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2017 में ओडीएफ घोषित हुआ था सोनियाडीह, लेकिन अब तक नहीं मिली सहायता राशि - ओडीएफ घोषित हुआ सोनियाडीह

बिलाईगढ़ के सोनियाडीह के ओडिएफ घोषित होने के बाद भी अब तक यहां के ग्रामीणों को मिलने वाली राशि नहीं मिली है. इसे लेकर ETV भारत ने गांव में जाकर पड़ताल की.

Villagers did not get amount
हितग्राहियों को नहीं मिली राशि
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Published : Jun 12, 2020, 9:33 PM IST

बलौदाबाजार: बिलाईगढ़ विकासखंड शौचालय निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार में सबसे आगे बढ़ता जा रहा है. लेकिन इसके बाद भी प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है. ग्राम पंचायत रोहिना के आश्रित गांव सोनियाडीह को 28 नवंबर 2017 को ओडीएफ घोषित किया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे जुदा है. ओडीएफ प्रमाण पत्र में शौचालय की जितनी संख्या दर्ज है इलाके में उतने शौचालय बन ही नहीं पाए हैं. इतना ही नहीं ग्रामीणों को मिलने वाली सहायता राशि भी अब तक उन्हें नहीं मिली है.

ग्रामीणों ने बताया कि उनके शौचालयों में भुगतान की राशि लिख दी गई है. साथ ही ये भी लिखा गया है कि ग्रामीणों को उनकी राशि मिल चुकी है. लेकिन वास्तव में उन्हें पैसा अभी तक नहीं मिला है. साथ ही ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधानमंत्री आवास में भी पहले किस्त में सरपंच ने 10 हजार रुपए काट लिया है.

Villagers did not get amount
ग्रामीणों को नहीं मिली सहायता राशि

SPECIAL: 6 महीने से नहीं मिला पेंशन, उधार की जिंदगी जीने को मजबूर हैं बुजुर्ग

जिम्मेदार दे रहे गोलमोल जवाब

मामले को लेकर पंचायत सचिव सोनाउराम साहू ने गोलमोल जवाब दिया. सचिव को यह तक नहीं पता कि उनका गांव ओडीएफ कब हुआ और शौचालय कब बना. साथ ही 2017 में शौचालय निर्माण को भी पूरा बताया. गांव में कुछ ग्रमीणों ने अपने पैसों से शौचालय का निर्माण कराया है. जिसका पैसा उन्हें अब तक नहीं मिला है. जिसके लिए अब ग्रामीणों को सचिव और सरपंच के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. वहीं जनपद सीईओ कुलेश्वर गायकवाड़ का कहना है कि मीडिया के माध्यम से यह जानकारी उन्हें मिली है. जिसपर उन्होंने जांच की बात कही.

बलौदाबाजार: बिलाईगढ़ विकासखंड शौचालय निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार में सबसे आगे बढ़ता जा रहा है. लेकिन इसके बाद भी प्रशासन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है. ग्राम पंचायत रोहिना के आश्रित गांव सोनियाडीह को 28 नवंबर 2017 को ओडीएफ घोषित किया गया है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे जुदा है. ओडीएफ प्रमाण पत्र में शौचालय की जितनी संख्या दर्ज है इलाके में उतने शौचालय बन ही नहीं पाए हैं. इतना ही नहीं ग्रामीणों को मिलने वाली सहायता राशि भी अब तक उन्हें नहीं मिली है.

ग्रामीणों ने बताया कि उनके शौचालयों में भुगतान की राशि लिख दी गई है. साथ ही ये भी लिखा गया है कि ग्रामीणों को उनकी राशि मिल चुकी है. लेकिन वास्तव में उन्हें पैसा अभी तक नहीं मिला है. साथ ही ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधानमंत्री आवास में भी पहले किस्त में सरपंच ने 10 हजार रुपए काट लिया है.

Villagers did not get amount
ग्रामीणों को नहीं मिली सहायता राशि

SPECIAL: 6 महीने से नहीं मिला पेंशन, उधार की जिंदगी जीने को मजबूर हैं बुजुर्ग

जिम्मेदार दे रहे गोलमोल जवाब

मामले को लेकर पंचायत सचिव सोनाउराम साहू ने गोलमोल जवाब दिया. सचिव को यह तक नहीं पता कि उनका गांव ओडीएफ कब हुआ और शौचालय कब बना. साथ ही 2017 में शौचालय निर्माण को भी पूरा बताया. गांव में कुछ ग्रमीणों ने अपने पैसों से शौचालय का निर्माण कराया है. जिसका पैसा उन्हें अब तक नहीं मिला है. जिसके लिए अब ग्रामीणों को सचिव और सरपंच के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. वहीं जनपद सीईओ कुलेश्वर गायकवाड़ का कहना है कि मीडिया के माध्यम से यह जानकारी उन्हें मिली है. जिसपर उन्होंने जांच की बात कही.

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