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बलौदा बाजारः सीमेंट प्लांट की लापरवाही से गिरा जलस्तर, पानी की किल्लत से जूझ रहे लोग

जब तक बलौदा बाजार में सीमेंट प्लांट स्थापित नहीं थे, तब तक यहां पानी की समस्या ज्यादा नहीं थी. जैसे-जैसै शहर में सीमेंट प्लांट की संख्या बढ़ती गई, प्लांट में होने वाली खुदाई की वजह से पानी का लेवल भी गिरता गया.

सीमेंट प्लांट की लापरवाही से गिरा जलस्तर, पानी की किल्लत से जूझ रहे लोग
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Published : May 9, 2019, 8:37 AM IST

Updated : May 9, 2019, 8:45 AM IST

बलौदा बाजारः शहर में उद्योग लगाने के नाम पर विकास के कई दावे किए जाते हैं, लेकिन उद्योग लगने के बाद लोगों को इससे होने वाली समस्याओं से शासन प्रशासन निजात नहीं दिला पाता. ऐसा ही स्थिति फिलहाल बलौदा बाजार की है.

दरअसल, शहर में पानी की समस्या काफी गंभीर हो गई है. कहा जा रहा कि जब तक बलौदा बाजार में सीमेंट प्लांट स्थापित नहीं थे, तब तक यहां पानी की समस्या ज्यादा नहीं थी. जैसे-जैसै शहर में सीमेंट प्लांट की संख्या बढ़ती गई, प्लांट में होने वाली खुदाई की वजह से पानी का लेवल भी गिरता गया. शहर में पानी का लेवल एक वक्त जहां महज 90 फीट था, वो आज 350 से 400 फीट तक नीचे चला गया है.

जल स्त्रोत में भी जल स्तर हुआ कम
सीमेंट प्लांट की खदानों में गड्ढे में इतनी खुदाई कर दी गई है कि क्षेत्र का पानी उन खदानों में जाकर जमा हो जाता है. बारिश के दौरान भी वाटर रिचार्जिंग के लिए जमा होने वाला पानी भी गहरी खदानों में जाकर जमा हो जाता है. इसके कारण इलाके के आस-पास के जल स्त्रोत में भी जल स्तर काफी कम हो गया है, जिसके कारण गर्मी के समय में पानी की किल्लत हो रही है. जल स्तर घटने से लोगों के घरों के बोर भी सूखते जा रहे हैं.

खदानों की लापरवाही
नियम के तहत खदानों में खुदाई के बाद उसे वापस मिट्टी से भरना होता है, लेकिन संयंत्र खुदाई करके उसमें से पत्थरों को निकाल कर उसे वैसे ही छोड़ देते हैं, जिससे वहां पानी एकत्र हो जाता है. आमजन इन खदानों में एकत्र जल का उपयोग भी नहीं कर पाते हैं.

बलौदा बाजारः शहर में उद्योग लगाने के नाम पर विकास के कई दावे किए जाते हैं, लेकिन उद्योग लगने के बाद लोगों को इससे होने वाली समस्याओं से शासन प्रशासन निजात नहीं दिला पाता. ऐसा ही स्थिति फिलहाल बलौदा बाजार की है.

दरअसल, शहर में पानी की समस्या काफी गंभीर हो गई है. कहा जा रहा कि जब तक बलौदा बाजार में सीमेंट प्लांट स्थापित नहीं थे, तब तक यहां पानी की समस्या ज्यादा नहीं थी. जैसे-जैसै शहर में सीमेंट प्लांट की संख्या बढ़ती गई, प्लांट में होने वाली खुदाई की वजह से पानी का लेवल भी गिरता गया. शहर में पानी का लेवल एक वक्त जहां महज 90 फीट था, वो आज 350 से 400 फीट तक नीचे चला गया है.

जल स्त्रोत में भी जल स्तर हुआ कम
सीमेंट प्लांट की खदानों में गड्ढे में इतनी खुदाई कर दी गई है कि क्षेत्र का पानी उन खदानों में जाकर जमा हो जाता है. बारिश के दौरान भी वाटर रिचार्जिंग के लिए जमा होने वाला पानी भी गहरी खदानों में जाकर जमा हो जाता है. इसके कारण इलाके के आस-पास के जल स्त्रोत में भी जल स्तर काफी कम हो गया है, जिसके कारण गर्मी के समय में पानी की किल्लत हो रही है. जल स्तर घटने से लोगों के घरों के बोर भी सूखते जा रहे हैं.

खदानों की लापरवाही
नियम के तहत खदानों में खुदाई के बाद उसे वापस मिट्टी से भरना होता है, लेकिन संयंत्र खुदाई करके उसमें से पत्थरों को निकाल कर उसे वैसे ही छोड़ देते हैं, जिससे वहां पानी एकत्र हो जाता है. आमजन इन खदानों में एकत्र जल का उपयोग भी नहीं कर पाते हैं.

Intro:उद्योग लगाने के नाम पर विकास के दावे किए जाते है लेकिन लगाजे गए उद्योग लोगो की समस्या बनकर सामने आते है , एक बार उद्योग स्थापित हो गया उसके बाद लोगो को होनेवाली समस्याओ शासन प्रशासन भी निजात नही दिला पाती।ऐसा ही हाल बलौदा बाजार का है , यहां पानी की समस्या इतनी गंभीर हो गई है। जब तक बलोदा बाजार में सीमेंट प्लांट स्थापित निही थे तब तक यहां पानी किं समस्या ज्यादा नही थी ।। वही आज यहां पानी की भारी समस्या देखने को मिल रही है।
धीरे धीरे सीमेंट प्लान की सँख्या बढ़ती गई और सीमेंट प्लांट में होने वाली खुदाई की वजह से आज पानी का लेवल डाउन हो गया है।।

90 फिट वाटर लेवल था अब 350 से 400 फिट

जब तक यहां सीमेंट प्लांट नही लगाए गए थे तब यहां पानी का लेवल 90 से 100 फिट पर आसानी से मिलता था लेकिन आज सीमेंट प्लांट की खदानों में गड्ढे में इतनी खुदाई कर फि गई है कि क्षेत्र का सारा पानी उन खदानों में जाकर जमा हो जाता है।। बारिश के दौरान भी वाटर रिचार्जिंग के लिए जमा होने वाला गहरी खदान में जमा होता है जिससे आस पास क्षेत्रों में पानी का लेवल बहुत डाउन हो गया है।।


Body:आस पास के जल स्त्रोत में भी जल।स्तर कम हो गया है।।
जिससे गर्मी के समय में पानी की किल्लत होती जा रही है।।

घरों के बोर सुखते जा रहे है
अधिक जल स्तर घटने से लोगो के घरों के बोर सूखते जाबरहे है। अधिकतर बोर की गहराई 400 है वो भी सुख चुके है । ओर कुछ ऐसे बोर है मात्र 5 से 10 मिनट ही चल पाते है।।

नियम के तहत खदानों में खुदाई के बाद बाद उसे वापस मिट्टी से भरना होता है लेकिन संयंत्र खुदाई करके पत्थरो को निकाल कर छोड़ देते है जिससे वहां पानी एकत्र हो जाता है।।
वही सीमेंट संयंत्रों की खदानों में एकत्र जल का उपयोग आम जनता नहि कर पाती ।। साथ ही वे पानी की समस्या से जूझती है।


Conclusion:बाईट - स्थानीय

शार्ट -
सीमेंट संयंत्र

खदान में एकत्रित जल

हैंड पं
Last Updated : May 9, 2019, 8:45 AM IST
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