बेमेतरा: प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप जिले में 15 अगस्त को गढ़कलेवा का शुभारंभ संसदीय सचिव विकास उपाध्याय और विधायक आशीष छाबड़ा ने किया था. महज महीने भर ही संचालित होने के बाद गढ़कलेवा बंद कर दिया गया है. इसके बंद होने से शहरवासियों को छतीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद नहीं मिल पा रहा है.
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शासन का गढ़कलेवा खोलने का उद्देश्य लोगों को छतीसगढ़ी व्यंजनों के करीब लाना था. सरकार छत्तीसगढ़ी व्यंजनों, लोक कलाओं और भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के कई जिलों में गढ़कलेवा खोल रही है. बेमेतरा के बांधा तालाब में गढ़कलेवा का शुभारंभ किया गया. इसका संचालन नगर पालिका के जरिए समूह के सदस्य करते थे. तकरीबन एक माह तक चलने के बाद गढ़कलेवा पर ताला लग गया.
गृहमंत्री ने मदद की कही बात
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि गढ़कलेवा कैसे बंद हो गया, मुझे नहीं पता है, इसकी पूरी जानकारी ली जाएगी. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ी व्यंजनों, संस्कृति से लोगों को सीधे जोड़ना था. इसके संचालन में कोई परेशानी है, तो बताएं, उसे दूर किया जाएगा. उन्होंने कहा कि गढ़कलेवा को चलाया जाना चाहिए.
प्रदेश के कई जिलों में गढ़कलेवा
गढ़कलेवा की शुरुआत राजधानी रायपुर में की गई थी. समूह की महिलाएं कम दाम पर छत्तीसगढ़ी व्यंजन बेचती हैं. गढ़कलेवा में छत्तीसगढ़ के व्यंजन जैसे ठेठरी, खुरमी, बरा, चौसेला, फरा सहित अन्य व्यंजन का स्वाद चखने को मिलता है. गढ़कलेवा की खासियत पारंपरिक व्यंजनों के साथ ही यहां की पारंपरिक सजावट भी है. रायपुर के अलावा महासमुंद, बालोद, जगदलपुर में भी गढ़कलेवा खुल चुका है. यहां छत्तीसगढ़ के व्यंजन का स्वाद चखने अक्सर लोग आते हैं.