बेमेतरा: ब्लैक फंगस के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग ने एडवायजरी जारी की है. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से ब्लैक फंगस को लेकर जागरूक रहने और सतर्कता बरतने को कहा है. स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि ब्लैक फंगस संक्रमण रोग नहीं है. लोगों को इससे जुड़ी अफवाहों से सावधान रहने की जरूरत है. जारी एडवायजरी में यह बताया गया है कि यह रोग एक व्यक्ति के साथ दूसरे के संपर्क में आने से नहीं होता है. यह रोग मुख्यतः उन लोगों को प्रभावित करता है जो दूसरे रोग से ग्रसित हैं और वे दवा ले रहे हैं.
ब्लैक फंगस संक्रमण रोग नहीं
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बचाव के लिए अफवाहों से बचने की अपील की है. स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी है कि यह संक्रामक रोग नहीं है. ये रोग मुख्यतः स्टेरॉयड जैसे बीमारी की दवा लेने वालों में अधिक प्रभावशील है. ऐसे व्यक्तियों को साइनस या फेफड़े, हवा से फंगल इन्फेक्शन अंदर जाने के बाद प्रभावित करता है. ब्लैक फंगस से संक्रमित होने की संभावना उन लोगों की अधिक होती है जो मुख्यतः मधुमेह और अंग प्रत्यारोपण से प्रभावित होते हैं.
'दुर्ग-भिलाई में मिल रहे ब्लैक फंगस के ज्यादा मरीज, 50 से ज्यादा AIIMS रायपुर में भर्ती'
ब्लैक फंगस के लक्षण और बचाव के उपाय
ब्लैक फंगस गंभीर बीमारी का कारण बन सकती है. जिसकी चेतावनी के संकेत और लक्षणों में आंख और नाक के आसपास दर्द होना. बुखार, सिरदर्द, खांसी, उल्टी-दस्त की शिकायत के साथ मानसिक स्थिति में बदलाव आना है. इसके बचाव के मास्क पहनें. मिट्टी या अन्य स्थानों में काम के दौरान फुल पैंट और जूते पहनें.
मधुमेह रोगियों को ब्लैक फंगस की ज्यादा संभावना
कोविड 19 नेशनल टास्क फोर्स और एक्सपर्ट ग्रुप की ओर से जारी एडवायजरी में कहा गया है कि, कोविड 19 रोगियों सहित मधुमेह रोगी और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में ब्लैक फंगस होने की संभावना अधिक है. ऐसे लोगों को यदि नाक में रुकावट या जमाव या खूनी स्त्राव की शिकायत होती है. गाल की हड्डी में दर्द, चेहरे का एकतरफ दर्द, सुन्न और सूजन हो. ऐसे लोगों मे ब्लैक फंगस होने की संभावना अधिक होती है.