बेमेतरा: छत्तीसगढ़ में बीते दिनों से मूसलाधार बारिश हो रही है. प्रदेश के कई इलाकों में किसानों की फसल बर्बाद हो गई है. किसानों की माने तो जनवरी-मार्च महीने में हुए ओलावृष्टि से चने की फसल चौपट हो गई थी. वहीं अब 'सफेद सोना' यानी सोयाबीन की फसल भी पूरी तरीके से बारिश और कीट की भेंट चढ गई है. किसानों का कहना है कि 6 महीना बीत जाने के बाद भी उन्हें मुआवजा नहीं मिला है. अब तो प्राकृतिक आपदा ने सोयाबीन की फसल को लेकर किसानों की चिंता और बढ़ा दी है.
किसानों का कहना है कि वह लगातार प्राकृतिक आपदा का सामना कर रहे हैं. जनवरी में भी रुक-रुक कर हो रही बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ कर रखी दी थी. फरवरी-मार्च महीने में चने की फसल चौपट हो गई थी, जिसके बाद किसानों को चना का भूषा भी नसीब नहीं हुआ था. जिला प्रशासन ने सर्वे कराया था, लेकिन 6 महीने से किसान मुआवजा की राह ताक रहे हैं. इधर इस सदमे से किसान उबर नहीं पाए थे. आसामानी आफत ने सोयाबीन की फसल को चौपट कर दिया है.
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करोड़ों रुपये का सोयाबीन का नुकसान तय
कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 55 हजार एकड़ में सोयाबीन की खेती हो रही है. सामान्य मानसून की सूचना पर किसानों ने खेती की है. अगर न्यूनतम उत्पादन, 8 क्विंटल और बाजार भाव ढाई हजार की मानें तो 1 अरब 10 करोड़ का सोयाबीन का उत्पादन होना तय था, लेकिन अब किसानों को कचरा ही नसीब होगा. किसानों का कहना है कि जिले में करोड़ों रुपये का सोयाबीन का नुकसान होना तय माना जा रहा है.
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सोयबीन की फसल में फंगस और कीट का प्रकोप
किसानों ने बताया कि लगातार हो रही रुक-रुक कर बारिश से सोयाबीन की फसल पूरी तरीके से तो सड़ गई है. वहीं कीट और फंगस के प्रकोप ने फसल को बर्बाद कर दिया है, जिससे किसान फसल की कटाई भी नहीं कर सकते हैं.
कृषि वैज्ञनिक डॉक्टर एकता ताम्रकार ने बताया कि सोयाबीन की फसल में कीटों के प्रभाव के रोकथाम के लिए (इमिडाक्लोप्रिड थाइमैक्सिम) के साथ (लैम्ब्डा सयहलोतरीन) 5℅ EC का छिड़काव करना चाहिए, जिससे चलने वाले किट और रससूचक कीट दोनों मर जाते हैं. अब फसल बर्बाद होने के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि मुआवजा नहीं मिला, तो वह बर्बाद हो जाएंगे.