बस्तर: लौंहडीगुड़ा के 40 सरकारी स्कूलों में गूंजने वाली डिजिटल डिवाइस की आवाज कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से फिलहाल खामोश है. बस्तर जिले के आदिवासी अंचल लौहंडीगुड़ा में स्थित ये 40 सरकारी स्कूल, बच्चों को डिजिटल और स्मार्ट शिक्षा देने की वजह से सुर्खियों में थे. इन स्कूलों में लॉकडाउन लगने से पहले प्राइवेट स्कूलों की तरह स्मार्ट पढ़ाई कराई जा रही थी, जिससे बच्चे भी खुश थे. लेकिन बच्चों में कोरोना वायरस का संक्रमण न फैले इसके लिए शिक्षण संस्थान बंद किए गए और इन स्कूलों में स्मार्ट क्लास लगना भी बंद हो गई.
शिक्षा में आधुनिकीकरण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डिवाइस और प्रोजेक्टर के जरिए बच्चों को पढ़ाए जाने की पहल की शुरुआत की गई थी. लेकिन कोरोना के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन की वजह से अब ये बच्चों के लिए जादुई साबित होने वाले यंत्र स्कूल की आलमारियों में कैद होकर रह गए हैं.
शिक्षकों ने खरीदें हैं स्मार्ट डिवाइस
लौंहडीगुड़ा ब्लॉक के विकासखंड शिक्षा अधिकारी और यहां के शिक्षकों ने अपने पैसे से डिजिटल डिवाइस खरीदे, ताकि बस्तर के आदिवासी बच्चे भी स्मार्ट स्कूलों की तर्ज पर पढ़ाई कर सकें. डिवाइस के साथ ही डिजिटल प्रोजेक्टर भी शिक्षकों ने खरीदा है, लेकिन पिछले कई दिनों से इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को डिवाइस की गुंजन नहीं सुनाई दे रही है. देश में फैली कोरोना महामारी की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. करीब ढाई महीने से स्कूल बंद हैं. स्कूल के क्लासरूम, मैदान और कॉरिडोर सब सूनसान पड़े हैं.
शिक्षा विभाग से नहीं लिया गया फंड
लौंहडीगुड़ा विकासखंड के शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर ने बताया कि शिक्षकों ने अपने पैसे से लगभग 40 सरकारी स्कूलों के लिए एलेक्सा डिवाइस लेने के साथ 200 से ज्यादा डिजिटल प्रोजेक्टर खरीदा है. इसके लिए शिक्षा विभाग से किसी भी तरह का फंड भी नहीं लिया गया है.
स्कूल में बढ़ गई थी बच्चों की अटेंडेंस
आदिवासी इलाकों में पढ़ने वाले बच्चे इन स्मार्ट डिवाइस की वजह से खेल-खेल में पढ़ाई किया करते थे. बच्चों के लिए यह बेहद खास होता था. डिजिटल डिवाइस से न केवल बच्चे आधुनिक शिक्षा ले रहे थे, बल्कि इन सरकारी स्कूलों में बच्चों की अटेंडेंस भी बढ़ गई थी. पढ़ाई कराने में शिक्षकों को भी आसानी होती थी. प्रोजेक्टर की मदद से बच्चे ऑडियो और विजुअली ज्यादा सीखने लगे.
शिक्षा अधिकारी का कहना है कि राज्य सरकार जैसे ही स्कूलों को खोलने का आदेश जारी करेगी, वैसे ही इन सभी स्कूलों में वापस रौनक देखने को मिलेगी. स्मार्ट डिवासेज की मदद से वापस से पढ़ाई कराई जाएगी.
छत्तीसगढ़ में यह पहली बार है जब सरकारी स्कूलों में डिवाइस के जरिए बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है. शिक्षकों की इस पहल का बच्चों पर अच्छा प्रभाव भी पड़ रहा है, वे मन लगाकर पढ़ रहे हैं. इस पहल को अगर पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लागू किया जाएगा, तो ज्यादा से ज्यादा बच्चे पढ़ाई में रुचि लेंगे और स्कूल आएंगे. आधुनिकता के इस दौर में जब प्राइवेट स्कूल की फीस आसमान छू रही है, तो वहीं सरकारी स्कूलों को स्मार्ट क्लास कर देने की खबर खुशी देने वाली होगी.