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VIDEO: तीन साल से बिना स्कूल आए ही वेतन ले रहा है ये शिक्षक

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Published : Nov 15, 2019, 9:15 PM IST

Updated : Nov 15, 2019, 11:02 PM IST

कसडोल विकासखंड के करमेल शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू पिछले तीन साल से बिना स्कूल आए वेतन ले रहा हैं और अपने जगह किसी स्थानीय युवक को नौकरी पर रखा है, जो खानापूर्ति कर बच्चों को पढ़ाता है.

बिना स्कूल आए भी वेतन ले रहा है ये शिक्षक

कसडोल/बलौदाबाजार: जिले के कसडोल विकासखंड के करमेल शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू बिना स्कूल आए और बिना बच्चों को पढ़ाए पिछले तीन साल से वेतन ले रहा है. धनेश्वर साहू सप्ताह में एक या फिर दो दिन ही स्कूल पहुंचता है और पूरे हफ्ते का हस्ताक्षर कर वापस घर चले जाता है.

बिना स्कूल आए भी वेतन ले रहा है ये शिक्षक

करमेल प्राथमिक स्कूल में अभी प्रधानपाठक नहीं है, लेकिन इस स्कूल के प्रधानपाठक का पूरा कार्यभार सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू पर है. पिछले तीन साल से धनेश्वर लकवा से पीड़ित है और अपनी बीमारी की वजह से वह नियमित स्कूल नहीं आता. इसकी जानकारी उसने अपने उच्च अधिकारियों को भी नहीं दी है.

धनेश्वर साहू ने अपनी व्यवस्था बनाई है और अपने स्थान पर बच्चों को पढ़ाने के लिए प्यारीभोई नाम के एक स्थानीय युवक को नौकरी पर रखा है, जिसे 4500 रुपए सैलरी भी देता है.

तीन साल से कोई और पढ़ा रहा
सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू की जगह पढ़ाने वाले युवक प्यारीभोई ने बताया कि, 'मैं पिछले तीन साल से यहां पढ़ा रहा हूं. सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू जो कि प्रधानपाठक के कार्यभार में हैं. वह हफ्तें में एक-दो बार आते हैं. विकलांगता से पीड़ित हैं इसलिए उन्होंने अपनी जगह मुझे रखा है.'

जिम्मेदारों को नहीं है जानकारी
इस मामले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता का कहना है कि उन्हें इस बारे में अब तक और इससे पहले कोई जानकारी नहीं मिली थी. ETV भारत से उन्हें ये जानकारी मिल रही है. उन्होंने कहा कि अभी इस पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

मामले में दिलचस्प बात यह है कि इस स्कूल में इस तरह की व्यवस्था संचालित होते तीन सालों से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं और अधिकारी इस मामले की जानकारी होने से इंकार कर रहे हैं जबकि स्कूल में शिक्षकों की सतत मॉनिटरिंग के लिए संकुल समन्वय होते हैं, जो संकुल स्तर की जानकारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को देते हैं. ऐसे में इस शिक्षक के ऊपर शिक्षा विभाग की मेहरबानी समझ से परे है.

पढ़ें- रायपुर : शराब के नशे में धुत रहता है शिक्षक, 10वीं फेल पत्नी लेती है क्लास

स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने और शिक्षकों का सही समय पर स्कूल आने और जाने के लिए ही सभी स्कूलों में बॉयोमैट्रिक मशीनें भेजी गई थी, जिसमें शिक्षकों की उपस्थिति फिंगर प्रिंट की मदद से दर्ज होनी थी, लेकिन ये सभी बॉयोमैट्रिक मशीनें स्कूलों की मात्र शोभा बढ़ाने का काम रही हैं.

कसडोल/बलौदाबाजार: जिले के कसडोल विकासखंड के करमेल शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू बिना स्कूल आए और बिना बच्चों को पढ़ाए पिछले तीन साल से वेतन ले रहा है. धनेश्वर साहू सप्ताह में एक या फिर दो दिन ही स्कूल पहुंचता है और पूरे हफ्ते का हस्ताक्षर कर वापस घर चले जाता है.

बिना स्कूल आए भी वेतन ले रहा है ये शिक्षक

करमेल प्राथमिक स्कूल में अभी प्रधानपाठक नहीं है, लेकिन इस स्कूल के प्रधानपाठक का पूरा कार्यभार सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू पर है. पिछले तीन साल से धनेश्वर लकवा से पीड़ित है और अपनी बीमारी की वजह से वह नियमित स्कूल नहीं आता. इसकी जानकारी उसने अपने उच्च अधिकारियों को भी नहीं दी है.

धनेश्वर साहू ने अपनी व्यवस्था बनाई है और अपने स्थान पर बच्चों को पढ़ाने के लिए प्यारीभोई नाम के एक स्थानीय युवक को नौकरी पर रखा है, जिसे 4500 रुपए सैलरी भी देता है.

तीन साल से कोई और पढ़ा रहा
सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू की जगह पढ़ाने वाले युवक प्यारीभोई ने बताया कि, 'मैं पिछले तीन साल से यहां पढ़ा रहा हूं. सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू जो कि प्रधानपाठक के कार्यभार में हैं. वह हफ्तें में एक-दो बार आते हैं. विकलांगता से पीड़ित हैं इसलिए उन्होंने अपनी जगह मुझे रखा है.'

जिम्मेदारों को नहीं है जानकारी
इस मामले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता का कहना है कि उन्हें इस बारे में अब तक और इससे पहले कोई जानकारी नहीं मिली थी. ETV भारत से उन्हें ये जानकारी मिल रही है. उन्होंने कहा कि अभी इस पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.

मामले में दिलचस्प बात यह है कि इस स्कूल में इस तरह की व्यवस्था संचालित होते तीन सालों से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं और अधिकारी इस मामले की जानकारी होने से इंकार कर रहे हैं जबकि स्कूल में शिक्षकों की सतत मॉनिटरिंग के लिए संकुल समन्वय होते हैं, जो संकुल स्तर की जानकारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को देते हैं. ऐसे में इस शिक्षक के ऊपर शिक्षा विभाग की मेहरबानी समझ से परे है.

पढ़ें- रायपुर : शराब के नशे में धुत रहता है शिक्षक, 10वीं फेल पत्नी लेती है क्लास

स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने और शिक्षकों का सही समय पर स्कूल आने और जाने के लिए ही सभी स्कूलों में बॉयोमैट्रिक मशीनें भेजी गई थी, जिसमें शिक्षकों की उपस्थिति फिंगर प्रिंट की मदद से दर्ज होनी थी, लेकिन ये सभी बॉयोमैट्रिक मशीनें स्कूलों की मात्र शोभा बढ़ाने का काम रही हैं.

Intro:कसडोल विकासखण्ड के करमेल शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ प्रधान पाठक धनेश्वर साहू स्कूल में बिना अध्यापन कार्य किये ही वेतन ले रहा है,आपको बता दें कि धनेश्वर साहू सप्ताह में एक या फिर दो दिन ही स्कूल पहुंचते हैं और पूरे सप्ताह का हस्ताक्षर कर वापिस घर चले जाते हैं।Body:कसडोल विकासखण्ड के करमेल प्राथमिक स्कूल में बतौर प्रधानपाठक के पद पर पदस्थ धनेश्वर साहू पिछले तीन सालों से लकवा से पीड़ित है और अपनी बीमारी के चलते प्रधानपाठक नियमित स्कूल नहीं आते, प्रधानपाठक धनेश्वर साहू ने अपनी बीमारी के संबंध में अपने उच्च अधिकारियों को जानकारी नहीं दी है और करमेल स्कूल में अपनी व्यवस्था बनाते हुए अपने स्थान पर बच्चों को पढ़ाने के लिए प्यारी भोई नामक स्थानीय युवक को पैंतालिश सौ रुपये महीने में नौकरी पर रखा है, वहीं स्कूल में प्रधानपाठक के जगह पर पढ़ा रहे शिक्षक ने बताया कि वो इस स्कूल में पिछले तीन सालों से पढ़ा रहा है और प्रधानपाठक हफ्ते में मुश्किल से एक दो बार ही स्कूल में आते हैं और पूरे हफ्ते का हस्ताक्षर कर तनख्वाह ले रहे हैं, इस पूरे मामले में दिलचस्प बात यह है कि इस स्कूल में इस तरह की व्यवस्था संचालित होते तीन सालों से भी अधिक का समय बीत चुका है लेकिन अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं और अधिकारी इस मामले की जानकारी होने से इंकार कर रहे हैं, जबकि स्कूल में शिक्षकों की सतत मॉनिटरिंग के लिए संकुल समन्वय होते है जो संकुल स्तर की जानकारी विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी को देते हैं ऐसे में इस शिक्षक के ऊपर शिक्षा विभाग की मेहरबानी समझ से परे है,स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने और शिक्षकों का सही समय पर स्कूल आने और जाने के लिए ही सभी स्कूलों में बियोमेट्रिक मशीनें भेजी गई थी जिसमें शिक्षकों की उपस्थिति फिंगर प्रिंट के सहारे दर्ज होनी थी लेकिन ये सभी बियोमेट्रिक मशीनें स्कूलों की शोभा मात्र बढ़ाने का काम रही है, धनेश्वर साहू तो अपनी बीमारी के चलते स्कूल नहीं आ पा रहे हैं लेकिन कसडोल विकासखण्ड में अगर अधिकारी सही सही सभी स्कूलों की मॉनिटरिंग अगर करें तो ऐसे और भी स्कूल और शिक्षक सामने आ सकते हैं जो अधिकारियों की कृपा पात्र की वजह से ना ही स्कूल आते और ना ही पढ़ाते हैं लेकिन सही समय पर मोटी तनख्वाह जरूर ले रहे हैं।Conclusion:बाइट - प्यारी भोई शिक्षक

बाइट - के के गुप्ता विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कसडोल
Last Updated : Nov 15, 2019, 11:02 PM IST
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