बेमेतरा: जिले में करीब 10 वर्ष पूर्व रसोइयों बच्चे को धुए से प्रदूषण मुक्ति दिलाने के लिए मिड डे मील पकाने के काम के लिए एलपीजी गैस का उपयोग करने शासन स्तर से बकायदा गैस सिलेंडर उपलब्ध कराया गया था. bemetara latest news परंतु आज 10 साल बाद भी जिले के स्कूलों में गैस के बजाय चूल्हा से खाना बनाया जा रहा है. bemetara school newsबावजूद इसके आज तक इस पर मॉनिटरिंग कर जिम्मेदारों ने सुध नहीं लिया है और धुंए से मुक्ति नही मिल पाई है.Midday meal being made in wood in schools
गैस किट के बदले लकड़ियों का इस्तेमाल : गौरतलब है कि मध्यान्ह भोजन वितरित 2007 से संचालित किया जा रहा है इन 15 वर्षों में इस योजना से जुड़ी कई कमजोरियों को शासन स्तर पर दूर करने का प्रयास किया गया है. परंतु मौके पर हालात जस की तस है .एक ओर जहां स्कूलों में प्रदूषण से बीमारियां पनप रही हैं वहीं शासन के आदेश का पालन नहीं हो रहा है. गैस किट का उपयोग नहीं किया जा रहा है. जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार बेमेतरा जिला में 1139 स्कूलों में मध्यान्ह भोजन योजना संचालित है. जहां अधिकतर स्कूलों में खाना चूल्हा फूंक कर ही बनाया जा रहा है. जिले में मध्यान्ह भोजन योजना से 1लाख 17 हजार स्कूली विद्यार्थियों के लिए चूल्हे में ही खाना बनाया जा रहा है. Midday meal in bemetara
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बीईओ से मांगी गई जानकारी : वहीं मामले को लेकर जब मध्यान भोजन संचालकों से बात किया तो उन्होंने बढ़ते मंहगाई के कारण गैस किट के बदले चूल्हे फूंकने की बात कही है. वहीं इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी अरविंद मिश्रा (DEO Arvind Mishra) ने कहा कि ''719 स्कूलों को मध्यान भोजन से खाना बनाने के लिए गैस की प्रदान किया गया था बीईओ से जानकारी मंगाई जाएगी किन-किन स्कूलों में मध्यान्ह भोजन प्रभावित है एवं किन-किन स्कूलों में मध्यान भोजन चूल्हे से बनाए जा रहे हैं । जहां चूल्हे से मध्यान भोजन बनाये जा रहे हैं वहां कार्रवाई की जाएगी.''bemetara latest news