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बेमेतरा में दीपावली के बाद शिव पार्वती का विवाह, निकाली गई गौरा गौरी की यात्रा - बेमेतरा में शिव पार्वती के विवाह

Bemetara Gaura Gauri Puja बेमेतरा में शिव पार्वती के विवाह के बाद गौरा गौरी की शोभायात्रा निकाली गई. सोमवार को काफी लोग इस शोभायात्रा में शामिल हुए. इस दौरान लोग छत्तीसगढ़ी गीतों पर झूमते गाते नजर आए.

Bemetara Gaura Gauri procession
बेमेतरा में गौरा गौरी की शोभायात्रा
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 13, 2023, 8:06 PM IST

गौरा गौरी की शोभायात्रा

बेमेतरा: बेमेतरा में शिव पार्वती के विवाह के बाद सोमवार को गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान भारी संख्या में लोग नाचते गाते नजर आए. जिला मुख्यालय सहित विभिन गांवों में दीपावली के रात को लोगों ने परंपरागत तरीके से गौरा-गौरी का विवाह संपंन्न कराया. रात में सोहर और सुहाग गीत गाये गए. इसके बाद सोमवार को सुबह गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली गई. लोगों ने अपने घरों में गौरा-गौरी की पूजा धूमधाम से की.

रात भर गाये जाते हैं मंगलगीत: गौरा गौरी पर्व भगवान शंकर और पार्वती के विवाह के तौर पर मनाया जाता है. खासतौर पर बुजुर्ग महिलाएं छत्तीसगढ़ी लोकगीत गाते हुए तालाब से मिट्टी लेकर आती हैं. उस मिट्टी से दो अलग-अलग पीढ़ों पर गौरी और गौरा की मूर्ति बनाकर उसे सजाकर स्थापित किया जाता है. गौरी को कन्या पक्ष और गौरा को वर पक्ष के यहां रखा जाता है. दीपावली की रात विधि विधान से गौरी गौरा की विवाह की रस्में निभाई जाती है. इस दौरान महिलाएं रात भर छत्तीसगढ़ी गौरा गौरी लोकगीत गाती हैं.

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बिलासपुर में गौरा गौरी पूजा और विसर्जन कार्यक्रम

शोभायात्रा में सोटा की परंपरा: दीवापली के दूसरे दिन गौरा गौरी की पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ शोभायात्रा निकाली जाती है. इस दौरान लोगों के घरों में गौरा-गौरी को श्रीफल भेंट कर पूजा अर्चना की जाती है. शोभायात्रा के दौरान परंपरागत वाद्य यंत्र गढ़वा बजा में गौरी गौरा गीत की धुन बजाई जाती है. इस दौरान सोटा खाने की परम्परा है.इसके बाद दिवापली के दूसरे दिन शाम तक तालाब में गौरा गौरी का विसर्जन किया जाता है.

गौरा गौरी की शोभायात्रा

बेमेतरा: बेमेतरा में शिव पार्वती के विवाह के बाद सोमवार को गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान भारी संख्या में लोग नाचते गाते नजर आए. जिला मुख्यालय सहित विभिन गांवों में दीपावली के रात को लोगों ने परंपरागत तरीके से गौरा-गौरी का विवाह संपंन्न कराया. रात में सोहर और सुहाग गीत गाये गए. इसके बाद सोमवार को सुबह गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली गई. लोगों ने अपने घरों में गौरा-गौरी की पूजा धूमधाम से की.

रात भर गाये जाते हैं मंगलगीत: गौरा गौरी पर्व भगवान शंकर और पार्वती के विवाह के तौर पर मनाया जाता है. खासतौर पर बुजुर्ग महिलाएं छत्तीसगढ़ी लोकगीत गाते हुए तालाब से मिट्टी लेकर आती हैं. उस मिट्टी से दो अलग-अलग पीढ़ों पर गौरी और गौरा की मूर्ति बनाकर उसे सजाकर स्थापित किया जाता है. गौरी को कन्या पक्ष और गौरा को वर पक्ष के यहां रखा जाता है. दीपावली की रात विधि विधान से गौरी गौरा की विवाह की रस्में निभाई जाती है. इस दौरान महिलाएं रात भर छत्तीसगढ़ी गौरा गौरी लोकगीत गाती हैं.

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