बेमेतरा: प्रदेश में लगातार बारिश हो रही है. भारी बारिश से भू-जल स्तर में भी सुधार हुआ है. आलम यह है कि बेमेतरा ब्लॉक के आदिवासी बाहुल्य ग्राम झालम में इन दिनों जल स्रोत जैसे हैंडपंप और नलकूप से अपने आप ही पानी निकल रहा है. अपने आप पानी निकलने की घटना क्षेत्र भर में चर्चा का विषय बना हुआ है. जानकारी के मुताबिक एक वक्त इस गांव में पानी की भारी कमी हो गई थी. लेकिन भू-जल स्तर के बढ़ने से लोगों में भी काफी खुशी है.
जानकारी के मुताबिक इस गांव में दो दशक पहले 80% प्रतिशत लोगों के घरों में कुंआ था. लगभग 800 की आबादी वाले इस गांव में तीस फिट से अधिक गहराई का कोई कुंआ नहीं खोदा जाता था. क्योंकि पानी निकालने के लिए पांच से सात फिट की रस्सी लगती थी. बाद में इस गांव के साथ भी वहीं हुआ जो इस जिले के अन्य गांवों के साथ हुआ है. वक्त के साथ कुएं सूख गए. कुछ लोगों को छोड़कर बाकी लोगों ने अपने घरों के कुंओं को समतल कर दिया. फिर पेयजल के लिए पावर पंप का सहारा लिया जाने लगा. जलसंकट के चलते यहां बाड़ी में सब्जी की खेती बंद हो गई. भेड़ चरवाहों ने भेड़ बेच दिए. बीस साल में गांव इतना बदला है की नई पीढ़ी को पुरानी बातों पर भरोसा दिलाना मुश्किल हो गया था.
फिर समय ने ली करवट
इस साल जनवरी से लगातार हो रही बारिश का असर इतना हुआ कि झालम में लोगों को पुराने दिन दिखने लगे हैं. यहां पर अब बिना पावर पंप और बिना किसी कनेक्शन के बोरवेल से पानी निकल रहा है. हैंडपंप को चलाने की जरूरत नहीं हो रही. गांव के महासिंह ध्रुव और अशोक नेताम ने बताया कि गांव के कुंए लबालब हैं. पानी निकालने के लिए रस्सी की जरूरत भी नहीं पड़ रही है. गांव के सरपंच टेकुराम साहू ने बताया कि हमारे यहा कुंआ है, कभी पांच से सात फिट की रस्सी से पानी निकालकर गुजारा करते थे. सन 1998 के बाद बड़ी तेजी से जल स्तर गिरा. कुंए सुख गए थे. इस साल हुई बारिश के बाद जो तस्वीर बनी है यह हमारे लिए शुभ है.