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बेमेतरा: धान खरीदी में उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता ने बढ़ाई किसानों की परेशानी - production certificate

किसानों को उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता के बाद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पटवारी और किसान दोनों विरोध कर रहे हैं और इसके लिए ज्ञापन सौंपा है.

production certificate
उत्पादन प्रमाण पत्र
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Published : Dec 19, 2019, 12:28 PM IST

Updated : Dec 19, 2019, 3:40 PM IST

बेमेतरा: कृषि मंत्री के गृह जिले में किसानों की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. कलेक्टर ने धान बेचने के लिए पटवारी से जारी उत्पादन प्रमाण पत्र किसानों को लाने की अनिवार्यता के बाद किसानों और पटवारियों में असंतोष दिख रहा है और उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं. वहीं तुगलकी फरमान का पटवारी और किसान दोनों विरोध कर रहे हैं. पटवारियों ने तहसीलदार को फरमान वापस लेने ज्ञापन सौंपा है.

उत्पादन प्रमाण पत्र

बता दें कलेक्टर के आदेश के बाद पटवारियों के उत्पादन प्रमाण पत्र बनाने गांव के हल्का में पहुंचकर खलिहान का भौतिक सत्यापन कर उत्पादन प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है, जिससे पटवारी और किसान दोनों को परेशानी हो रही है और धान खरीदी पिछड़ते जा रही है. इसके मद्देनजर पटवारी संघ ने बैठक कर अपनी परेशानी तहसीलदार को बताई है.

पढ़े:उद्यानिकी फसलों की बीमा कराने के लिए 31 दिसंबर अंतिम तिथि

उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता
जिला किसान संघर्ष समिति और अंकुर समाजसेवी संस्था के राहुल टिकरिया ने कहा कि जिला प्रशासन के उत्पादन प्रमाण पत्र जारी करने पर धान खरीदने का फंडा समझ में नहीं आ रहा है. किसानों को लगातार परेशान किया जा रहा है जो अन्याय है. प्रदेश के अन्य किसी भी जिले में उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता नहीं है.

बेमेतरा: कृषि मंत्री के गृह जिले में किसानों की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. कलेक्टर ने धान बेचने के लिए पटवारी से जारी उत्पादन प्रमाण पत्र किसानों को लाने की अनिवार्यता के बाद किसानों और पटवारियों में असंतोष दिख रहा है और उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं. वहीं तुगलकी फरमान का पटवारी और किसान दोनों विरोध कर रहे हैं. पटवारियों ने तहसीलदार को फरमान वापस लेने ज्ञापन सौंपा है.

उत्पादन प्रमाण पत्र

बता दें कलेक्टर के आदेश के बाद पटवारियों के उत्पादन प्रमाण पत्र बनाने गांव के हल्का में पहुंचकर खलिहान का भौतिक सत्यापन कर उत्पादन प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है, जिससे पटवारी और किसान दोनों को परेशानी हो रही है और धान खरीदी पिछड़ते जा रही है. इसके मद्देनजर पटवारी संघ ने बैठक कर अपनी परेशानी तहसीलदार को बताई है.

पढ़े:उद्यानिकी फसलों की बीमा कराने के लिए 31 दिसंबर अंतिम तिथि

उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता
जिला किसान संघर्ष समिति और अंकुर समाजसेवी संस्था के राहुल टिकरिया ने कहा कि जिला प्रशासन के उत्पादन प्रमाण पत्र जारी करने पर धान खरीदने का फंडा समझ में नहीं आ रहा है. किसानों को लगातार परेशान किया जा रहा है जो अन्याय है. प्रदेश के अन्य किसी भी जिले में उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता नहीं है.

Intro:एंकर- कृषि मंत्री के गृह जिले में किसानों की मुसीबतें थमने का नाम नही ले रही है कलेक्टर के द्वारा धान बेचने के लिए पटवारी द्वारा जारी उत्पादन प्रमाण पत्र किसानों को लाने की अनिवार्यता के बाद किसानों एवम पटवारियों में असंतोष दिख रहा है और उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं वही तुगलकी फरमान का पटवारी एवम किसान दोनो विरोध कर रहे हैं और पटवारियों ने तहसीलदार को फरमान वापस लेने ज्ञापन सौंपा गया है।Body:बता दे कलेक्टर के आदेश के बाद पटवारियों द्वारा उत्पादन प्रमाण पत्र बनाने गांव के हल्का के में पहुंचकर खलिहान का भौतिक सत्यापन कर उत्पादन प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है जिससे पटवारी एवं किसान दोनों को परेशानी हो रही है और धान खरीदी बिछड़ते जा रही है जिसके मद्देनजर पटवारी संघ ने बैठक कर अपनी परेशानी तहसीलदार को बताई है।Conclusion:जिला किसान संघर्ष समिति व अंकुर समाजसेवी संस्था के राहुल टिकरिया ने कहा कि जिला प्रशासन के उत्पादन प्रमाण पत्र जारी करने पर धान खरीदने का फंडा समझ में नहीं आ रहा है किसानों को लगातार परेशान किया जा रहा है जो अन्याय है प्रदेश के अन्य किसी भी जिले में उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता नही है।
बाईट-1 राहुल टिकरिहा समाजसेवी (चश्मा)
बाईट-2 उमेश साहू किसान (फूल जैकेट)
बाईट-3 अजय तिवारी किसान(हांफ जैकेट)
Last Updated : Dec 19, 2019, 3:40 PM IST
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