बेमेतरा: दुर्ग संभाग की हाईप्रोफाइल साजा विधानसभा सीट में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. भूपेश सरकार में मंत्री रहे रविंद्र चौबे को बीजेपी के ईश्वर साहू ने 5196 वोटों से हरा दिया है. दोनों के बीच कड़ा मुकाबले के बाद बीजेपी ने साजा सीट से जीत दर्ज की. इस बार दुर्ग जिले में कुल 69.36 प्रतिशत मतदान हुआ. वहीं साजा विधानसभा क्षेत्र की बात करें, तो यहां कुल 75.54 प्रतिशत मतदान हुआ है.
कौन हैं ईश्वर साहू : बीजेपी ने साजा विधानसभा सीट में ओबीसी कार्ड खेला. इस सीट से बीजेपी ने बिरनपुर हिंसा में शहीद हुए भुनेश्वर साहू के पिता ईश्वर साहू को प्रत्याशी बनाया. बीजेपी ने बीरनपुर हिंसा को लेकर चुनाव में सहानुभूति वोट बटोरने कोशिश की. इस क्षेत्र में ओबीसी मतदाताओं की संख्या अधिक है. यहां साहू और पटेल मतदाता अधिक हैं. ईश्वर साहू को टिकट देकर OBC मतदाताओं को भी अपने पाले में लेने की कोशिश की. जिसमें बीजेपी को काफी सफलता मिली.
कौन हैं रविंद्र चौबे : छत्तीसगढ़ की साजा विधानसभा सीट कांग्रेस और चौबे परिवार का गढ़ रही है. प्रदेश के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे साजा विधानसभा क्षेत्र से लगातार 6 बार और कुल 7 बार विधायक चुने जा चुके हैं. इसके अलावा उनके माता-पिता और भाई इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. साहू और लोधी वोटर्स के गढ़ में रविंद्र चौबे सात बार विधायक रहे हैं. वे 6 बार लगातार साजा से विधायक रहे. वे 2013 में हार गए थे, लेकिन साल 2018 में वे फिर सातवीं बार साजा से विधायक चुने गए. जिसके बाद 2018 से रविंद्र चौबे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे.
बिरनपुर हिंसा मंत्री रविंद्र चौबे पर पड़ा भारी: गौरलतब है कि साजा विधानसभा कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. जहां से रविंद्र चौबे के मां और भाई भी विधायक रह चुके हैं. चौबे की जीत की परंपरागत सीट माने जाने वाली सीट पर ईश्वर साहू ने जीत दर्ज की है. मंत्री रविन्द्र चौबे को दूसरी बार साजा की जनता ने नकारा है. इससे पहले लाभचंद बाफना ने उन्हें हाराया था. मंत्री चौबे बिरनपुर हिंसा के बाद पीड़ित भुनेश्वर साहू के घर नहीं गए, जिसे लेकर हिंदुत्व विरोधी होने का उन पर आरोप लगा. जिसके बाद लोगों ने ईश्वर को सहानुभूति के चलते जमकर वोट दिया और चुनाव जीता दिया है.
जीत हार का फैक्टर: बेमेतरा जिले के साजा विधानसभा में साहू-लोधी मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है. साजा में 65 फीसदी मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. केवल 10 फीसदी वोटर ही सामान्य श्रेणी के हैं. वहीं 25 फीसदी मतदाता एसटी एसटी वर्ग के हैं.साजा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत धमधा और थानखम्हरिया तहसील आते है. वहीं परपोड़ी और देवकर नगर पंचायत भी साजा विधानसभा के अधीन है.
साजा विधानसभा सीट का महत्व: साजा विधानसभा सीट का गठन सन 1967 में हुआ था. इसके बाद से लेकर 2013 तक लगातार यहां कांग्रेस के ही विधायक रहे. लेकिन साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस का रिकार्ड तोड़ दिया था. बीजेपी के लाभचंद बाफना ने कांग्रेसी प्रत्याशी रविंद्र चौबे को 5 हजार से अधिक मतों से मात दे दी थी. वर्तमान में प्रदेश के कृषि मंत्री रविंद्र चौबे साजा विधानसभा क्षेत्र से लगातार 6 बार और कुल 7 बार विधायक चुने जा चुके हैं. इसके अलावा उनके माता-पिता और भाई इस क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं.