे को प्रसव पीड़ा के बाद अप्रैल में हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था. गर्भधारण के 24 हफ्तों में ही उसने एक बच्ची को जन्म दिया. जन्म के समय बच्ची का वजन 500 ग्राम के करीब था. जन्म से ही बेबी को सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया जैसी परेशानी थी. प्री मैच्योर बेबी की आंत विकसित नहीं होने के कारण वो मां का दूध भी नहीं पचा पा रही थी, जिसके बाद डॉक्टर्स ने बच्ची को मेडिसिन और मेहनत के बलबूते पर स्वस्थ रखा है.

बीजापुर के डॉक्टर्स की टीम ने एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर अतुल जिंदल को जानकारी दी. तब इस केस को चुनौती मानकर डॉ. जिंदल के अलावा यूनिसेफ के डॉक्टर और राज्य टीकाकरण के डॉक्टर्स लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. डॉक्टर जिंदल ने कहा कि ऐसे रेयर केसेज़ हैं, जहां इतने कम दिन के प्री मैच्योर बेबी जीवित रह पाए हैं.

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