बलौदाबाजार : अमेठी गांव को बाइस सालों से पुल का इंतजार है. 22 सालों में छत्तीसगढ़ ने विकास की कई सीढ़ियां चढ़ी. राजधानी रायपुर में कम वक्त में ही किसी बड़े शहर के तर्ज पर खुद को अपग्रेड किया. सत्ता में जिसकी भी सरकार रही हर किसी ने पूरे प्रदेश में विकास करने का दावा किया.लेकिन ये दावा कितना सच्चा है इसकी बानगी यदि देखनी हो तो छत्तीसगढ़ के किसी दूर दराज के गांव में नहीं बल्कि रायपुर से सटे जिले बलौदाबाजार भाटापारा चले आईए. क्योंकि राजधानी से महज 60 किलोमीटर दूर बलौदाबाजार भाटापारा जिले का एक हिस्सा बारिश के दिनों में जिला मुख्यालय से अलग हो जाता है.क्योंकि जिस एनीकट के रास्ते लोग आना जाना करते हैं,वहां एक अदद पुल नसीब नहीं हो सका है.
एनीकट के ऊपर से पानी बहने से मुश्किल हुआ सफर : छत्तीसगढ़ में पिछले दिनों हुई लगातार बारिश ने निचले इलाकों के लिए मुसीबत पैदा कर दी. नदी किनार बसे गांवों का संपर्क मुख्य सड़कों से टूट गया.ऐसा ही हाल बलौबाजार में भी हुआ. जहां लगातार बारिश के कारण महानदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा.जिसकी वजह से अमेठी एनीकट के ऊपर से पानी बहना शुरु हुआ. पलारी से कसडोल, सिरपुर, बारनवापारा, तुरतुरिया जाने वाले लोग अमेठी एनीकट के शॉर्टकट रास्ते से ही आवाजाही करते हैं.लेकिन अमेठी एनीकट पर करीब 3 से 4 फीट ऊपर पानी बहने से लोगों को पलारी और कसडोल जाने के लिए 60 किमी घूमकर जाना पड़ा.
किन गांवों का संपर्क सड़क से टूटा : रायपुर, बलौदाबाजार और महासमुंद को जोड़ने वाली अमेठी घाट के एनीकट में जब पानी भरता है तो कई गांव प्रभावित होते हैं.एनीकट के ऊपर से पानी बहने से अमेठी, रोहासी, पिपरछेड़ी, रिवासरार, मुड़ीपार, सुकदा, घिरघोल दोनाझार, अर्जुनी, खैरा, पुटपुरा जैसे दर्जनों गांवों के लोग पलारी, बलौदाबाजार, रायपुर जाने के लिए परेशान हो जाते हैं.क्योंकि पानी के कारण लगभग 4 महीने रास्ता बंद रहता है. इससे ग्रामीणों को करीब 50 से 60 किलोमीटर लम्बा रास्ता तय करना पड़ता है.
किन्हें होगी सबसे ज्यादा परेशानी : नदी किनारे बसे गांवों में ग्रामीणों के दोनों छोरों पर खेत हैं. जिसमें पिपरछेड़ी, घिरघोल, अमेठी, दोनाझर, अर्जुनी, खैरा, अमेठी टेमरी जैसे गांव शामिल हैं. इन गांवों के लोग एक से दूसरे गांव में खेती करते हैं. लेकिन बरसात में एनीकट जब उफान पर रहता है, तो रास्ता बंद हो जाता है.जिससे नदी के दोनों ओर खेती करने वाले लोग 4 माह तक खेती के लिए कसडोल और पलारी से घूमकर लम्बी यात्रा करके दूसरे छोर तक पहुंचते हैं. वहीं व्यापारियों को भी अपनी दुकानें खोलने के लिए लंबा सफर तय करना पड़ता है.
22 साल से पुल की मांग,लेकिन नहीं हुई पूरी : अमेठी एनीकट के दोनों ओर जितने भी गांव है.सभी अरसे से एक पुल की मांग कर रहे हैं.ताकी बारिश के दिनों में रास्ता बंद होने पर पुल से आना जाना किया जा सके.लेकिन आज तक ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं हो सकी है.जब पानी का स्तर थोड़ा नीचे होता है तो कई ग्रामीण जान जोखिम में डालकर एनीकट को पार करते हैं.कई बार हादसे भी हुए हैं और ग्रामीणों को जान गंवानी पड़ी है. लेकिन पुल नहीं बना.अब पुल की मांग को लेकर ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ने लगा है.
सीएम भूपेश बघेल ने की है पुल बनाने की घोषणा : कसडोल विधानसभा क्षेत्र के पलारी ब्लॉक में ग्राम ओढ़ान में सीएम भूपेश ने भेंट मुलाकात की थी. जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अंचल की सालों पुरानी मांग अमेठी में उच्चस्तरीय पुल निर्माण को पूरा करने की घोषणा की है. इसके बन जाने के बाद नदी किनारे बसे लोगों को बारिश के मौसम में लंबी यात्रा नहीं करनी पड़ेगी. वहीं पर्यटन और धार्मिक स्थलों की यात्रा करने वाले लोगों को सिरपुर, तुरतुरिया, बारनवापारा जाने में सुविधा होगी.
पूर्व सीएम ने भी की थी घोषणा : ऐसा नहीं है कि इस बार सीएम भूपेश बघेल ने क्षेत्र की बरसो पुरानी मांग की सुध ली हो.बल्कि पूर्व सीएम रमन सिंह के शासन में भी अमेठी के पास पुल बनाने की घोषणा हो चुकी है.लेकिन चुनाव बीतने के बाद घोषणाएं कागजों से बाहर नहीं आ पाती हैं.रायपुर से 60 किलोमीटर दूर इस जगह पर पुल की मांग 22 सालों से पूरी नहीं हुई.ऐसे में जरा सोचिए दूर दराज के गांवों का हाल क्या होगा. इस बार फिर चुनाव है और फिर से पुल बनाने की घोषणा हुई है. अब देखना ये होगा कि ये घोषणा आने वाले दिनों में पूरी होती है या फिर एक बार फिर कागजों तक ही सीमित रहती है.