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कोरोना की मार: नगाड़ा विक्रेताओं पर टूटा मुसीबतों का पहाड़ - बस्तर होली

कोरोना के बढ़ते प्रकोप की वजह से बस्तर में भी प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दिया है. जगदलपुर के मुख्य बाजार में नगाड़ा बेचने आए ग्रामीणों का एक भी नगाड़ा नहीं बिका. उन्हें मायूस होकर गांव वापस लौटना पड़ा. ग्रामीणों ने कर्ज लेकर नगाड़ा बनाये थे, लेकिन सब धरा का घरा रह गया. अब वे कर्ज में डूब चुके हैं.

nagada sellers in trouble
कोरोना की मार
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Published : Mar 28, 2021, 10:57 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST

जगदलपुर: बस्तर में कोरोना एक बार फिर लोगों के लिए मुसीबत बनकर सामने आया है. कोरोना के बढ़ते प्रकोप की वजह से जिले में प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दिया है. वहीं कोरोना की वजह से होली का पर्व भी इस साल फीका पड़ गया है. जिला प्रशासन ने सभी बस्तरवासियों से अपने-अपने घरों में रहकर त्योहार मनाने की अपील की है.सार्वजनिक स्थलों पर होली खेलने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही नगाड़ा और डीजे को भी प्रतिबंधित कर दिया है. इससे सबसे ज्यादा नुकसान नगाड़ा बेचने आने वाले ग्रामीण अंचल के लोगों को हुआ है. दरअसल होली के कुछ दिन पहले ही जिला प्रशासन ने नगाड़ा को भी प्रतिबंधित कर दिया. जिस वजह से शहर के मुख्य बाजार में नगाड़ा बेचने आए ग्रामीणों का एक भी नगाड़ा नहीं बिका. उन्हें मायूस होकर गांव वापस लौटना पड़ा.

नगाड़ा विक्रेताओं पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

शहर के संजय बाजार में नगाड़ा बेचने आए ग्रामीणों ने कहा कि 2 दिनों से वे गांव से नगाड़ा बेचने के लिए शहर पहुंच रहे हैं. लेकिन उनका एक भी नगाड़ा नहीं बिका. साल भर के इंतजार के बाद होली पर्व आया और इस पर्व के लिए उन्होंने महीने भर पहले ही नगाड़ा बनाने की तैयारी कर ली. नगाड़ा बनाने में उन्होंने अपनी जमा पूंजी लगाने के साथ ही साहूकारों से भी कर्जा लिया.

धमतरी: इस गांव में बगैर होलिका दहन के मनाई जाती है होली

कोरोना ने बनाया कर्जदार

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें एक नगाड़ा बनाने के पीछे 25 सौ से 3 हजार रुपये की लागत लगी. हर एक ग्रामीण ने लगभग 15 से 20 हजार रुपये का नगाड़ा उधारी में और अपनी जमा पूंजी लगाकर बनाया. उन्हें उम्मीद थी कि बस्तर से कोरोना वापस चले गया है, लोग जमकर होली खेलेंगे और नगाड़ा भी खरीदेंगे. लेकिन सब धरा का धरा रह गया. इन ग्रामीणों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. अब बिक्री नहीं होने से उन्हें कर्जा के साथ-साथ ब्याज भी चुकाना है. इस मंहगाई के दौर में परिवार का भी पालन पोषण करना है.

लोगों के बीच भय का माहौल

होली पर्व के मौके पर मुख्य बाजार पहुंचे स्थानीय लोगों का कहना है कि होली पर्व में बस्तर का नगाड़ा पर्व की शान है. लेकिन शासन के द्वारा इसे प्रतिबंधित कर दिये जाने से सभी के मन में एक भय का भी माहौल बना हुआ है. ऐसे में कोई भी नगाड़ा लेने के लिए तैयार नहीं है. यही नहीं होली पर्व के लिए मुख्य बाजारों में रंग और पिचकारी से बाजार सजकर तैयार जरूर है, लेकिन कोरोना का भय इतना है कि लोग इसे खरीदने के लिए डर रहे हैं.

जगदलपुर: बस्तर में कोरोना एक बार फिर लोगों के लिए मुसीबत बनकर सामने आया है. कोरोना के बढ़ते प्रकोप की वजह से जिले में प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दिया है. वहीं कोरोना की वजह से होली का पर्व भी इस साल फीका पड़ गया है. जिला प्रशासन ने सभी बस्तरवासियों से अपने-अपने घरों में रहकर त्योहार मनाने की अपील की है.सार्वजनिक स्थलों पर होली खेलने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही नगाड़ा और डीजे को भी प्रतिबंधित कर दिया है. इससे सबसे ज्यादा नुकसान नगाड़ा बेचने आने वाले ग्रामीण अंचल के लोगों को हुआ है. दरअसल होली के कुछ दिन पहले ही जिला प्रशासन ने नगाड़ा को भी प्रतिबंधित कर दिया. जिस वजह से शहर के मुख्य बाजार में नगाड़ा बेचने आए ग्रामीणों का एक भी नगाड़ा नहीं बिका. उन्हें मायूस होकर गांव वापस लौटना पड़ा.

नगाड़ा विक्रेताओं पर टूटा मुसीबतों का पहाड़

शहर के संजय बाजार में नगाड़ा बेचने आए ग्रामीणों ने कहा कि 2 दिनों से वे गांव से नगाड़ा बेचने के लिए शहर पहुंच रहे हैं. लेकिन उनका एक भी नगाड़ा नहीं बिका. साल भर के इंतजार के बाद होली पर्व आया और इस पर्व के लिए उन्होंने महीने भर पहले ही नगाड़ा बनाने की तैयारी कर ली. नगाड़ा बनाने में उन्होंने अपनी जमा पूंजी लगाने के साथ ही साहूकारों से भी कर्जा लिया.

धमतरी: इस गांव में बगैर होलिका दहन के मनाई जाती है होली

कोरोना ने बनाया कर्जदार

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें एक नगाड़ा बनाने के पीछे 25 सौ से 3 हजार रुपये की लागत लगी. हर एक ग्रामीण ने लगभग 15 से 20 हजार रुपये का नगाड़ा उधारी में और अपनी जमा पूंजी लगाकर बनाया. उन्हें उम्मीद थी कि बस्तर से कोरोना वापस चले गया है, लोग जमकर होली खेलेंगे और नगाड़ा भी खरीदेंगे. लेकिन सब धरा का धरा रह गया. इन ग्रामीणों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है. अब बिक्री नहीं होने से उन्हें कर्जा के साथ-साथ ब्याज भी चुकाना है. इस मंहगाई के दौर में परिवार का भी पालन पोषण करना है.

लोगों के बीच भय का माहौल

होली पर्व के मौके पर मुख्य बाजार पहुंचे स्थानीय लोगों का कहना है कि होली पर्व में बस्तर का नगाड़ा पर्व की शान है. लेकिन शासन के द्वारा इसे प्रतिबंधित कर दिये जाने से सभी के मन में एक भय का भी माहौल बना हुआ है. ऐसे में कोई भी नगाड़ा लेने के लिए तैयार नहीं है. यही नहीं होली पर्व के लिए मुख्य बाजारों में रंग और पिचकारी से बाजार सजकर तैयार जरूर है, लेकिन कोरोना का भय इतना है कि लोग इसे खरीदने के लिए डर रहे हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 7:57 AM IST
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