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हलछठ के लिए सजा बाजार, इतना महंगा मिल रहा है पसहर चावल

माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए कमर छठ का व्रत रखती है जो इस वर्ष 21 अगस्त को मनाया जाएगा. इस छठ की खास विशेषता है कि इसमें महिलाएं पसहर चावल खाती है, जो सामान्य चावल से अलग होती है. इन दिनों बाजारों में पसहर चावल के साथ लाई और अन्य अनाज देखे जा सकते है.

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Published : Aug 20, 2019, 8:07 PM IST

हलछठ के लिए सजा बाजार

बालोद: अपनी संतान के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए 21 अगस्त को महिलाएं कमर छठ का व्रत रखेंगी. इसे हलछठ के नाम से भी जाना जाता है. ये पर्व छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पसहर चावल खाती हैं. ये चावल मार्केट में डेढ़ सौ रुपए से लेकर ढाई सौ रुपए किलो तक बिक रहा है.

संतान के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं रखेंगी कमर छठ का व्रत

ये चावल बहुत मेहनत से प्राप्त होता है लिहाजा इसकी कीमत भी ज्यादा होती है. पसहर चावल का अर्थ यह है कि जिसे हल से न उगाकर जंगल, झाड़ियों, मेड़ या दूसरी जगह से जुटाया जाए. इसे जुटाने के लिए काफी मेहनत की आवश्यकता होती है. हलछठ का व्रत इस चावल के बिना पूरा नहीं होता है.

मेहनत की वजह से महंगा होता है चावल
व्यापारी शांताबाई ने बताया कि काफी मेहनत से इस चावल को इकट्ठा किया जाता है. हम लोग भी बाहर से लाकर बेचते हैं, हर जगह इस चावल का मिल पाना संभव नहीं है जिस कारण इसका मूल्य आसमान पर होता है. उन्होंने आगे बताया कि उपवास रहने वाली महिलाएं इसे खाती हैं.

बाजार इस विशेष चावल की दुकानों से सज चुका है. इसके साथ ही लाई एवं विभिन्न प्रकार के अनाज भी इस त्योहार का प्रमुख हिस्सा हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग विभिन्न प्रकार के अनाज को स्वयं इकट्ठा कर लेते हैं, वहीं शहरों में इन अनाजों को खरीदना पड़ता है.

बालोद: अपनी संतान के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए 21 अगस्त को महिलाएं कमर छठ का व्रत रखेंगी. इसे हलछठ के नाम से भी जाना जाता है. ये पर्व छत्तीसगढ़ में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पसहर चावल खाती हैं. ये चावल मार्केट में डेढ़ सौ रुपए से लेकर ढाई सौ रुपए किलो तक बिक रहा है.

संतान के लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं रखेंगी कमर छठ का व्रत

ये चावल बहुत मेहनत से प्राप्त होता है लिहाजा इसकी कीमत भी ज्यादा होती है. पसहर चावल का अर्थ यह है कि जिसे हल से न उगाकर जंगल, झाड़ियों, मेड़ या दूसरी जगह से जुटाया जाए. इसे जुटाने के लिए काफी मेहनत की आवश्यकता होती है. हलछठ का व्रत इस चावल के बिना पूरा नहीं होता है.

मेहनत की वजह से महंगा होता है चावल
व्यापारी शांताबाई ने बताया कि काफी मेहनत से इस चावल को इकट्ठा किया जाता है. हम लोग भी बाहर से लाकर बेचते हैं, हर जगह इस चावल का मिल पाना संभव नहीं है जिस कारण इसका मूल्य आसमान पर होता है. उन्होंने आगे बताया कि उपवास रहने वाली महिलाएं इसे खाती हैं.

बाजार इस विशेष चावल की दुकानों से सज चुका है. इसके साथ ही लाई एवं विभिन्न प्रकार के अनाज भी इस त्योहार का प्रमुख हिस्सा हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग विभिन्न प्रकार के अनाज को स्वयं इकट्ठा कर लेते हैं, वहीं शहरों में इन अनाजों को खरीदना पड़ता है.

Intro:बालोद।

कल 21 अगस्त को प्रदेशभर में कमर छठ का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र व सुख-समृद्धि के लिए उपवास रहकर मनोकामना मांगेंगे इस पर्व पर पसहर चावल काफी महत्वपूर्ण होता है जिसको लेकर आज बाजार में विक्रेता दिखे यह चावल काफी मेहनत के साथ प्राप्त किया जाता है जिसके चलते इसकी कीमत आसमान पर होती है वर्तमान में बालोद में डेढ़ सौ रुपए से लेकर लेकर ढाई सौ रुपए किलो तक यह चावल बेचा जा रहा है।


Body:वीओ - पसहर चावल का अर्थ यह है कि जिसे हल से ना उगाकर जंगल झाड़ियों मेड अथवा अन्यत्र जगहों से एकत्र किया जाता है इसे इकट्ठा करने के लिए काफी मेहनत की आवश्यकता होती है जंगल सहित ऐसे ऐसे जगहों से यह चावल मिलते हैं जहां जीव जंतु कीड़े मकोड़े आदि पाए जाते हैं परंतु किसी मेहनत के कारण इस चावल का दाम आसमान पर होता है इस चावल के बिना हलषष्ठी पर्व के पूजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।

वीओ - व्यापारी शांताबाई ने बताया कि काफी मेहनत से इस चावल को इकट्ठा किया जाता है हम लोग भी बाहर से लाकर बेचते हैं हर जगह इस चावल का मिल पाना संभव नहीं है जिस कारण इसका मूल्य आसमान पर होता है उन्होंने आगे बताया कि उपवास रहने वाली महिलाएं इसका सेवन करती है।


Conclusion:बाजार में इस विशेष चावल विक्रेताओं की दुकान से चुकी है और महिलाएं इसे खरीदने दुकानों तक पहुंच रहे हैं इसके साथ ही लाई एवं विभिन्न प्रकार के अनाज भी इस त्यौहार का प्रमुख हिस्सा है और ग्रामीण क्षेत्रों में जहां लोग विभिन्न प्रकार के अनाज को स्वयं इकट्ठा कर लेते हैं वही शहरों में इन अनाजों को खरीदना पड़ता है।

बाइट - शांता बाई, पसहर चांवल विक्रेता
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