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जगदलपुर : फोटो खिंचवाने के लिए गौठान में बांधी गाय, न चारे की व्यवस्था, न चरवाहा है मौजूद - गायों को गौठान

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' का जिले में हाल बेहाल है. गौठानों में अव्यवस्था की वजह से ग्रामीण अपनी गायों को वहां नहीं भेजना चाहते.

'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' का बुरा हाल, गौठान की स्थिति खराब
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Published : Aug 13, 2019, 10:47 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST

जगदलपुर : बस्तर में प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' के तहत बनाए गए गौठानों की स्थिति कुछ ही दिन में बद से बदतर हो चली जा रही है. जिले में मौजूद 4 गौठानों में अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है. इन गौठानों से गाय तक गायब हैं.

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' का जिले में हाल बेहाल है.

मवेशियों को बाहर चराने मजबूर हैं ग्रामीण
आनन-फानन में मंत्रियों ने इन गौठानों का उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक करना भूल गए. गौठान बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन गायों के लिए चारे की व्यवस्था ही नहीं की गई. इस वजह से ग्रामीण अपनी गायों को गौठान के बाहर चराने को मजबूर हैं.

फोटो खिंचवाने मवेशियों को गौठान में रखा
वर्तमान सरकार में 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' गांव के विकास का मॉडल है. शहर से लगे मारेंगा गांव में हरेली के दिन ही बड़े जोर-शोर से लाखों रुपए की लागत से बने इस गौठान का, बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह ने उद्घाटन किया था.

ग्रामीणों का कहना है कि, 'सिर्फ मंत्री जी को खुश करने के लिए एक दिन उनके मवेशियों को वहां ले जाया गया और फोटो खिंचवाकर वापस भेज दिया गया. पानी के अलावा किसी और चीज की व्यवस्था नहीं होने की वजह से गौठान में अपने गायों को भूखे-प्यासे नहीं रखा जा सकता'.

पढ़ें- इस सरपंच की सुनिए CM, कर्ज लेकर बनवाया था गौठान, फूटी कौड़ी न मिली

नहीं है चारे की व्यवस्था, चरवाहा भी नहीं
उद्घाटन के दिन गांव के सरपंच सचिव और प्रशासन ने ग्रामीणों के मवेशियों को गौठान में फोटो खिंचवाने के लिए रख लिया, लेकिन उस दिन के बाद से अब तक ये गौठान वीरान पड़ा है. इसकी वजह ये है कि, गौठान में मवेशियों के खाने के लिए चारे की व्यवस्था नहीं है और इनकी देख-रेख के लिए कोई चरवाहा भी नहीं है.

पढ़ें- ETV भारत की खबर के बाद गौठान पर घिरी सरकार! विरोधियों का हमला

गौठान को लेकर ग्रामीण नहीं है जागरूक
ग्रामीणों का ये भी कहना है कि, प्रशासन ने अधिकतर ग्रामीणों को गौठान के लिए जागरूक ही नहीं किया है, कई ग्रामीणों को पता ही नहीं है की गौठान आखिर क्या है और वहां उनके मवेशियों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाएंगी.

पढ़ें- बालोद : कहने के लिए 'आदर्श गौठान', पर नहीं चरा सकते गाय

'लाखों रुपए का किया गया है भ्रष्टाचार'
भाजपा के नेता शेषनारायण तिवारी का कहना है कि, 'मनरेगा योजना के तहत बनाए गए इन गौठनों में कांग्रेस सरकार ने लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया है'.

जगदलपुर : बस्तर में प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' के तहत बनाए गए गौठानों की स्थिति कुछ ही दिन में बद से बदतर हो चली जा रही है. जिले में मौजूद 4 गौठानों में अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है. इन गौठानों से गाय तक गायब हैं.

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' का जिले में हाल बेहाल है.

मवेशियों को बाहर चराने मजबूर हैं ग्रामीण
आनन-फानन में मंत्रियों ने इन गौठानों का उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन इसके लिए ग्रामीणों को जागरूक करना भूल गए. गौठान बनाने के लिए लाखों रुपए खर्च किए गए, लेकिन गायों के लिए चारे की व्यवस्था ही नहीं की गई. इस वजह से ग्रामीण अपनी गायों को गौठान के बाहर चराने को मजबूर हैं.

फोटो खिंचवाने मवेशियों को गौठान में रखा
वर्तमान सरकार में 'नरवा, गरवा, घुरवा, बारी' गांव के विकास का मॉडल है. शहर से लगे मारेंगा गांव में हरेली के दिन ही बड़े जोर-शोर से लाखों रुपए की लागत से बने इस गौठान का, बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह ने उद्घाटन किया था.

ग्रामीणों का कहना है कि, 'सिर्फ मंत्री जी को खुश करने के लिए एक दिन उनके मवेशियों को वहां ले जाया गया और फोटो खिंचवाकर वापस भेज दिया गया. पानी के अलावा किसी और चीज की व्यवस्था नहीं होने की वजह से गौठान में अपने गायों को भूखे-प्यासे नहीं रखा जा सकता'.

पढ़ें- इस सरपंच की सुनिए CM, कर्ज लेकर बनवाया था गौठान, फूटी कौड़ी न मिली

नहीं है चारे की व्यवस्था, चरवाहा भी नहीं
उद्घाटन के दिन गांव के सरपंच सचिव और प्रशासन ने ग्रामीणों के मवेशियों को गौठान में फोटो खिंचवाने के लिए रख लिया, लेकिन उस दिन के बाद से अब तक ये गौठान वीरान पड़ा है. इसकी वजह ये है कि, गौठान में मवेशियों के खाने के लिए चारे की व्यवस्था नहीं है और इनकी देख-रेख के लिए कोई चरवाहा भी नहीं है.

पढ़ें- ETV भारत की खबर के बाद गौठान पर घिरी सरकार! विरोधियों का हमला

गौठान को लेकर ग्रामीण नहीं है जागरूक
ग्रामीणों का ये भी कहना है कि, प्रशासन ने अधिकतर ग्रामीणों को गौठान के लिए जागरूक ही नहीं किया है, कई ग्रामीणों को पता ही नहीं है की गौठान आखिर क्या है और वहां उनके मवेशियों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाएंगी.

पढ़ें- बालोद : कहने के लिए 'आदर्श गौठान', पर नहीं चरा सकते गाय

'लाखों रुपए का किया गया है भ्रष्टाचार'
भाजपा के नेता शेषनारायण तिवारी का कहना है कि, 'मनरेगा योजना के तहत बनाए गए इन गौठनों में कांग्रेस सरकार ने लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया है'.

Intro:जगदलपुर । प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत बस्तर जिले में भी बनाए गए गौठानो की स्थिति कुछ ही दिन में
बद से बदतर हो चली है। जिले में मौजूद 4 गौठानो में व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने की वजह से यह गोठान मवेशियों के अभाव में विरान हो गई है। वहीं गौठान के लिये बिना ग्रामीणों को जागरूक किये आनन-फानन में मंत्रियों द्वारा उद्घाटन किए गए इन गौठानो में लाखों रुपए तो खर्च कर दिए गए । लेकिन मवेशियों के लिए इन गौठानो में चारे की व्यवस्था तक नहीं की गई है। लिहाजा ग्रामीण अपने मवेशियों को गौठान के बाहर चराने को मजबूर हैं। सरकार की यह योजना बस्तर में भी फेल होती नजर आ रही है।




बनाए जा रहे कोठा नो की स्थिति बद से बदतर हो चली है दरअसल नरवा गरवा घुरवा बारी योजना के तहत बस्तर जिले में बनाई गई अलग-अलग ब्लॉकों में कोठा नो की स्थिति बदतर हो चली है


Body:दरअसल सरकार के 5 साल में गांव के विकास का मॉडल ही है नरवा गरुआ घुरवा बाड़ी जिसमें से एक योजना बस्तर जिले में विफल होती नजर आ रही है । या फिर यह कहा जा सकता है कि जिस जोर-शोर से इस योजना का शुभारंभ बस्तर में किया गया था उसी तेजी से ग्रामीणों का इस योजना से मोहभंग होता हुआ नजर आ रहा है। शहर से लगे मारेंगा ग्राम में हरेली के दिन ही बड़े जोर शोर से लाखों रुपए की लागत से बने इस गौठान का बस्तर जिले के प्रभारी मंत्री व प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय ने उद्घाटन किया था। उद्घाटन के दिन तो गांव के सरपंच सचिव और प्रशासन ने ग्रामीणों के मवेशियों को गौठान में फोटो खिंचवाने के लिए रख लिया । लेकिन उस दिन के बाद से अब यह गौठान वीरान पड़ी है। वजह है यहां मवेशियो के लिए चारा व्यवस्था ना होना और इनके देख रेख के लिए कोई चरवाह का मौजूद ना होना। ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ मंत्री जी को खुश करने के लिए एक दिन उनके मवेशियों को वहां ले जाया गया और फोटो खिंचवा कर वापस भेज दिया गया । पानी के अलावा किसी और चीज की व्यवस्था न होने से ग्रामीण गौठान मैं अपने गाय को भूखे प्यासे नहीं रखना चाहते है।


Conclusion:इसके अलावा ग्रामीणों का यह भी कहना है कि प्रशासन ने अधिकतर ग्रामीणों को गौठान के लिए जागरूक ही नहीं किया। कई ग्रामीणों को पता ही नहीं है की गौठान आखिर क्या है और वहां उनके मवेशियों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाएगी। सिर्फ 1 दिन के लिए ही उनके मवेशियों को गौठान में ले जाया गया । जिसके बाद से वे गौठान में चारा व अव्यवस्था होने की वजह से बाहर अपने खेतों के आसपास मवेशियों को चराने के लिए मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाहर गाय चराने से खेतों के नुकसान का भी उन्हें डर बना रहता है। वही ग्रामीण गौठान में गाय तो रखना चाहते हैं पर वहां व्यवस्था के नाम पर सिर्फ पानी के अलावा कोई व्यवस्था नहीं किए जाने से ग्रामीण अपने मवेशियों को नहीं छोड़ना चाहते।

विपक्ष ने भी कांग्रेस सरकार की इस गोठान योजना को फेल बताया है। भाजपा के नेता शेषनारायण तिवारी का कहना है कि मनरेगा योजना के तहत बनाये गए इन गौठनो मे लाखो रुपये का भ्र्ष्टाचार किया गया है। जिले के चारो गौठाने वीरान पड़े है।
और इन गोठनो में चारा से लेकर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं गयी है । और ना ही गौठान के लिए ग्रामीणों को जागरुक किया गया। जिस वजह से पूरे प्रदेश भर में प्रदेश सरकार ने करोड़ों रुपए खर्च कर भी इस योजना का लाभ ग्रामीणों को नहीं दिला पा रही है सरकार। जिससे यह योजना दम तोड़ती नजर आ रही है।
बाईट1- चैतराम , ग्रामीण "छाता पकड़े हुए"
बाईट2-लछुराम, ग्रामीण "लाल टीशर्ट में"
बाईट3-शिवा नाग, ग्रामीण
बाईट4- शेषनारायण तिवारी, भाजपा नेता "ब्लेक टीशर्ट"
Last Updated : Jul 25, 2023, 7:56 AM IST
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