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Baloda bazar : सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन का उल्लंघन, लाल ईंटों का शासकीय निर्माण में इस्तेमाल

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Published : Apr 17, 2023, 2:15 PM IST

बलौदाबाजार में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की अनदेखी की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देशित किया है कि शासकीय निर्माण कार्यों में फ्लाईऐश ईंटों का ही इस्तेमाल किया जाए.लेकिन बलौदाबाजार में ऐसा नहीं हो रहा है.शिकायत के बाद भी विभाग ने निर्माण कार्य पर कोई एक्शन नहीं लिया है.

Use of red bricks in government construction
शासकीय कार्य में लाल ईंटों का इस्तेमाल
शासकीय कार्य में लाल ईंटों का इस्तेमाल

बलौदाबाजार : छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में गांवों में औद्योगिक केंद्र रीपा की स्थापना की है.ताकि गांवों में रोजगार में मार्ग खुले.साथ ही साथ स्वसहायता समूह की महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी की.जिले के अंदर 8 रीपा केंद्रों की स्थापना हो रही है. लेकिन जब ETV भारत की टीम जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के जनपद पंचायत भाटापारा के ग्राम गुड़ेलिया पहुंची तो वहां का नजारा कुछ और था.रीपा केंद्र के निर्माण में लाल ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा था. जबकि पर्यावरण संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शासकीय निर्माणों में लाल ईटों के इस्तेमाल पर 2012-13 में प्रतिबंध लगाया गया है. 10 साल बाद भी प्रतिबंध का जिले में कोई असर नहीं है.शासकीय निर्माण कार्य धड़ल्ले से अवैध रूप से लाल ईटों किया जा रहा है.

लाल ईंटों का इस्तेमाल है प्रतिबंधित : पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट के आदेश अनुसार शासन के सभी शासकीय निर्माण कार्यों में फ्लाई ऐश ईंट का उपयोग किया जाने का सख्त निर्देश दिया था. इसके बाद भी सरकारी निर्माण कार्यों में आज भी विश्व चर्चित योजना महात्मा गांधी रूलर इंडस्ट्रियल पार्क में गौठनों में लाल ईट से निर्माण किया जा रहा है. जिला पंचायत सीईओ गोपाल वर्मा गौठानों का निरीक्षण तो कर रहे हैं.लेकिन समझ में ये नहीं आ रहा कि लाल ईंटों का निर्माण उनकी आंखों को दिख क्यों नहीं रहा.

क्या है जिला पंचायत सीईओ का जवाब : इस बारे में जब जिला पंचायत सीईओ से जवाब मांगा गया तो उनका कहना था कि ''सुप्रीम कोर्ट ने लाल ईंटों के इस्तेमाल में कब प्रतिबंध लगाया है.इसकी जानकारी उनको नहीं है.गौठानों के निर्माण में क्या-क्या इस्तेमाल होना चाहिए.इसकी जानकारी कलेक्टर रजत बंसल के पास है.इसलिए आप उनसे पूछ लिजिए''

ये भी पढ़ें- बलौदाबाजार में तय कीमत से ज्यादा शराब का रेट मामला गरमाया


क्यों किया गया लाल ईंट का इस्तेमाल : वहीं इसी मामले में SDO भास्कर राठौर भाटापारा का कहना है '' सफेद ईंट गुणवत्ताहीन थी. कार्यपालन के पास दो तीन मैनुफैक्चर्स से ईंटों का सैंपल मंगवाया गया था. जिसे रिजेक्ट कर दिया गया. शासन के निर्देश थे कि काम जल्द पूरा करना है.समय सीमा कम थी.इसलिए लाल ईंटों का इस्तेमाल किया गया. सुप्रीम कोर्ट के लाल ईट पर प्रतिबंध की जानकारी मुझे नही थी.'' अब देखना यह होगा कि इस पर शासन प्रशासन क्या कार्यवाई करती हैं.

शासकीय कार्य में लाल ईंटों का इस्तेमाल

बलौदाबाजार : छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में गांवों में औद्योगिक केंद्र रीपा की स्थापना की है.ताकि गांवों में रोजगार में मार्ग खुले.साथ ही साथ स्वसहायता समूह की महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी की.जिले के अंदर 8 रीपा केंद्रों की स्थापना हो रही है. लेकिन जब ETV भारत की टीम जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के जनपद पंचायत भाटापारा के ग्राम गुड़ेलिया पहुंची तो वहां का नजारा कुछ और था.रीपा केंद्र के निर्माण में लाल ईंटों का इस्तेमाल किया जा रहा था. जबकि पर्यावरण संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर शासकीय निर्माणों में लाल ईटों के इस्तेमाल पर 2012-13 में प्रतिबंध लगाया गया है. 10 साल बाद भी प्रतिबंध का जिले में कोई असर नहीं है.शासकीय निर्माण कार्य धड़ल्ले से अवैध रूप से लाल ईटों किया जा रहा है.

लाल ईंटों का इस्तेमाल है प्रतिबंधित : पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए सुप्रीमकोर्ट के आदेश अनुसार शासन के सभी शासकीय निर्माण कार्यों में फ्लाई ऐश ईंट का उपयोग किया जाने का सख्त निर्देश दिया था. इसके बाद भी सरकारी निर्माण कार्यों में आज भी विश्व चर्चित योजना महात्मा गांधी रूलर इंडस्ट्रियल पार्क में गौठनों में लाल ईट से निर्माण किया जा रहा है. जिला पंचायत सीईओ गोपाल वर्मा गौठानों का निरीक्षण तो कर रहे हैं.लेकिन समझ में ये नहीं आ रहा कि लाल ईंटों का निर्माण उनकी आंखों को दिख क्यों नहीं रहा.

क्या है जिला पंचायत सीईओ का जवाब : इस बारे में जब जिला पंचायत सीईओ से जवाब मांगा गया तो उनका कहना था कि ''सुप्रीम कोर्ट ने लाल ईंटों के इस्तेमाल में कब प्रतिबंध लगाया है.इसकी जानकारी उनको नहीं है.गौठानों के निर्माण में क्या-क्या इस्तेमाल होना चाहिए.इसकी जानकारी कलेक्टर रजत बंसल के पास है.इसलिए आप उनसे पूछ लिजिए''

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क्यों किया गया लाल ईंट का इस्तेमाल : वहीं इसी मामले में SDO भास्कर राठौर भाटापारा का कहना है '' सफेद ईंट गुणवत्ताहीन थी. कार्यपालन के पास दो तीन मैनुफैक्चर्स से ईंटों का सैंपल मंगवाया गया था. जिसे रिजेक्ट कर दिया गया. शासन के निर्देश थे कि काम जल्द पूरा करना है.समय सीमा कम थी.इसलिए लाल ईंटों का इस्तेमाल किया गया. सुप्रीम कोर्ट के लाल ईट पर प्रतिबंध की जानकारी मुझे नही थी.'' अब देखना यह होगा कि इस पर शासन प्रशासन क्या कार्यवाई करती हैं.

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