बेमेतरा: रेफर सेंटर के नाम से मशहूर जिला इन दिनों अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. जिला गठन के वर्षों बाद भी इस अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है. डॉक्टर की जगह पर नर्स और वार्ड बॉय अस्पताल की देख-रेख करते हैं. हालांकि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी को अगर नजर अंदाज किया जाए, तो यहां बाकी व्यवस्थाएं ठीक है.
कोरोना काल में हुआ कायाकल्प
यह अस्पताल एक समय ढीलढाल रवैये और असुविधाओं की वजह से रेफर सेंटर के नाम से महशूर था. जिला अस्पताल में इमरजेंसी सुविधा तक नहीं थी, जिसके लिए गंभीर मरीजों के सीधे रायपुर रेफर कर दिया जाता था, हालांकि इमरजेंसी की सुविधा तो अभी भी नहीं है, लेकिन मरीजों के मुताबिक अस्पताल की व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है.
हर दिन करीब 120 मरीज ओपीडी में कराते हैं इलाज
मुख्य स्वास्थ्य और चिकित्सा अधिकारी डॉ सतीश कुमार शर्मा ने बताया कि जिला अस्पताल के ओपीडी में दोनों पालियों को मिलाकर करीब 120 से 140 मरीज आते हैं. वहीं इमरजेंसी वार्ड में औसतन रोज 30 से 40 मरीज आते हैं. चिकित्सा अधिकारी बताते हैं कि जिला अस्पताल में 100 बिस्तर उपलब्ध है. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए शहर के ब्राह्मण समाज ने अस्पताल को 100 बिस्तर दान में भी दिया है, जिसे स्टोर किया गया है.
बेमेतरा: जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम, महंगा टेस्ट कराने को मजबूर मरीज
अस्पताल में 100 बेड की है व्यवस्था
जिला अस्पताल में 100 ओपीडी बिस्तर की सुविधा है. वहीं 40 इमरजेंसी बिस्तर की सुविधा भी दी गई है. ये कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना काल के बाद अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार हुआ है. इसके साथ ही अस्पताल की मरम्मत के बाद सफाईकर्मियों, नर्सों और वार्ड बॉय की संख्या में इजाफा भी हुआ है. वहीं जिला अस्पताल के पास करोड़ों की लागत से बने MCH और EYE हॉस्पिटल को कोविड-19 अस्पताल के रूप में विकसित किया गया है, जिसका लाभ जिले के कोविड-19 मरीजों को मिल रहा है.
विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा अस्पताल
क्षेत्र में ऐसे कई अस्पताल डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है. इनमें 5 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 127 उपस्वास्थ्य केंद्र है, जहां विशेषज्ञ चिकित्सक के 41 पद स्वीकृत है और केवल 1 ही विशेषज्ञ चिकित्सक है. वहीं 40 पद रिक्त है. लोगों को बेहतर इलाज के लिए दीगर जिला जाना पड़ता है.
कोरोना काल के बाद से जिला अस्पताल का कायाकल्प हुआ है. इससे न सिर्फ मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार आया है बल्कि मरीज संतुष्ट भी दिख रहे हैं. लिहाजा, ये कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना काल ने लाख बुरी यादें दी हो, लेकिन इसकी वजह से चरमराई हुई स्वास्थ्य व्यवस्था पटरी पर जरूर आई है.