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बेमेतरा: धान खरीदी से पहले बेमौसम बारिश ने बढ़ाई किसानों की चिंता, धान की देखरेख में जुटे किसान

धान खरीदी में देरी को लेकर किसान परेशान हैं. धान खरीदी की तारीख 1 दिसंबर तय की गई, लेकिन बेमौसम बारिश के चलते धान के खराब होने की चिंता किसानों को सता रही है.

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Published : Nov 22, 2020, 6:45 PM IST

bemetara Farmers worried about paddy sale
धान खरीदी

बेमेतरा : सरकार की ओर से धान खरीदी में एक महीना देर होने से किसानों के सामने धान को रखने की समस्या पैदा हो गई है. किसानों का कहना है कि मौसम में बार-बार हो रहे बदलाव के कारण धान को रखना उनके लिए एक चुनौती बनकर सामने आ रही है. अब तक 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू की जाती थी, लेकिन इस साल धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है, जिससे किसान परेशान हैं.

धान खरीदी में देरी लेकर किसान परेशान

बेमेतरा के साजा, बेरला, नवागढ़ और थानखम्हरिया तहसील में लगभग 60 फ़ीसदी धान की कटाई हो चुकी है. 3 दिनों से मौसम में हो रहे फेरबदल से किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं. अब किसानों के सामने उपज को बचाना एक चुनौती साबित हो रही है. इससे पहले किसान धान की मिजाई कर उसे सीधे खरीदी केंद्र में बेचने के लिए ले ले जाते थे इससे किसानों का समय और पैसा दोनों बचता था. साथ ही रवि फसल की तैयारी को लेकर भी पर्याप्त समय मिल जाता था.

पढ़ें : बलरामपुर: बेमौसम बारिश ने किसानों की बढ़ाई परेशानी, खेतों में सड़ने की कगार पर धान

ठंड में रात को धान की रखवाली करते किसान

धान खरीदी की तारीख 1 दिसंबर से होने के कारण किसानों को धान को घरों में रखना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो अब तक करीब 50 से 60 फीसदी धान की कटाई हो चुकी है. उन्हें ठंड में धान की रखवाली भी करनी पड़ रही है. कई किसान तो खेत-खलिहान में ही रतजगा करने को मजबूर हैं. ऐसे में यदि बारिश हो जाती है तो धान का भींगना तय है.

कोचिये को धान बेचने की मजबूरी
जिले में इस बार अनुकूल मौसम के कारण 18 से 20 क्विंटल धान की पैदावारी हो रही है, जबकि सरकार खरीदी की लिमिट 15 क्विंटल प्रति एकड़ की है. ऐसे में किसान 15 क्विंटल धान रखकर बाकी धान कोचियों (दलालों) को बेचने को मजबूर हैं. बता दें कि किसानों ने प्रति क्विंटल खरीदी बढ़ाने की मांग की गई है, जो अब तक पूरी नहीं हुई है.

बेमेतरा : सरकार की ओर से धान खरीदी में एक महीना देर होने से किसानों के सामने धान को रखने की समस्या पैदा हो गई है. किसानों का कहना है कि मौसम में बार-बार हो रहे बदलाव के कारण धान को रखना उनके लिए एक चुनौती बनकर सामने आ रही है. अब तक 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू की जाती थी, लेकिन इस साल धान खरीदी 1 दिसंबर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है, जिससे किसान परेशान हैं.

धान खरीदी में देरी लेकर किसान परेशान

बेमेतरा के साजा, बेरला, नवागढ़ और थानखम्हरिया तहसील में लगभग 60 फ़ीसदी धान की कटाई हो चुकी है. 3 दिनों से मौसम में हो रहे फेरबदल से किसान चिंतित दिखाई दे रहे हैं. अब किसानों के सामने उपज को बचाना एक चुनौती साबित हो रही है. इससे पहले किसान धान की मिजाई कर उसे सीधे खरीदी केंद्र में बेचने के लिए ले ले जाते थे इससे किसानों का समय और पैसा दोनों बचता था. साथ ही रवि फसल की तैयारी को लेकर भी पर्याप्त समय मिल जाता था.

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ठंड में रात को धान की रखवाली करते किसान

धान खरीदी की तारीख 1 दिसंबर से होने के कारण किसानों को धान को घरों में रखना पड़ रहा है. किसानों की मानें तो अब तक करीब 50 से 60 फीसदी धान की कटाई हो चुकी है. उन्हें ठंड में धान की रखवाली भी करनी पड़ रही है. कई किसान तो खेत-खलिहान में ही रतजगा करने को मजबूर हैं. ऐसे में यदि बारिश हो जाती है तो धान का भींगना तय है.

कोचिये को धान बेचने की मजबूरी
जिले में इस बार अनुकूल मौसम के कारण 18 से 20 क्विंटल धान की पैदावारी हो रही है, जबकि सरकार खरीदी की लिमिट 15 क्विंटल प्रति एकड़ की है. ऐसे में किसान 15 क्विंटल धान रखकर बाकी धान कोचियों (दलालों) को बेचने को मजबूर हैं. बता दें कि किसानों ने प्रति क्विंटल खरीदी बढ़ाने की मांग की गई है, जो अब तक पूरी नहीं हुई है.

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