बेमेतरा: कहा जाता है कि अगर कोई काम मन में ठान लो, तो कोई भी मुश्किल उस शख्स को रोक नहीं सकती. ऐसी ही मिसाल बेमेतरा के साजा की महिलाओं ने पेश की है. ये महिलाएं अपने गांव से कभी बाहर नहीं गईं और न ही बाहर की दुनिया से ज्यादा वाकिफ हैं, लेकिन ये महिलाएं आत्मनिर्भर हैं और अपने परिवार का सहारा बनी हुई हैं.
बेमेतरा के साजा ब्लॉक की महिलाओं ने मशरूम की खेती की है. मशरूम आज इन महिलाओं के लिए सफेद सोना साबित हो रहा है. करीब 2 साल पहले पिपरिया गांव की महिलाओं का जीवन भी आम ग्रामवासी महिलाओं की तरह था. वे दिनभर खेतों में काम और रोजी-मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालती थीं, लेकिन इनके जीवन में बदलाव राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) लेकर आया. सबसे पहले राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) अन्तर्गत महिलाओं का समूह बनाया गया, फिर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने इन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया. इस दौरान जनपद पंचायत सीईओ, डीईओ, एडीईओ और पीआरपी उपस्थित थे.
स्वसहायता समूह की मदद से किया यह काम
कृषि विज्ञान केन्द्र से प्रशिक्षण देने के साथ शेड निर्माण और बीज वगैरह की भी सहायता दी गई. महिला स्वसहायता समूह की अध्यक्ष लीला बाई साहू ने बताया कि कृषि केंद्र से मिली सहायता से समूह की महिलाओं ने मशरूम उत्पादन के साथ-साथ उसकी गुणवत्ता पर भी ध्यान केन्द्रित किया. इससें उत्पादित मशरूम का विक्रय तुरंत होने लगा, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनके समूह के मशरूम की मांग अधिक होने के कारण गांव से कई लोग यहां आकर मशरूम खरीदकर ले जाते हैं.