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बेमेतरा सीमा में टिड्डी दल की दस्तक, प्रशासनिक अमला अलर्ट - टिड्डियों का आतंक

टिड्डी दल कवर्धा जिला के रेंगाखार पहुंचा था, इसके बाद अपना स्थान बदलते हुए टिड्डी दल बेमेतरा पहुंचा है. फिलहाल जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में टिड्डी दल को रोकने की तैयारी की जा रही है. बेमेतरा कलेक्टर ने साजा एसडीएम को निर्देश दिए हैं. साथ ही किसानों को सचेत किया गया है.

locust attack in Bemetara
बेमेतरा में टिड्डियों का हमला
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Published : Jun 17, 2020, 8:03 PM IST

बेमेतरा: टिड्डी दल लगातार प्रदेश के जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कवर्धा के बाद टिड्डी दल बेमेतरा के साजा, थानखम्हरिया में पहुंचा हैं. यहां के फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. जिसके बाद से प्रशासन में हडकंप है. लगातार इस परेशानी को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए किसानों को सचेत किया गया है. फायर ब्रिगेड से कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया जा रहा है.

बेमेतरा में टिड्डी दल की दस्तक

बता दें कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में फसलों पर टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर छत्तीसगढ़ में कृषि विभाग ने किसानों को पहले ही सचेत कर दिया था. टिड्डी दल इससे पहले लाखों की संख्या में कवर्धा जिला के रेंगाखार पहुंच था. इसके बाद अपना स्थान बदलते हुए टिड्डी दल बेमेतरा पहुंचा है. बेमेतरा कलेक्टर ने साजा एसडीएम को निर्देश दिए हैं. कोरोना वायरस और लॉकडाउन से पहले ही प्रभावित किसान अब टिड्डियों से जूझ रहे हैं.

साजा SDM आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए किसान दो प्रकार के साधन अपना सकते हैं. किसान टोली बनाकर शोर मचाकर, ध्वनि यंत्र बजा कर टिड्डी दल को डरा कर भगा सकते हैं. इसके लिए ढोलक, ट्रैक्टर, मोटर साइकिल के साइलेंसर, खाली टिन के डब्बे, डीजे, थाली जैसे तेज ध्वनि पैदा करने वाले समानों का उपयोग कर सकते हैं.

ऐसे हो रही तैयारी

टिड्डी दल से फसल बचाने के लिए जिले के ट्रैक्टर स्प्रेयर धारक किसानों से चर्चा कर 20 ट्रैक्टर स्प्रेयर की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा सभी छोटे स्प्रेयर वाले किसानों को फसलों के बचाव करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है. बेमेतरा जिले के सपीप में टिड्डी दल के प्रवेश की सम्भावित चेतावनी के अनुसार पेस्टिसाइड और स्प्रेयर की व्यवस्था को लेकर जिले में समन्वय स्थापित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं.

केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र के सहायक निदेशक ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारियों, कर्मचारियों और किसानों को सचेत रहने के लिए कहा है. फसलों और अन्य वृक्षों को टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए किसानों को कीटनाशक मालाथियन, फेनवालरेट, क्विनालफोस, क्लोरोपायरीफोस, डेल्टामेथ्रिन, डिफ्लूबेनजुरान, फिप्रोनिल और लामडासाइहलोथ्रिन कीटनाशक का प्रयोग करने का सुझाव दिए गए हैं.

बेमेतरा: टिड्डी दल लगातार प्रदेश के जिलों में फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. कवर्धा के बाद टिड्डी दल बेमेतरा के साजा, थानखम्हरिया में पहुंचा हैं. यहां के फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. जिसके बाद से प्रशासन में हडकंप है. लगातार इस परेशानी को खत्म करने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए किसानों को सचेत किया गया है. फायर ब्रिगेड से कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया जा रहा है.

बेमेतरा में टिड्डी दल की दस्तक

बता दें कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में फसलों पर टिड्डी दल के हमले के मद्देनजर छत्तीसगढ़ में कृषि विभाग ने किसानों को पहले ही सचेत कर दिया था. टिड्डी दल इससे पहले लाखों की संख्या में कवर्धा जिला के रेंगाखार पहुंच था. इसके बाद अपना स्थान बदलते हुए टिड्डी दल बेमेतरा पहुंचा है. बेमेतरा कलेक्टर ने साजा एसडीएम को निर्देश दिए हैं. कोरोना वायरस और लॉकडाउन से पहले ही प्रभावित किसान अब टिड्डियों से जूझ रहे हैं.

साजा SDM आशुतोष चतुर्वेदी ने बताया कि टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए किसान दो प्रकार के साधन अपना सकते हैं. किसान टोली बनाकर शोर मचाकर, ध्वनि यंत्र बजा कर टिड्डी दल को डरा कर भगा सकते हैं. इसके लिए ढोलक, ट्रैक्टर, मोटर साइकिल के साइलेंसर, खाली टिन के डब्बे, डीजे, थाली जैसे तेज ध्वनि पैदा करने वाले समानों का उपयोग कर सकते हैं.

ऐसे हो रही तैयारी

टिड्डी दल से फसल बचाने के लिए जिले के ट्रैक्टर स्प्रेयर धारक किसानों से चर्चा कर 20 ट्रैक्टर स्प्रेयर की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा सभी छोटे स्प्रेयर वाले किसानों को फसलों के बचाव करने के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है. बेमेतरा जिले के सपीप में टिड्डी दल के प्रवेश की सम्भावित चेतावनी के अनुसार पेस्टिसाइड और स्प्रेयर की व्यवस्था को लेकर जिले में समन्वय स्थापित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं.

केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र के सहायक निदेशक ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारियों, कर्मचारियों और किसानों को सचेत रहने के लिए कहा है. फसलों और अन्य वृक्षों को टिड्डी दल के प्रकोप से बचाव के लिए किसानों को कीटनाशक मालाथियन, फेनवालरेट, क्विनालफोस, क्लोरोपायरीफोस, डेल्टामेथ्रिन, डिफ्लूबेनजुरान, फिप्रोनिल और लामडासाइहलोथ्रिन कीटनाशक का प्रयोग करने का सुझाव दिए गए हैं.

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