बेमेतरा: कृषि मंत्री के गृह जिले में किसानों की मुसीबतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. कलेक्टर ने धान बेचने के लिए पटवारी से जारी उत्पादन प्रमाण पत्र किसानों को लाने की अनिवार्यता के बाद किसानों और पटवारियों में असंतोष दिख रहा है और उनकी परेशानियां बढ़ गई हैं. वहीं तुगलकी फरमान का पटवारी और किसान दोनों विरोध कर रहे हैं. पटवारियों ने तहसीलदार को फरमान वापस लेने ज्ञापन सौंपा है.
बता दें कलेक्टर के आदेश के बाद पटवारियों के उत्पादन प्रमाण पत्र बनाने गांव के हल्का में पहुंचकर खलिहान का भौतिक सत्यापन कर उत्पादन प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है, जिससे पटवारी और किसान दोनों को परेशानी हो रही है और धान खरीदी पिछड़ते जा रही है. इसके मद्देनजर पटवारी संघ ने बैठक कर अपनी परेशानी तहसीलदार को बताई है.
पढ़े:उद्यानिकी फसलों की बीमा कराने के लिए 31 दिसंबर अंतिम तिथि
उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता
जिला किसान संघर्ष समिति और अंकुर समाजसेवी संस्था के राहुल टिकरिया ने कहा कि जिला प्रशासन के उत्पादन प्रमाण पत्र जारी करने पर धान खरीदने का फंडा समझ में नहीं आ रहा है. किसानों को लगातार परेशान किया जा रहा है जो अन्याय है. प्रदेश के अन्य किसी भी जिले में उत्पादन प्रमाण पत्र की अनिवार्यता नहीं है.