बलौदाबाजार: कसडोल के गुरु घासीदास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर में बुधवार सुबह प्रवासी मजदूरों ने जमकर हंगामा किया. प्रवासी मजदूर घर जाने की जिद पर स्कूल के मुख्य गेट के सामने आकर बैठ गए. मजदूरों का आरोप है कि उन्हें चार दिनों से खाना नहीं मिला है. ये सभी प्रवासी मजदूर पिछले 22 दिनों से क्वॉरेंटाइन सेंटर में हैं. इन मजदूरों का यह भी आरोप है कि स्थानीय प्रशासन के अधिकारी यहां दो दिन पहले आए थे. मजदूरों को इसी क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखा गया है, जिससे कोरोना संक्रमण फैलने का डर इन मजदूरों को सताने लगा है.
कसडोल के क्वॉरेंटाइन सेंटरों में पहले भोजन की व्यवस्था नगर पंचायत के द्वारा की जा रही थी, लेकिन खाने में गुणवत्ता की कमी होने की शिकायत पर सूखा राशन दिया जा रहा है. गुरु घासीदास उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में ठहरे प्रवासी मजदूर दर्रा ग्राम पंचायत के हैं. इन्हें राशन का सामान ग्राम पंचायत दे रही थी, लेकिन अब इन्हें चार दिनों से राशन नहीं मिला है. जिससे वे परेशान हैं.
क्वॉरेंटाइन सेंटर में भुखमरी जैसे हालात
मजदूरों ने बताया कि कुछ दिनों पहले सरपंच ने अनाज भिजवाया था, लेकिन मजदूर 30 थे और अनाज केवल 2 किलो भिजवाया गया था. कुछ सूखी सब्जियां भेजी गई थीं. मजदूरों ने बताया कि बीते 4 दिनों से उन्होंने खाना नहीं खाया है.
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अभी तक नहीं आई मजदूरों की रिपोर्ट
सरकार के गाइडलाइन के अनुसार मजदूरों का 14 दिनों के अंदर क्वॉरेंटाइन सेंटर में रहते हुए कोविड-19 टेस्ट कराना अनिवार्य है, लेकिन इन मजदूरों का 22वें दिन टेस्ट कराया गया, लेकिन अब तक इनकी रिपोर्ट नहीं आई है. ऐसे में जब तक रिपोर्ट नहीं आती, उन्हें घर जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती. 4 दिनों से भूखे मजदूर कभी SDM तो कभी तहसीलदार को फोन कर अपना दर्द बताते रहे, लेकिन प्रशासन का एक भी अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा.
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क्वॉरेंटाइन सेंटर में नए प्रवासियों को भी ठहराया गया
मजदूरों का आरोप यह भी है कि जिस क्वॉरेंटाइन सेंटर में उनको ठहराया गया है, वहां और नए प्रवासियों को उन्हीं के साथ ठहराया जा रहा है. ऐसे में नए आए प्रवासियों में से किसी एक को कोरोना का संक्रमण होता है, तो पहले से रुके मजदूरों को भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसे लेकर मजदूरों ने खासी नाराजगी जाहिर की है. वे इसे लेकर घंटों तक क्वॉरेंटाइन सेन्टर में जमकर हंगामा करते रहे. इधर मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर कसडोल तहसीलदार पहुंचे. तहसीलदार के आश्वासन के बाद मजदूर जैसे-तैसे शांत हुए, जिसके बाद मजदूरों को अनाज दिया गया. मजदूरों ने शाम तक अपने घर जाने की बात कही है. अगर आज शाम तक उन्हें उनके घर नहीं छोड़ा जाता, तो उन्होंने भूख हड़ताल की चेतावनी दी है.
मजदूरों की कोई नहीं ले रहा सुध
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मजदूरों को कोरोना संक्रमण से रोकने के लिए क्वॉरेंटाइन सेंटरों में ठूंस तो दिया गया, लेकिन उनके खाने-पीने की व्यवस्था भगवान भरोसे है. न प्रसाशन को इनका दर्द दिख रहा है और न इनके द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि मजदूरों की सुध ले रहे हैं. ऐसे में मजदूरों के पेट और जेब दोनों खाली हैं और कठिन कारावास की सजा भोगने को वे मजबूर हैं. ऐसे में सरकार इनके दर्द और भूख को कब तक समझ पाएगी, यह बड़ा सवाल है.