बस्तर : बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में अब नक्सलियों से निपटने की दिशा में बस्तर ने एक और कदम आगे बढ़ा दिया है. अब बस्तर में 24 घंटे नाइट लैंडिंग हेलीपैड की सुविधा मिल सकेगी. दरअसल शासन द्वारा संभाग के घोर नक्सल प्रभावित इलाकों (Most Naxal Affected Area in Chhattisgarh) में 18 हैलीपैड का निर्माण किया जा रहा है. इन हैलीपैडों में रात के समय भी हेलीकॉप्टर लैंड हो सकेगा और इससे नक्सली मुठभेड़ (Naxal Encounter in Chhattisgarh) में गंभीर रूप से घायल जवानों को समय पर हैलीकॉप्टर की मदद से इलाज की सुविधा मिल सकेगी. साथ ही बस्तर में चुनाव के दौरान मतदान कर्मियों को भी हैलीकॉप्टर की मदद से घोर नक्सल प्रभावित इलाकों के मतदान केंद्रों तक छोड़ा और वहां से लाया जा सकेगा.
मुठभेड़ के दौरान जवानों को राशन पहुंचाने में आती थी परेशानी
बता दें कि इन इलाकों में हैलीपैड नहीं होने की वजह से पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के दौरान जवानों को और चुनाव के दौरान मतदान दलों और जवानों तक राशन पहुंचाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन अब हैलीपैड निर्माण से इन नक्सल प्रभावित इलाकों में जवानों को काफी राहत मिल पाएगी.
7 जिलों के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बनेंगे 18 हैलीपैड
लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता जीआर रावटे ने बताया कि संभाग के 7 जिलों के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 18 हैलीपैड निर्माण करने का निर्णय लिया गया है. कुल 4 करोड़ 41 लाख की लागत से इन हैलीपैड का निर्माण किया जा रहा है. इसमें एक हैलीपैड के निर्माण का बजट 21 लाख 22 हजार है. मुख्य अभियंता ने बताया कि 18 में से तीन चयनित स्थलों को निरस्त कर दिया गया है. जबिक 3 जगहों का स्थल परिवर्तन किया जा रहा है. वहीं कुछ हैलीपैड का निर्माण कार्य भी शुरू हो चुका है. आने वाले 6 महीने के भीतर ये सभी हैलीपैड तैयार कर लिये जाएंगे.
जवानों को नहीं मिल पाती थी एयर एंबुलेंस की सुविधा
इधर, बस्तर आईजी सुंदरराज पी (Bastar IG Sundarraj P) ने बताया कि इन हैलीपैड के निर्माण से सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अपनी जान जोखिम में डालकर नक्सलियों से लोहा ले रहे जवानों को राहत मिलेगी. अधिकांश मामलों में देखा गया है कि नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से घायल जवानों को हैलीपेड की सुविधा नहीं होने से एयर एंबुलेंस की सुविधा भी नहीं मिल पाती है. इस वजह से जवानों की जान तक चली जाती है.
नाइट लैंडिंग से जवानों को होगी सहूलियत
इतना ही नहीं नक्सल प्रभावित इलाका (Naxal Affected Area) होने की वजह से हैलीकॉप्टर की लैंडिंग कराना भी यहां काफी मुश्किल हो जाता है. हालांकि कई बार पायलटों ने ऐसे बीहड़ और घने जंगलों के बीच हैलीकॉप्टर की लैंडिंग कराई है और जवानों की जान भी बचाई है. लेकिन इनकी सुविधा और हैलीकॉप्टर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस हैलीपैड के निर्माण के बाद राहत मिलेगी और 24 घंटे नाइट लैंडिंग की सुविधा से नक्सल विरोधी अभियान में भी हैलीकॉप्टर के जरिये जवानों को काफी सहूलियत होगी.