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बेमेतरा के सहकारी समिति में सोयाबीन बीज के आभाव में कैसे बढ़ेगा दलहन तिलहन का रकबा?

बेमेतरा जिला में इस साल कृषि विभाग दलहन और तिलहन की फसल का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. लेकिन सोयाबीन बीज के अभाव (Lack of soybean seed) के कारण दलहन-तिलहन का रकबा बढ़ता नजर नहीं आ रहा है. (pulses oilseed seeds ) सेवा सहकारी समितियों में किसानों को दलहन-तिलहन के बीज नहीं मिल पा रहे हैं. वहीं किसान धान का छिड़काव (paddy sprinkling) करते नजर आ रहे हैं.(Bemetara News)

Lack of soybean seed in Bemetara
बेमेतरा के सहकारी समिति में सोयाबीन बीज के आभाव
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Published : Jun 20, 2021, 4:40 PM IST

बेमेतरा: समय से खाद और बीज की आपूर्ति नहीं हो ने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल खरीफ का सीजन शुरू हो गया है. लेकिन जिले में अब भी 70 फीसदी ही खाद-बीज का भंडारण हो पाया है. 30 फीसदी धान बीज आना बाकी है. इसके अलावा सोयाबीन के बीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. खरीफ के सीजन को देखते हुए किसान खाद बीज लेने सेवा सहकारी समिति पहुंच रहे हैं. (Cooperative Society of Bemetara ) लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है.(No supply of fertilizers and seeds )

सोयाबीन बीज का आभाव

कैसे बढ़ेगा दलहन-तिलहन का रकबा?

बेमेतरा जिला में शासन ने धान का रकबा कम करने के लिए कृषि विभाग को लक्ष्य दिया है. जिसके तहत कृषि विभाग किसानों को दलहन तिलहन फसल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. लेकिन सोयाबीन बीज के अभाव में किसान धान का छिड़काव कर रहे हैं. जिससे धान का रकबा कम होते नजर नहीं आ रहा है. इसके अलावा दलहन-तिलहन का रकबा बढ़ भी नहीं रहा है. बता दें जिले में पहली बारिश के बाद से बुवाई का कार्य शुरू हो गया है. (increase area of pulses oilseeds)

बेमेतरा में खाद की कमी से जूझ रहे किसान, पीओएस मशीन में एंट्री ना होने से खड़ी हुई परेशानी

आंकड़ों की माने तो बेमेतरा जिला में 12 हजार 995 हेक्टेयर धान का रकबा घटाने का लक्ष्य शासन ने कृषि विभाग को दिया है. सेवा सहकारी समितियों में सोयाबीन के बीज का अभाव है. जिससे किसान धान के बीज का छिड़काव कर रहे हैं. यदि जिले में जल्द ही सोयाबीन बीज की उपलब्धता नहीं हुई तो धान का रकबा कम होने की बजाय बढ़ भी सकता है.

Lack of soybean seed in Bemetara
बेमेतरा के सहकारी समिति में सोयाबीन बीज के आभाव

सेवा सहकारी समितियों में सोयाबीन बीज की कमी

बेमेतरा जिला के किसान रवि कुमार सप्रे ने बताया कि सेवा सहकारी समितियों में केवल खाद का वितरण किया जा रहा है. सोयाबीन बीज उपलब्ध नहीं होने के कारण वितरण नहीं किया जा रहा है. वहीं बाजार में सोयाबीन बीज का भाव ज्यादा है. उन्होंने कहा कि पहली बारिश के साथ ही खेतों में बीज बुवाई का कार्य प्रारंभ हो गया है. उन्होंने कहा कि सेवा सहकारी समिति ने भी जल्द बीज उपलब्ध कराने की बात कही है. (Bemetara cooperative society)

जिले में 70 फीसदी खाद बीज का भंडारण:उपसंचालक

कृषि विभाग के उपसंचालक एमडी मानकर ने बताया कि बेमेतरा जिला में खाद और बीज का भंडारण 70 फीसदी तक हो चुका है. जिसमें 30 फीसदी तक का किसानों को वितरण भी किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि जिले में सोयाबीन बीज की उपलब्धता कम है, इसके लिए किसानों को अरहर तिली और कोदो की फसल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

किसे कहते हैं खरीफ की फसल ?

भारत में खरीफ की फसल को जून-जुलाई में पहली बारिश के साथ बोया जाता है. इन फसलों की कटाई सितंबर के अंतिम दिनों और अक्टूबर महीने के अंतिम दिनों तक की जाती है. इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान और आर्द्रता की जरूरत होती है. वहीं पकते समय शुष्क वातावरण भी जरूरी होता है. छत्तीसगढ़ में खरीफ के सीजन में धान बोया जाता है. हांलाकि छत्तीसगढ़ सरकार इस साल किसानों को दलहन-तिलहन की फसल लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.

बेमेतरा: समय से खाद और बीज की आपूर्ति नहीं हो ने से किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल खरीफ का सीजन शुरू हो गया है. लेकिन जिले में अब भी 70 फीसदी ही खाद-बीज का भंडारण हो पाया है. 30 फीसदी धान बीज आना बाकी है. इसके अलावा सोयाबीन के बीज भी उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. खरीफ के सीजन को देखते हुए किसान खाद बीज लेने सेवा सहकारी समिति पहुंच रहे हैं. (Cooperative Society of Bemetara ) लेकिन उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ रहा है.(No supply of fertilizers and seeds )

सोयाबीन बीज का आभाव

कैसे बढ़ेगा दलहन-तिलहन का रकबा?

बेमेतरा जिला में शासन ने धान का रकबा कम करने के लिए कृषि विभाग को लक्ष्य दिया है. जिसके तहत कृषि विभाग किसानों को दलहन तिलहन फसल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. लेकिन सोयाबीन बीज के अभाव में किसान धान का छिड़काव कर रहे हैं. जिससे धान का रकबा कम होते नजर नहीं आ रहा है. इसके अलावा दलहन-तिलहन का रकबा बढ़ भी नहीं रहा है. बता दें जिले में पहली बारिश के बाद से बुवाई का कार्य शुरू हो गया है. (increase area of pulses oilseeds)

बेमेतरा में खाद की कमी से जूझ रहे किसान, पीओएस मशीन में एंट्री ना होने से खड़ी हुई परेशानी

आंकड़ों की माने तो बेमेतरा जिला में 12 हजार 995 हेक्टेयर धान का रकबा घटाने का लक्ष्य शासन ने कृषि विभाग को दिया है. सेवा सहकारी समितियों में सोयाबीन के बीज का अभाव है. जिससे किसान धान के बीज का छिड़काव कर रहे हैं. यदि जिले में जल्द ही सोयाबीन बीज की उपलब्धता नहीं हुई तो धान का रकबा कम होने की बजाय बढ़ भी सकता है.

Lack of soybean seed in Bemetara
बेमेतरा के सहकारी समिति में सोयाबीन बीज के आभाव

सेवा सहकारी समितियों में सोयाबीन बीज की कमी

बेमेतरा जिला के किसान रवि कुमार सप्रे ने बताया कि सेवा सहकारी समितियों में केवल खाद का वितरण किया जा रहा है. सोयाबीन बीज उपलब्ध नहीं होने के कारण वितरण नहीं किया जा रहा है. वहीं बाजार में सोयाबीन बीज का भाव ज्यादा है. उन्होंने कहा कि पहली बारिश के साथ ही खेतों में बीज बुवाई का कार्य प्रारंभ हो गया है. उन्होंने कहा कि सेवा सहकारी समिति ने भी जल्द बीज उपलब्ध कराने की बात कही है. (Bemetara cooperative society)

जिले में 70 फीसदी खाद बीज का भंडारण:उपसंचालक

कृषि विभाग के उपसंचालक एमडी मानकर ने बताया कि बेमेतरा जिला में खाद और बीज का भंडारण 70 फीसदी तक हो चुका है. जिसमें 30 फीसदी तक का किसानों को वितरण भी किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि जिले में सोयाबीन बीज की उपलब्धता कम है, इसके लिए किसानों को अरहर तिली और कोदो की फसल के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

किसे कहते हैं खरीफ की फसल ?

भारत में खरीफ की फसल को जून-जुलाई में पहली बारिश के साथ बोया जाता है. इन फसलों की कटाई सितंबर के अंतिम दिनों और अक्टूबर महीने के अंतिम दिनों तक की जाती है. इन फसलों को बोते समय अधिक तापमान और आर्द्रता की जरूरत होती है. वहीं पकते समय शुष्क वातावरण भी जरूरी होता है. छत्तीसगढ़ में खरीफ के सीजन में धान बोया जाता है. हांलाकि छत्तीसगढ़ सरकार इस साल किसानों को दलहन-तिलहन की फसल लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है.

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