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कसडोल में मनाया गया पोला त्योहार, कुंभकारों के चहरों पर दिखी मुस्कान

कसडोल विकासखंड में कोरोना को देखते हुए कुम्हारों को डर था कि इस बार उनकी कमाई नहीं हो पाएगी. पोला के लिए बनाए सामान नहीं बिक पाएंगे, लेकिन इसके विपरित कुम्हारों के सभी सामानों की बिक्री हाथों हाथ हो गई. जिससे वे खुश नजर आए. वहीं स्थानीय लोगों में भी पोला त्योहार को लेकर उत्साह देखा गया.

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कसडोल में मनाया गया पोला त्योहार
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Published : Aug 18, 2020, 6:40 PM IST

बलौदाबाजार: कसडोल विकासखंड में पोला त्योहार कोरोना काल के बीच मनाया गया. छत्तीसगढ़ में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में कई जगह जहां इस महामारी की वजह से कुंभकारों का व्यवसाय मंदा रहा, तो वहीं कसडोल में पोला का त्योहार यहां के लोगों के लिए खुशियां लेकर आया.

कसडोल में मनाया गया पोला त्योहार

कोरोना को देखते हुए कुम्हारों को डर था कि इस बार उनकी कमाई नहीं हो पाएगी. पोला के लिए बनाए सामान नहीं बिक पाएंगे, लेकिन इसके विपरित कुम्हारों के सभी सामानों की बिक्री हाथों हाथ हो गई. जिससे वे खुश नजर आए. वहीं स्थानीय लोगों में भी पोला त्योहार को लेकर उत्साह देखा गया.

छत्तीसगढ़ अपनी संस्कृति और त्योहारों के लिए दुनियाभर में मशहूर है. यहां के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है पोला, जिसे हर साल भादो की अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें अन्नदाता के साथी यानी बैल को सजाकर विशेष पूजा की जाती है.

pola celebrations 2020
कोरोना के चलते फीका रहा बाजार

पढ़ें- VIDEO: पोला पर्व की धूम, ढोलक पर थाप देकर जमकर थिरके सीएम बघेल

इस दिन मिट्टी के बने खिलौनों और बैलों की पूजा की जाती है और घर में ठेठरी, खुरमी जैसे पकवान बनाए जाते हैं. कुम्हार परिवार मिट्टी के खिलौने और बैल बनाकर बाजार में अपनी दुकानें सजाते हैं. इस दिन किसान अपने बैलों को अच्छे से नहला कर कौड़ियों और रंग-बिरंगे पोशक से सजाते हैं और उन्हें खाने के लिए अच्छा व्यंजन परोसते हैं. इस तरह किसान अपने बैलों के प्रति स्नेह और सम्मान दिखाते हैं.

pola celebrations 2020
बाजारों में दिखे रंग-बिरंगे बैल और मिट्टी के खिलौने
pola celebrations 2020
रंग रोगन करते कुंभकार

पोला पर्व का पौराणिक महत्व

पोला पर्व के पीछे एक पौराणिक महत्व भी है. बताया जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण को उनके मामा कंस मारना चाहते थे. कंस ने कई राक्षसों से कृष्ण पर हमला कराया, लेकिन सभी नाकाम रहे. इन्ही में एक राक्षस था पोलासुर, जिसका भगवान कृष्ण ने वध कर दिया था और इसी के बाद से भी भादो आमवस्या को पोला के नाम से जाना जाने लगा.

बलौदाबाजार: कसडोल विकासखंड में पोला त्योहार कोरोना काल के बीच मनाया गया. छत्तीसगढ़ में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ता जा रहा है. प्रदेश में कई जगह जहां इस महामारी की वजह से कुंभकारों का व्यवसाय मंदा रहा, तो वहीं कसडोल में पोला का त्योहार यहां के लोगों के लिए खुशियां लेकर आया.

कसडोल में मनाया गया पोला त्योहार

कोरोना को देखते हुए कुम्हारों को डर था कि इस बार उनकी कमाई नहीं हो पाएगी. पोला के लिए बनाए सामान नहीं बिक पाएंगे, लेकिन इसके विपरित कुम्हारों के सभी सामानों की बिक्री हाथों हाथ हो गई. जिससे वे खुश नजर आए. वहीं स्थानीय लोगों में भी पोला त्योहार को लेकर उत्साह देखा गया.

छत्तीसगढ़ अपनी संस्कृति और त्योहारों के लिए दुनियाभर में मशहूर है. यहां के प्रमुख त्योहारों में से एक त्योहार है पोला, जिसे हर साल भादो की अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. इसमें अन्नदाता के साथी यानी बैल को सजाकर विशेष पूजा की जाती है.

pola celebrations 2020
कोरोना के चलते फीका रहा बाजार

पढ़ें- VIDEO: पोला पर्व की धूम, ढोलक पर थाप देकर जमकर थिरके सीएम बघेल

इस दिन मिट्टी के बने खिलौनों और बैलों की पूजा की जाती है और घर में ठेठरी, खुरमी जैसे पकवान बनाए जाते हैं. कुम्हार परिवार मिट्टी के खिलौने और बैल बनाकर बाजार में अपनी दुकानें सजाते हैं. इस दिन किसान अपने बैलों को अच्छे से नहला कर कौड़ियों और रंग-बिरंगे पोशक से सजाते हैं और उन्हें खाने के लिए अच्छा व्यंजन परोसते हैं. इस तरह किसान अपने बैलों के प्रति स्नेह और सम्मान दिखाते हैं.

pola celebrations 2020
बाजारों में दिखे रंग-बिरंगे बैल और मिट्टी के खिलौने
pola celebrations 2020
रंग रोगन करते कुंभकार

पोला पर्व का पौराणिक महत्व

पोला पर्व के पीछे एक पौराणिक महत्व भी है. बताया जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण को उनके मामा कंस मारना चाहते थे. कंस ने कई राक्षसों से कृष्ण पर हमला कराया, लेकिन सभी नाकाम रहे. इन्ही में एक राक्षस था पोलासुर, जिसका भगवान कृष्ण ने वध कर दिया था और इसी के बाद से भी भादो आमवस्या को पोला के नाम से जाना जाने लगा.

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